13 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
पीर, 6 मार्च 2023
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अजीज़ दोस्तों
खुलूसे बेकराँ
शब-ए-बरआत अनकरीब है। इस शब के मुताल्लिक पैगंबर-ए-इस्लाम हजरत मोहम्मद (ﷺ) का फरमान है कि इस शब अल्लाह ताअला अपने बंदों के लिए रहमत के बेशुमार दरवाजे खोल देता है और फरमाता है-‘है कोई, जो मुासे बख्शिश तलब करे और मैं उसे अजाब-ए-दोज़ख से निजात देकर उसकी मग्फिरत कर दूं। है कोई, जो मुासे रोजी तलब करे..., है कोई, जो मुासे खैर-ओ-आफियत तलब करे...’ गरज ये कि शाअबान की पंद्रवी शब की इबादत बहुत अफजल है। इसलिए इस रात खूब-खूब इबादत करें। इसी शब बंदों का आमालनामा लिखा जाता है। आप (ﷺ) का इरशाद है, शाअबानुल मोअज्जम का पूरा महीना ही बहुत बरगुजीदा है और इस माहे मुबारक की इबादत का बेहद सवाब अल्लाह तआला अता फरमाता है। आप (ﷺ) ने फरमाया कि इस शब इबादत करने वाले पर दोजख की आग अल्लाह पाक हराम कर देता है।
इस शब करें खुसूसी इबादत
- पंद्रहवीं शब को गुसल करें, अगर किसी तकलीफ के सबब गुसल न कर सकें तो बा वजू होकर दो रकअत तहीय्यतुल वजू पढें, हर रकअत में सूरह फातेहा क बाद आयतुल कुर्सी एक बार, सूरह इखलास तीन-तीन बार पढ़ें।
- ये नमाज बहुत अफजल है।
- शाअबानुल मोअज्जम की पंद्रहवीं शब बाद नमाज मगरिब दो रकअत नफिल पढ़ें। हर रकअत में बाद सूरह फातेहा, सूरह हश्र की आखरी तीन आयात एक-एक मर्तबा और सूरह इखलास तीन-तीन दफा पढ़ें।
-इन शा अल्लाह ये नमाज वास्ते मग्फिरत गुनाह बहुत अफजल है।
- पंद्रहवीं शब दो रकअत नमाज नफिल पढ़ें। हर रकअत में सूरह फातेहा के बाद आयतुल कुर्सी एक बार, सूर इखलास पंद्रह-पंद्रह मर्तबा पढ़ें। बाद सलाम के दरुद शरीफ एक सौ दफा पढ़कर तरक्की रिज्क की दुआ करें।
-इन शा अल्लाह इस नमाज के बाइस रिज्क में तरक्की होगी।
- पंद्रहवीं शब आठ रकअत नमाज चार सलाम से पढ़ें। हर रकअत में सूरत फातेहा के बाद सूरह कदर एक-एक बार, सूरह इखलास पचीस बार पढ़ें।
- ये नमाज वास्ते मगफिरत गुनाह बहुत अफजल है। इन शा अल्लाह इस नमाज के पढ़ने वाले की अल्लाह पाक बख्शिश फरमाएगा।
- पंद्रहवीं शब को आठ रकअत नमाज दो सलाम से पढ़ें। हर रकअत में सूरह फातेह के बाद सूरह इखलास दस-दस मर्तबा पढ़ें।
-अल्लाह पाक इस नमाज के पढ़ने वाले के लिए बेशुमार फरिश्ते मुकर्रर करेगा, जो उसे अजाबे कब्र से निजात की और दाखिले बहिश्त की खुशखबरी देंगे।
- पंद्रहवीं शब चौदह रकअत नमाज सात सलाम से पढ़े। हर रकअत में बाद सूरह फातेहा के सूरह काफेरून एक बार, सूरह इखलास एक बार, सूरह फलक एक बार, सूरह नास एक बार पढ़ें। बाद सलाम के आयतुल कुर्सी एक दफा फिर सूरह तौबा की आखिरी आयात ‘लकद जा-अ-कुम रसूलुम मिन अनफोसेकुम से अजीम’ तक एक बार पढेंÞ।
- ये नमाज वास्ते कबूलियत दुआ, ख्वाह दुनियावी हो या दीनी, बहुत अफजल है।
- पंद्रहवीं शब बाद नमाज मग्रिब छह रकअत नफिल दो-दो रकअत करके पढ़ें। पहली बार दराजी-ए-उम्र बिल खैर, दूसरी बार दफा-ए-बला और तीसरी बार मख्लूख का मोहताज न होने की नियत करें। हर दोगाना के बाद सूरह यासीन एक बार या सूरह इखलास 21 बार पढ़ें और इसके बाद दुआ ‘निस्फ शाबान’ पढ़ें।
टीम नई तहरीक की मोअद्दबाना गुजारिश
दोस्तों,शब-ए-बरआत के साथ ही होलियाना माहौल भी रहेगा। इस्लाम दुश्मनों की साजिशें किसी से पोशिदा नहीं है। इसलिए हर हाल में इस्लामी ताअलीमात का मुजाहिरा करने की कोशिश करें। न कि वैसा, जैसा हमें तसव्वुर किया जाता है। शब-ए-बरआत पर खुसूसन छोटे बच्चों और नौजवानों पर नजर रखें। उन्हें तंबीह करें कि मस्जिद या कब्रिस्तान जाने के नाम पर सड़कों पर न मंडराएं या बाईक से फर्राटे न भरें। और न दोस्तों के साथ फिजूल बातों में वक्त गवाएं बल्कि इस रात के हर पल का भरपूर फायदा उठाने की कोशिश करें।
सूबे में दम तोड़ती उर्दू की जानिब एक कदम आगे बढ़ाएं
उर्दू ज़बान के बारे में भले ही यह कहा जाता हो कि यह भारत में जन्मी है, हिंदी की बहन है और यह किसी एक कौम की ज़बान नहीं है। लेकिन आप यह जान लें कि इस्लामी ताअलीम का सारा निचोड़ इसी ज़बान पर है। इसलिए उर्दू को फरोग दें। खुद भी पढ़ें और बच्चों को भी पढ़ाएं। पढ़ नहीं सकते तो कम अज कम बोलचाल में उर्दू के ज्यादा से ज्यादा अलफाज का इस्तेमाल करें।फकत वस्सलाम
तालिब-ए-दुआ
टीम नई तहरीक
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