14 सफर उल मुजफ्फर 1445 हिजरी
जुमा, 01 सितंबर, 2023
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अकवाले जरीं
‘नमाजों में एक नमाज ऐसी है, जो किसी से छूट जाए तो गोया उसका घर-बार सब बर्बाद हो गया। वो नमाज, नमाजे असर है।’
हुक्काम ने खबरदार किया है कि सर्च आॅप्रेशन के दौरान मजीद लाशों के मिलने से हलाकतों की तादाद में इजाफा मुम्किन है। समुंद्र और सरसब्ज (हरीभरी) पहाड़ी सिलसिले के दरमियान वाके साहिली (तटीय) शहर लाहीना को आग ने अपनी लपेट में ले लिया था जो अब किसी जंग जदा इलाके की तस्वीर पेश करता है। 13 हजार की आबादी वाले इस शहर के मकीन (रहवासी), जो खुद को बमुश्किल बचा कर निकले थे, अपने नुक़्सानात का अंदाजा लगाने के लिए घरों को वापिस आना शुरू हो गए हैं। रियासत हवाई के गवर्नर जाश गुरियन का कहना है कि एमरजेंसी टीमें आॅप्रेशन के दौरान इन्सानी बाकियात की तलाश पर तवज्जा मर्कूज करेंगी। लाहीना में सैंकड़ों की तादाद में घर जल कर राख बन गए हैं जबकि जिंदा बच जाने वालों के लिए आरिजी (अस्थाई) रिहायश का इंतिजाम करना भी एक बड़ा मसला है।
शहर में मुवासलाती निजाम मुतास्सिर होने और तीस के करीब मोबाइल टावर गिरने से राबिता करने में मुश्किलात का सामना करना पड़ रहा है जबकि जजीरे के मगरिबी किनारे में आइन्दा कई हफ़्तों तक बिजली नहीं रहेगी। हुक्काम ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि 4 हजार 500 अफराद को शेल्टर की जरूरत है। सिविल एयर पेट्रोल के मुताबिक एक हजार 692 इमारतें मुकम्मल तबाह हो चुकी हैं जिनमें से अक्सर रिहायशी मकानात हैं। हवाई में फैलने वाली आग को रियासत की हालिया तारीख की बदतरीन कुदरती आफत करार दिया जा रहा है, जिसने 1960 में आने वाले सूनामी से भी ज्यादा तबाही मचाई है।
रियासत हवाई में सन 1946 में इंतिहाई खौफनाक सूनामी आया था जिसमें 150 अफराद हलाक हुए थे। उसके बाद पूरी रियासत में सायरन के साथ एमरजेंसी सिस्टम नसब किया जो हर माह टेस्ट किया जाता है। कुदरती आफत के चार दिन बाद भी ये वाजिह नहीं हो सका कि क्या घरों तक आग पहुंचने से पहले इंतिजामीया की जानिब से रिहायशियों को खबरदार किया गया था। हवाई के एमरजेंसी रिकार्ड से जाहिर नहीं हो रहा कि लोगों को खबरदार करने के लिए इंतिबाही (चेतावनी) सायरन बजे थे ताकि वो बरवक़्त महफूज मुकामात में जा सकें।
हुक्काम ने मोबाइल फोन, टेलीविजन और रेडियो-स्टेशन के जरीये इंतिबाही पैगाम जारी किए थे लेकिन बिजली और मोबाइल सिगनल ना होने के बाइस मुम्किना तौर पर उनकी रसाई महदूद थी। हवाई के गवर्नर जाश ग्रीन ने इंतिबाही सायरन का हवाला देते हुए कहा कि इस वाकिये का मुकम्मल जायजा लेने की हिदायात दे दी गई हैं ताकि हकायक का मुकम्मल इल्म हो सके। माओई काउंटी के फायर चीफ ब्रैडफोर्ड वेंचोरा ने प्रेस कान्फें्रस के दौरान कहा था कि आग फैलने की रफ़्तार इस कदर तेज थी कि फ्रंटलाइन पर काम करने वाले अहलकारों के लिए तकरीबन नामुमकिन था कि वो एमरजेंसी के शोबे को आगाह कर सकें जिसने इलाका खाली कराने के अहकामात जारी किए थे।
‘नमाजों में एक नमाज ऐसी है, जो किसी से छूट जाए तो गोया उसका घर-बार सब बर्बाद हो गया। वो नमाज, नमाजे असर है।’
- सहीह बुखारी
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✒ न्यूयार्क : आईएनएस, इंडिया
अमरीका की रियासत हवाई के जजीरे माओई में लगने वाली आग से हलाक होने वाले अफराद की लाशों की तलाश जारी है जबकि हादिसे में बच जाने वालों ने अपने इलाके में वापस आना शुरू कर दिया है। न्यूज एजेंसी एसोसीएटड प्रेस के मुताबिक माओई के मगरिबी साहिल (पश्चिमी किनारे) पर वाके सदीयों पुराने शहर लाहीना तक फैलने वाली आग से कम अज कम 93 अफराद हलाक हो चुके हैं जबकि तकरीबन पूरा इलाका जल कर राख हो चुका है।हुक्काम ने खबरदार किया है कि सर्च आॅप्रेशन के दौरान मजीद लाशों के मिलने से हलाकतों की तादाद में इजाफा मुम्किन है। समुंद्र और सरसब्ज (हरीभरी) पहाड़ी सिलसिले के दरमियान वाके साहिली (तटीय) शहर लाहीना को आग ने अपनी लपेट में ले लिया था जो अब किसी जंग जदा इलाके की तस्वीर पेश करता है। 13 हजार की आबादी वाले इस शहर के मकीन (रहवासी), जो खुद को बमुश्किल बचा कर निकले थे, अपने नुक़्सानात का अंदाजा लगाने के लिए घरों को वापिस आना शुरू हो गए हैं। रियासत हवाई के गवर्नर जाश गुरियन का कहना है कि एमरजेंसी टीमें आॅप्रेशन के दौरान इन्सानी बाकियात की तलाश पर तवज्जा मर्कूज करेंगी। लाहीना में सैंकड़ों की तादाद में घर जल कर राख बन गए हैं जबकि जिंदा बच जाने वालों के लिए आरिजी (अस्थाई) रिहायश का इंतिजाम करना भी एक बड़ा मसला है।
शहर में मुवासलाती निजाम मुतास्सिर होने और तीस के करीब मोबाइल टावर गिरने से राबिता करने में मुश्किलात का सामना करना पड़ रहा है जबकि जजीरे के मगरिबी किनारे में आइन्दा कई हफ़्तों तक बिजली नहीं रहेगी। हुक्काम ने फेसबुक पोस्ट में कहा कि 4 हजार 500 अफराद को शेल्टर की जरूरत है। सिविल एयर पेट्रोल के मुताबिक एक हजार 692 इमारतें मुकम्मल तबाह हो चुकी हैं जिनमें से अक्सर रिहायशी मकानात हैं। हवाई में फैलने वाली आग को रियासत की हालिया तारीख की बदतरीन कुदरती आफत करार दिया जा रहा है, जिसने 1960 में आने वाले सूनामी से भी ज्यादा तबाही मचाई है।
रियासत हवाई में सन 1946 में इंतिहाई खौफनाक सूनामी आया था जिसमें 150 अफराद हलाक हुए थे। उसके बाद पूरी रियासत में सायरन के साथ एमरजेंसी सिस्टम नसब किया जो हर माह टेस्ट किया जाता है। कुदरती आफत के चार दिन बाद भी ये वाजिह नहीं हो सका कि क्या घरों तक आग पहुंचने से पहले इंतिजामीया की जानिब से रिहायशियों को खबरदार किया गया था। हवाई के एमरजेंसी रिकार्ड से जाहिर नहीं हो रहा कि लोगों को खबरदार करने के लिए इंतिबाही (चेतावनी) सायरन बजे थे ताकि वो बरवक़्त महफूज मुकामात में जा सकें।
हुक्काम ने मोबाइल फोन, टेलीविजन और रेडियो-स्टेशन के जरीये इंतिबाही पैगाम जारी किए थे लेकिन बिजली और मोबाइल सिगनल ना होने के बाइस मुम्किना तौर पर उनकी रसाई महदूद थी। हवाई के गवर्नर जाश ग्रीन ने इंतिबाही सायरन का हवाला देते हुए कहा कि इस वाकिये का मुकम्मल जायजा लेने की हिदायात दे दी गई हैं ताकि हकायक का मुकम्मल इल्म हो सके। माओई काउंटी के फायर चीफ ब्रैडफोर्ड वेंचोरा ने प्रेस कान्फें्रस के दौरान कहा था कि आग फैलने की रफ़्तार इस कदर तेज थी कि फ्रंटलाइन पर काम करने वाले अहलकारों के लिए तकरीबन नामुमकिन था कि वो एमरजेंसी के शोबे को आगाह कर सकें जिसने इलाका खाली कराने के अहकामात जारी किए थे।