14 सफर उल मुजफ्फर 1445 हिजरी
जुमा, 01 सितंबर, 2023
अकवाले जरीं
‘नमाजों में एक नमाज ऐसी है, जो किसी से छूट जाए तो गोया उसका घर-बार सब बर्बाद हो गया। वो नमाज, नमाजे असर है।’- सहीह बुखारी
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✒ रियाद : आईएनएस, इंडिया
सऊदी अरब के एक सीनीयर दानिश्वर (बुद्धिजीवि) और मुहक़्किक (शोधकर्ता) तलाल मुहम्मद ने माहिरीन से मुतालिबा किया कि वो तलाक के केसेज में इजाफे और उसकी तमाम वजहों का मुताला करें। तलाल मोहम्मद ने कहा कि शुमारियात अथार्टी की साल 2022 की रिपोर्ट के मुताबिक सऊदी अरब में तलाक याफताह खवातीन की तादाद 350,000 तक पहुंच गई है जिसे एक गैर सेहतमंद इशारा समझा जा सकता है।![]() |
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उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में बयान करदा तादाद बहुत ज्यादा है और नफसियाती और समाजी नुक़्ता-ए-नजर से यूनीवर्सिटीयों के माहिरीन को गहराई से मुताला करने की जरूरत है ताकि तलाक की वजूहात जानने और इस मसले के ईलाज के लिए साईंसी हल तलाश करने और तलाक के केसिज को खौफनाक हद तक पहुंचने से बचाने के लिए उसका हल निकाला जा सके। उन्होंने मजीद कहा कि शादी से पहले मंगनी करने वालों की बहाली के लिए खुसूसी नफसियाती और बहाली कोर्सेज का इनइकाद जरूरी है और ये नुक़्ता-ए-नजर कुछ ममालिक में इन तजावीज के अंदर लागू होता है जो तलाक के मसाइल को कम करने के लिए पेश की गई थीं। यहां तक कि स्टेब्लिशमेंट वजारत इन्साफ के माहिरीन की निगरानी में शादी के लिए एक कौमी प्लेटफार्म मुतय्यन करने की जरूरत है ताकि शादीशुदा जोड़ों को इखतिलाफात को कम करने और उनके रिश्ते को बरकरार रखने में मदद मिल सके।
उन्होंने मजीद कहा कि उमूमी तौर पर कुछ समाजी अस्बाब हैं जो तलाक के मसाइल का बाइस बनते हैं। इन अस्बाब में मियां बीवी का उनके दरमयान बाहमी एतिमाद (आपसी भरोसे) का नुक़्सान, तशद्दुद, जो बाज-औकात जबानी तशद्दुद की सूरत में होता है लेकिन जिस्मानी तशद्दुद से भी ज्यादा बदतर होता है, माद्दी मसाइल, मआशी सूरत-ए-हाल, शादीशुदा अफराद के लिए आमदनी के जराइआ की कमी और मुनश्शियात (नशे) की लत तलाक के अहम अस्बाब होते हैं।