हवन-भंडारे के साथ श्रीमद्भागवत कथा का हुआ समापन
नई तहरीक : दुर्गदुर्गाधाम, पुरानी गंजमडी, गंजपारा में जारी सात दिवसीय श्रीमद्भागवत कथा का 9 फरवरी को हवन-भंडारे के साथ समापन हुआ। सात दिवसीय कथा वाचन के दौरान प्रसिद्ध कथा वाचक देवी चित्रलेखा जी ने शहर के अलावा आसपास के हजारों धर्मप्रेमियों को भागवत कथा का रसपान कराया।
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कथा वाचक देवी चित्रलेखा |
उन्होंने बताया कि भागवत कथा के श्रवण से व्यक्ति भव सागर से पार हो जाता है। श्रीमद भागवत से जीव में भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य के भाव उत्पन्न होते हैं। इसके श्रवण मात्र से व्यक्ति के पाप, पुण्य में बदल जाते हैं। विचारों में बदलाव होने पर व्यक्ति के आचरण में भी स्वयं बदलाव हो जाता है।
मनुष्य शरीर भगवान का दिया प्रसाद है
कथा वाचक चित्रलेखा जी ने भंडारे के प्रसाद का भी वर्णन किया। उन्होंने कहा कि प्रसाद तीन अक्षर से मिलकर बना है। पहला ‘प्र’ का अर्थ प्रभु, दूसरा ‘सा’ का अर्थ साक्षात व तीसरा ‘द’ का अर्थ होता है, दर्शन। जिसे हम सब प्रसाद कहते हैं। प्रसाद हर कथा या अनुष्ठान का तत्वसार होता है जो मन, बुद्धि व चित्त को निर्मल कर देता है। उन्होंने कहा, मनुष्य शरीर भी भगवान का दिया हुआ सर्वश्रेष्ठ प्रसाद है। जीवन में प्रसाद का अपमान करने से भगवान का ही अपमान होता है। भगवान को लगाए गए भोग का बचा हुआ भाग, मनुष्यों के लिए प्रसाद बन जाता है। योगेन्द्र शर्मा बंटी ने बताया कि कथा के समापन पर आयोजक परिवार गिरधारी शर्मा के निवास में हवन, पूजन व पूर्णहुति की गई। तत्पश्चात कथा स्थल में भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें भारी मात्रा में धर्मप्रेमियों ने प्रसादी ली। भागवत कथा का आयोजन सुरेश अग्रवाल एवं गिरधारी शर्मा परिवार द्वारा करवाया गया था। कथा समापन के दिन विधिविधान से दोपहर तक हवन और भंडारा कराया गया। पूजन के बाद दोपहर को भंडारा लगाकर प्रसाद बांटा गया।आयोजन में आयोजक परिवार के रूपनारायण तिवारी, प्रतीक अग्रवाल, सुयश तिवासी एवं विशेष रूप से रामफल शर्मा, किशोरीलाल सिंघानिया, कैलाश रुंगटा, नवल अग्रवाल, राजेन्द्र शर्मा, अशोक राठी, प्रहलाद रुंगटा, रवि पीडियार, ईशान शर्मा, श्रीराम हलवाई, मनोज सिन्हा, सूजल शर्मा, दिनेश शर्मा, लक्की अग्रवाल, विनोद अग्रवाल, कमलेश राजपुरोहित, ओमप्रकाश टावरी सहित बड़ी संख्या में धर्मप्रेमी उपस्थित थे।
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