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रेलवे ने दिल्ली की दो तारीखी मस्जिद खाली करने का दिया नोटिस

5 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
पीर, 24 जुलाई, 2023
अकवाले जरीं
‘जो कोई नजूमी (ज्योतिष) के पास जाए और उससे कुछ मुस्तकबिल के बारे में सवाल करे तो उसकी चालीस रातों की इबादत कबूल नहीं होती।’  
- मुस्लिम
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  • वक़्फ बोर्ड का मौकिफ, मस्जिद ना रेलवे की जमीन पर है और ॅही तजावुजात में शामिल 

नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 
शुमाल (उत्तर) रेलवे इंतिजामीया ने दिल्ली की दो मुमताज मसाजिद, बंगाली माकेैट मस्जिद और बाबर शाह तकिया मस्जिद को 15 दिनों के अंदर तजावुजात (अतिक्रमण) हटाने नोटिस जारी किया है। रेलवे हुक्काम ने मुतनब्बा किया है कि अगर मुकर्ररा मुद्दत में तजावुजात को ना हटाया गया तो वो उनकी अराजी (जमीन) पर कबजे के लिए जरूरी कार्रवाई करेंगे। 
रेलवे ने दिल्ली की दो तारीखी मस्जिद खाली करने का दिया नोटिस
- Image google
    नोटिस में रेलवे इंतिजामीया ने कहा है कि उनकी अराजी पर नाजायज कबजा किया गया है और वो मुताल्लिका फरीकों पर जोर दे रहे हैं कि वो अपनी जायदाद पर बनाई गई गैर मजाज इमारत, मंदिर, मस्जिद या मजहबी मुकाम को रजाकाराना तौर पर हटा दें। रेलवे ने कहा कि अगर नोटिस के मुताबिक अराजी खाली नहीं की गई तो रेलवे एक्ट के मुताबिक तजावुजात की जमीन खाली कराने के लिए रेलवे इंतिजामीया कार्रवाई करेगी। रेलवे ने अपनी नोटिस में मजीद कहा है कि तजावुजात के जिÞम्मेदार फरीक इस अमल के दौरान होने वाले किसी भी नुक़्सान के लिए जिÞम्मेदार होंगे, इस तरह रेलवे इंतिजामीया को किसी भी किस्म की जिÞम्मेदारी से बरी उज्जÞम्मा करार दिया जाएगा। 
    इसी दौरान बाबर शाह तकिया मस्जिद के सेक्रेटरी अब्दुल गफ़्फार ने दावा किया कि मस्जिद तकरीबन 400 साल पुरानी है। इसके अलावा म्यूनसिपल कारपोरेशन आफ दिल्ली के मलेरीया आॅफिस को भी रेलवे हुक्काम ने नोटिस दिया है जिसमें अहाते को खाली करने का मुतालिबा किया गया है। कहा जाता है कि ये तारीखी मसाजिद एक तवील अर्से से दिल्ली के मजहबी और सकाफ़्ती मंजरनामे का एक लाजिÞमी हिस्सा रही हैं। ताहम, जमीन की मिल्कियत के रेलवे के दावे ने मुकामी कम्यूनिटी में बेहस-ओ-मुबाहिसे को पैदा कर दिया है। जबकि रेलवे हुक्काम का कहना है कि ये इमारतें बगैर इजाजत उनकी जमीन पर बनाई गई थीं। 

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मस्जिद कमेटी का इस्तिदलाल है कि ये इबादतगाहें तारीखी एहमीयत की हामिल हैं और सदियों से मौजूद हैं। वहीं दिल्ली वक़्फ बोर्ड ने रेलवे की तरफ से मस्जिद और तजावुजात को हटाने के नोटिस का जवाब दिया है। वक़्फ बोर्ड ने कहा कि मुआहिदा के तहत साल 1945 में मस्जिद की अराजी कानूनी तौर पर मुंतकिल की गई थी। ना जमीन रेलवे की है और ना ही तजावुजात हैं। दिल्ली वक़्फ बोर्ड ने कहा कि ये कहना कि रेलवे की जमीन पर मसाजिद का कब्जा है, हकायक और कानून के खिलाफ है। मस्जिद कमेटी ने दावा किया है कि ये 250 और 500 साल पुरानी मसाजिद हैं। कमरे, सेहन, बैत उल-खुला, प्लेटफार्म वगैरा वाली ये मसाजिद जिसका कुल रकबा 0.95 एकड़ है, 1945 के एक मुआहिदे के जरीये चीफ कमिशनर इन काउंसिल के गवर्नर जनरल के जरीये सुन्नी मजलिस औकाफ को मुंतकिल किया गया था। मुआहिदे से ये भी जाहिर होता है कि मुआहिदे की तारीख से एक मस्जिद जिसमें कमरों और कुआं और गुस्ल-खाने पहले से मौजूद था। ये भी गौरतलब है कि ये वक़्फ इमलाक 1970 के दिल्ली इंतिजामीया के गज्ट में बाजाबता तौर पर मतला की गई हैं। नोटिस में मजकूर (उपरोक्त) जायदादें 123 वक़्फ जायदादों का हिस्सा हैं, जिन्हें मर्कजी हुकूमत ने 2014 को दिल्ली वक़्फ बोर्ड के हक में डी-नोटीफाई किया था।


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