हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई और पारसी एक हाथ की पांच उंगलियां : जमीर उददीन शाह

26 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
इतवार, 19 मार्च 2023

अलीगढ़ : आईएनएस, इंडिया 
मुस्लिम यूनीवर्सिटी (एएमयू) के साबिक वाइस चांसलर जनरल जमीर उद्दीन शाह ने जुमा को यहां इंडिया टूडे कानक्लेव में कहा कि जय हिंद नए हिन्दोस्तान का मेरा आयडिया है। उन्होंने कहा कि जए हिंद मुसल्लह अफ़्वाज की तरफ से अपनाया जाने वाला सलाम है, जिसकी कोई जात, रंग, नसल या मजहब नहीं है। 
    इसके (फौज) पास सिर्फ मुल्क है और ये उसके वीजन की वजाहत के लिए मुनासिब लफ्ज है। उन्होंने मजीद कहा कि हिन्दोस्तान में रहने वाले हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई और पारसी एक हाथ की पांच उंगलियों की तरह हैं। इंडिया टूडे कानक्लेव में रिटायर्ड लेफ़्टीनेंट जनरल जमीर उद्दीन शाह ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के बारे में कई मफरूजों (मान्यताओं) को तोड़ा है। उन्होंने नाम को लेकर चल रहे तनाजा (विवाद) का भी दो टूक जवाब दिया और वहां ज्यादा मुस्लिम तलबा के पढ़ने की वजह भी बताई। 
    उन्होंने कहा, यूनीवर्सिटी के नाम को लेकर ही मसला है क्योंकि इसमें मुस्लमान आते हैं। मुल्क में जहां बनारस हिंदू यूनीवर्सिटी है, वहीं हिंदू कॉलेज भी है, खालसा कॉलेज भी है। ये तमाम नाम मुल्क के तनव्वो (विविधता) की अक्कासी करते हैं। कुछ लोग सोचते होंगे कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी एक मदरसे की तरह काम करती है, लेकिन मैं वाजेह तौर पर कहना चाहता हूँ कि ये एक जदीद सैकूलर यूनीवर्सिटी है। उन्होंने नाम को लेकर जारी तनाजा पर ना सिर्फ जवाब दिया बल्कि ये भी वाजिह किया कि मुस्लिम तलबा एएमयू में ज्यादा पढ़ते हैं, क्योंकि वो पढ़ाए जानेवाले कोर्सज में ज्यादा दिलचस्पी लेते हैं। इस बारे में उनका कहना है कि लोग ये सवाल जरूर कर सकते हैं कि मुस्लमान यहां ज्यादा क्यों पढ़ते हैं, इसका एक ही जवाब है कि यहां उर्दू, फारसी, अरबी जैसे मजामीन भी पढ़े जाते हैं और मुस्लमान इन कोर्सज में ज्यादा दिलचस्पी जाहिर करते हैं। 
    उन्होंने कहा, मैं चाहता हूँ कि दूसरी कम्यूनिटीज के बच्चे भी आएं, लेकिन फिलहाल वो इन कोर्सज के लिए आगे नहीं आ रहे हैं। एक और वाकिया का जिÞक्र करते हुए जमीर उद्दीन शाह ने बताया कि जब वो  एएमयू के वाइस चांसलर बने तो तलबा के जहन में ये खौफ था कि मुलाजमत के दौरान उनके साथ इमतियाजी सुलूक किया जाएगा। मैंने तब कहा था कि इमतियाज, इन्सानी फितरत है लेकिन ये उनके साथ होता है जो कम तालीम-ए-याफता हैं। इसके इलावा गुफ़्तगु के दौरान जमीर उद्दीन शाह ने अपने आर्मी के दिनों को भी याद किया। उन्होंने बताया कि मैंने अपनी सर्विस के दौरान कभी फौज में फिरकावारीयत नहीं देखी। मुझे इस पर भी बहुत फखर है। तनव्वो (विविधता) में इत्तिहाद फौज का बुनियादी मंत्र है, और वो हमेशा इसी उसूल पर अमल पैरा है। उन्होंने हिन्दोस्तान को जामा, मुतनव्वे, मुसावी (समान) और मुसबत (सकारात्मक) भी करार दिया और कहा कि लंबे समय से सकारात्मक कार्रवाई नहीं हो रही है। मुसबत कार्रवाई ये है कि आप किसी को अपनी जानिब खींचें, इतमीनान वो होता है, जब आप बदले में किसी चीज की तवक़्को करते हैं।

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