Top News

भूकंप दिल्ली में मचा सकता है तुर्की जैसी तबाही : माहेरीन

30 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
जुमेरात, 23 मार्च 2023
---------------------------------------
नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
दिल्ली, एनसीआर में बीती रात एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए। इसका असर पूरे शुमाली हिन्दोस्तान में भी देखा गया, लोग घरों से बाहर निकल आए। नेशनल सेंटर फार सेसमोलोजी (एनएसएस) के मुताबिक भूकंप का मर्कज अफ़्गानिस्तान था। 
भूकंप दिल्ली में मचा सकता है तुर्की जैसी तबाही : माहेरीन

    इस दौरान आईआईटी कानपुर की तहकीक ने हिन्दोस्तान और नेपाल में अक्सर आने वाले भूकंप के हवाले से बड़ा दावा किया है। जिसके मुताबिक हिन्दोस्तान की हमालियाई रियास्तों में किसी भी वक़्त तबाहकुन भूकंप आ सकता है। आईए जानते हैं कि आईआईटी की तहकीक में क्या मालूम हुआ, वो कौन सी दो रियास्तें हैं जहां भूकंप का मर्कज हो सकता है, नेपाल में भूकंप की वजह क्या है और दिल्ली, एनसीआर में बार-बार भूकंप के झटके क्यों आ रहे हैं, इसे समझने के लिए हमने आईआईटी कानपुर सिविल इंजीनीयरिंग डिपार्टमेंट के सीनीयर प्रोफेसर और जीव साईंस इंजीनीयरिंग के माहिर प्रोफेसर जावेद एन मुल्क से बात की। 


    उन्होंने कहा, 2015 में भी नेपाल में 7.8 से 8.1 शिद्दत के जलजले के झटके महसूस किए गए थे जिसमें आठ हजार से ज्यादा लोग लुकमा-ए-अजल बन गए थे, जबकि बीस हजार से ज्यादा लोग जखमी हुए थे। उस वक़्त जलजले का मर्कज मशरिकी नेपाल था। यही वजह है कि इसका हिन्दोस्तान पर कोई असर नहीं हुआ। ताहम, हिमालया रेंज में टेक्टोनिक प्लेट गैर मुस्तहकम (अस्थिर) हो चुकी है जिसकी वजह से इस तरह के जलजले तवील अर्से तक आते रहेंगे। इस बार जलजले की एक बड़ी वजह ये भी है। 
    नेपाल में ये झटके उत्तराखंड से मुल्हिका (लगे हुए) हिमालया रेंज पर आते हैं। यही वजह है कि इसका असर दिल्ली एनसीआर तक नजर आ रहा है। प्रोफेसर जावेद एन मलिक ने कहा कि वो और उनकी टीम काफी अर्से से जलजलों का मुताला कर रही है। इसमें हिन्दोस्तान के लिए एक तरह की तशवीशनाक (चिंताजनक) सूरत-ए-हाल पैदा हो रही है। उन्होंने कहा, अगर लोग ये सोच रहे हैं कि नेपाल जैसे बड़े जलजले हिन्दोस्तान में नहीं आएँगे, तो वो गलत हैं। प्रोफेसर मलिक के मुताबिक कि इस बार नेपाल में आने वाले जलजले का मर्कज मगरिबी नेपाल है, जो पूरी तरह से हिन्दोस्तान से मुत्तसिल (लगा हुआ, करीब) है। 
    यही वजह है कि इस बार नेपाल के जलजले का असर दिल्ली, एनसीआर तक देखा गया। अब लोगों में ये घबराहट इसलिए है कि दिल्ली में तवील अर्से से बड़े जलजले की पेशगोई की जा रही है। माहिरीन का ख़्याल है कि दार-उल-हकूमत में बहुत ज्यादा शिद्दत का जलजला आ सकता है। दरअसल दिल्ली जलजला जदा इलाकों जोन 4 में वाके है। मुल्क को ऐसे चार जोन में तकसीम किया गया है। जोन 4 में होने की वजह से दिल्ली जलजले के शदीद झटके को भी बर्दाश्त नहीं कर सकता। दिल्ली हिमालया के करीब है, जो हिन्दोस्तान और यूरेशिया जैसी टेक्टोनिक प्लेटों के मिलने से बनी है। जमीन के अंदर इन प्लेटों की हरकत की वजह से दिल्ली, कानपूर और लखनऊ जैसे इलाकों में जलजले का खतरा सबसे ज्यादा है। दिल्ली के करीब तीन फाल्ट लाइनें सोहना, मथुरा और दिल्ली, मुरादाबाद हैं, जिसकी वजह से जलजले के इमकान को रद्द नहीं किया जा सकता। जुनूब मगरिब, शुमाल मगरिबी और मगरिबी इलाके दरमयाने दर्जे के खतरे वाले जोन हैं। सबसे ज्यादा खतरनाक इलाके शुमाली (उत्तर), शुमाल मशरिकी (उत्तर-पूर्वी) खित्ते हैं।

पाकिस्तान में जलजले से 9 अफराद हलाक, 47 जखमी

इस्लामाबाद : पाकिस्तान में मंगल की शब आने वाले जलजले से मुख़्तलिफ हादसात में कम अज कम नौ अफराद हलाक और 47 जखमी हुए हैं। प्रोवंीशल डीजासटर मैनिजमंट अथार्टी (पीडीएमए) खैबर पख्तूनख्वा के मुताबिक अब तक की इत्तिलाआत के मुताबिक सूबे भर में जलजले से 20 घरों को जुजवी (आंशिक) नुक़्सान पहुंचा है। 
    मंगल की शब नौ बज कर 47 मिनट पर खैबर पख्तूनख्वा, पंजाब और बलोचिस्तान समेत पड़ोसी मुल्क अफ़्गानिस्तान और भारत (दिल्ली) में भी जलजले के झटके महसूस किए गए थे। रिएक्टर स्केल पर जलजले की शिद्दत छ: इशारीया आठ बताई जाती है, जिसका मर्कज अफ़्गानिस्तान का हिंदूकुश था और गहराई 180 किलोमीटर थी। जलजले की शिद्दत से लोग खौफ के आलम में घरों से निकल आए थे। मुख़्तलिफ मुकामात पर अफरातफरी देखने में आई थी। मुख़्तलिफ इलाकों में जलजले के बाद शहरी खौफ के आलम में कलमा तय्यबा का विर्द करते हुए घरों से बाहर निकल आए थे। जलजला के बाद वजीर-ए-आजम मुहम्मद शहबाज शरीफ की तरफ से जारी एक बयान में कहा कहा गया कि वजीर-ए-आजम ने नेशनल डीजासटर मैनिजमेंट अथार्टी और दीगर मुताल्लिका इदारों को किसी भी ना गहानी सूरत-ए-हाल से निमटने के लिए तैयार रहने की हिदायत की है। ख़्याल रहे इस जलजले के झटके हिन्दोस्तान समेत कई ममालिक में भी महसूस किए गए।

nai tahreek, naitahreek, tahreek, tahreeke nav



Post a Comment

if you have any suggetion, please write me

और नया पुराने