✒ रियाद : आईएनएस, इंडिया सउदी अरब में ऊंटों का इस्तेमाल अब तक अपनी खूबसूरती और रफ़्तार के लिए मुकाबलों तक महदूद था, लेकिन मुल्क अब ऊंटों के इस्तेमाल को अरबों की सरमायाकारी (उद्योग) के लिए एक मरबूत मईशत (अर्थव्यवस्था) में बदलने जा रहा है। ‘ऊंट इकॉनोमी प्रोजेक्ट’ का आगाज 2017 में एक खुसूसी क्लब के कयाम (स्थापना) के साथ हुआ था जिसने इस शोबे को मन्सूबों और सरगर्मियों में वुसअत दी और वेटरनरी मेडीसन और सनअतों (इंडस्ट्रीज) के शोबे में तरक़्की के मौके से फायदा उठाने के लिए बैन-उल-अकवामी इकतिसादी फोर्मज (अंतरराष्टÑीय मंचों) का इनइकाद किया।
आज मुल्क में ऊंटनी के दूध की मसनूआत (उत्पाद) तैयार करने वाली पहली दुकानों का इफ़्तिताह हो रहा है। इस मंसूबे पर कई सालों से मुताले (अध्ययन) को मुबहम (अस्पष्ट) रखने और इसके हवाले से मगरिबी साईंसी तहकीक को नजरअंदाज किए जाने के नतीजे में सरमायाकारी करना मुश्किल रहा। यही वजह है कि ऊंटनी का दूध तरक़्की में पीछे रह गया। पब्लिक इन्वेस्टमेंट फंड की मिल्कियत कंपनी के सीईओ अहमद जमाल उद्दीन ने बताया कि खित्ते के ताजिरों (व्यपारियों) और सरमायाकारों (इन्वेस्टर) के लिए ऊंट फार्मज के मंसूबे में दाखिल होना मआशी तौर पर मुम्किन नहीं है और एक गैर यकीनी मार्केट की वजह से वो इसमें दिलचस्पी नहीं ले सकते।
गुजिशता बरसों के दौरान खित्ते में इस तरह के मंसूबे शुरू करने में ताखीर (देरी) की वजह के बारे में उन्होंने कहा कि एक अकीदा है कि ऊंटनी के दूध को ताजा दूध के अलावा किसी दूसरी मसनूआत (उत्पाद) से नहीं बनाया जा सकता। यही वजह है कि सरमाया कारों ने उसे एक नाकामी के तौर पर देखा। कंपनी शकरा में छ: मिलियन क्यूबिक मीटर की जरई अराजी (खेतीहर भूमि) की मालिक है (ये इलाका रियाज गवर्नरी का हिस्सा है जो दार-उल-हकूमत से तकरीबन 185 किलोमीटर शुमाल मगरिब (उत्तर-पश्चिम) में है जहां कंपनी ने ऊंटनी के दूधा से बनी मसनूआत का स्टोर खोला है। उनके फार्मज में ऊंटों की तादाद 34 हजार से जाइद हो गई है। ये फार्म मुख़्तलिफ इकसाम (किस्म) की ऊंट डेरी मसनूआत की मार्केट की जरूरत को पूरा करने में मददगार साबित होगा।
इस तरह एक खुसूसी मार्केट ने जन्म लिया और उसने अपना रास्ता बनाया। ये ऊंट के दूध से मुहब्बत करने वालों के लिए एक मुनफरद मौका है। क्योंकि ऊंटनी का दूध कुछ जगहों और सड़कों पर फरोखत होता था, मगर उसे ज्यादा बेहतर तरीके से महफूज करने का कोई खास एहतिमाम नहीं था। उन्होंने मजीद कहा कि हम एक नई मार्केट में एक नए तजुर्बे का आगाज कर रहे हैं जो ताजा दूध के अलावा ऊंट डेरी की मसनूआत के बारे में कुछ नहीं जानता है। इससे कब्ल कोई कामयाब या नाकाम तजुर्बा नहीं हुआ है, लेकिन नोक कंपनी ने तहकीक पर काम शुरू कर दिया है।