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69 रोहंगया पनाहगुजीन लकड़ी की कश्ती में इंडोनेशिया के साहिल पर पहुंच गए

13 शाअबानुल मोअज्जम 1444 हिजरी
पीर, 6 मार्च 2023
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69 Rohingya refugees reach Indonesia
File Photo 69 Rohingya refugees 

जकार्ता : आईएनएस, इंडिया 
अकवाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्टÑ) की पनाहगुजीन एजेंसी की एक अहलकार ने बताया कि कम अज कम 69 रोहंगया पनाह गजीन जुमेरात के रोज इंडोनेशिया के मगरिबी साहिल पर लकड़ी की एक कश्ती से उतरे जिनमें अक्सरीयत खवातीन और बच्चों की थी। 
    यूएनएचसीआर की अहलकार हफनती के मुताबिक कश्ती इंडोनेशिया के मगरिबी सूबे के साहिल पर पहुंची। एक मुसाफिर ने बताया कि जहाज में सवार कुछ अफराद सफर के दौरान हलाक हो गए। नवंबर के बाद से इंडोनेशिया पहुंचने वाली ये छठी रोहंगया कश्ती थी। 2017 में हमसाया (पड़ोसी) मुल्क मियांमार में जुल्म-ओ-सितम से फरार होने के बाद, एक अंदाजे के मुताबिक तकरीबन एक मिलियन रोहंगया बंगला देश में पनाह गजीन कैम्पों में रह रहे हैं। 
    हर साल हजारों लोग नाकिस (घटिया) मेयार की कश्तियों और मुनासिब हिफाजती बंद-ओ-बस्त के बगैर तवील और पुरखतर समुंद्री रास्ते से मलाईशीया या इंडोनेशिया पहुंचने की कोशिश करते हैं जिनमें से बहुत से को मंजिÞल नसीब ही नहीं होती और वो बिफरी हुई समुंद्री लहरों का शिकार हो जाते हैं। अहलकार ने मजीद बताया कि पनाह गजीनों को करीब ही एक आरिजी पनाह-गाह में मुंतकिल किया जा रहा है। उनका कहना था कि पनाह-गाह में पहुंचने के बाद हुक्काम उन अफराद की दुबारा गिनती करेंगे। एक पनाह गजीन, जिसने अपना नाम शरीफ उद्दीन बताया, के मुताबिक कश्ती दो हफ़्ते कब्ल बंगलादेश से रवाना हुई थी। शरीफ उद्दीन का कहना था कि खुराक की कमी की वजह से कई लोग रास्ते में ही मर गए और कप्तान ने उन्हें समुंद्र के सुपुर्द कर दिया। 
    15 साला नौजवान ने एएफपी को बताया कि हम 15 दिनों से समुंद्र में सख़्त मुश्किलात का शिकार थे और इस सारे अर्से में हमारे पास जरूरत के मुताबिक खुराक नहीं थी। उसने कहा कि वो इंडोनेशिया में बेहतर जिंदगी की उम्मीद में अपने वालदैन और खानदान के सात अफराद के साथ बंगला देश से फरार हुआ था। शरीफ उद्दीन ने बताया कि बंगला देश में मुकामी लोगों ने हम पर बहुत जुल्म किया। हमें तालीम हासिल करने का मौका भी नहीं मिला। पांच दीगर बहरी जहाज गुजिश्ता साल नवंबर और दिसंबर में रोहंगया पनाह गजीनों को लेकर इंडोनेशिया पहुंचे थे, जिनमें तकरीबन 700 अफराद सवार थे। पनाह गजीनों के आलमी इदारे युवाईन एचसीआर के मुताबिक ख़्याल है कि 2022 में 2,000 से ज्यादा लोगों ने खतरनाक समुंद्री सफर करने की कोशिश की और तकरीबन इतने ही लोगों ने 2020 में बोसीदा छोटी कश्तियों में ये सफर किया था। एजेंसी का अंदाजा है कि तकरीबन 200 रोहंगया गुजश्ता साल खतरनाक समुंद्री रास्तों को उबूर (पार) करने की कोशिश में हलाक या लापता हो गए थे।

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