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मिस्र : कोसूं की तारीखी मीनार मिस्मार करने की अफ़्वाह

19 सफर उल मुजफ्फर 1445 हिजरी
बुध, 06 सितंबर, 2023

अकवाले जरीं
‘बुजुग मुसलमान का एहतेराम करना, अल्लाह की ताअजीम का हिस्सा है।’
- अबु दाऊद शरीफ 

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काहिरा : आईएनएस, इंडिया 

मिस्र में सोशल मीडिया पर कोसू शहर की कदीम (पुरानी) मस्जिद की मीनार को मुनहदिम (ढहाने) के फैसले की खबरों ने एक नए तनाजा (बहस) को जन्म दे दिया जिसके बाद मिस्री काबीना को इसकी वजाहत (स्पष्ट) करना पड़ी। 
मिस्र : कोसूं की तारीखी मीनार मिस्मार करने की अफ़्वाह
File Photo                                          Image google

    गुजिश्ता पीर को मिस्री काबीना के मीडीया सेंटर ने वजीर सयाहत और नवादिरात से राबिता किया जिसने इन खबरों की तरदीद (रद्द) करते हुए इस बात पर जोर दिया कि कोसूं की कदीम मस्जिद की मीनार के इन्हिदाम की खबरों में कोई सदाकत (सच्चाई) नहीं है। मीडीया में इस हवाले से आने वाली तमाम अफ़्वाहें बे-बुनियाद हैं। उन्होंने मजीद कहा कि वजारत ने वाजेह कर दिया है कि मीनार पर बहाली और देखभाल का काम किया जा रहा है। इसमें अमूदी और उफुक़ी दराड़ें मौजूद हैं, जो उसके साखती तवाजुन को मुतास्सिर करती हैं। वजारत सयाहत ने मजीद कहा कि रिपोर्टों ने मीनार में वाजेह कमजोरियों का इन्किशाफ (खुलासा) किया था, जिसकी वजह से उसे गिराने या नुक़्सान पहुंचाने के किसी इरादे के बगैर बहाली का काम शुरू करने की जरूरत थी। ये आसारे-ए-कदीमा (पुरातत्व) की इमारतों में से एक इस्लामी यादगार के तौर पर रजिस्टर्ड है और आसारे-ए-कदीमा के तहफ़्फुज के कानून के तहत उसकी बहाली और मरम्मत जरूरी है। 
    कोसूं का मीनारा 1250 से 1382 ईसवी तक रियासत बिहारी ममलूक के दौर की यादगार है। मीनार इस्लामी नवादिरात के शोबे में रजिस्टर्ड सबसे अहम इस्लामी यादगारों में से एक है और इस्लामी नवादिरात के तौर पर इसका नंबर 290 है। कोसूं मस्जिद का मीनार भी ममलूक बिहारी शहजादा सैफ उद्दीन कोसूं इलसाकी एलिना सुरी ने सन 736 हि. बमुताबिक 1336 में बनाया था और ये काहिरा के खलीफा डारेक्टरेट में सयदी जलाल स्ट्रीट में वाके है।

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