इंटेक दुर्ग-भिलाई अध्याय द्वारा ‘मेरी खाद्य विरासत’ खाना- खजाना प्रतियोगिता का आयोजन
नई तहरीक : भिलाई
भारतीय सांस्कृतिक निधि, इंटैक का मुख्य उद्देश्य सांस्कृतिक ऐतिहासिक धरोहर का संरक्षण करना है, जिससे आने वाली पीढ़ी अपने समृद्ध इतिहास से परिचित हो सके। स्कूली विद्यार्थियों को उनके पारंपरिक व्यंजन एवं उसे पकाने के पारंपरिक बर्तनों के विषय में जानकारी देने की गरज से श्री शंकराचार्य विद्यालय, हुडको में ‘मेरी खाद्य विरासत, खाना-खजाना’ के तहत पोस्टर एवं निबंध प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। तत्संबंध में इंटैक दुर्ग-भिलाई अध्याय की संयोजिका डॉ. हंसा शुक्ला ने बताया कि प्रतियोगिता में दुर्ग-भिलाई के आठ विद्यालयों के कक्षा सातवीं से नवमीं के साठ विद्यार्थियों ने सहभागिता दी जहां उन्हें पारंपरिक अनूठे व्यंजन का इतिहास, उसे बनाने की विधि और उसके महत्व या अनूठे बर्तनों, उनकी उत्पत्ति, गुण और उपयोग से संबंधित विवरण सहित पोस्टर बनाना था। प्रतिभागियों में से सौ क्षेत्रीय एवं दस राष्ट्रीय विजेता चुने जाएंगे। आयोजन के मुख्य अतिथि डॉ. डीएन शर्मा, क्षेत्रीय समन्वयक पं. सुन्दरलाल शर्मा मुक्त विश्वविद्यालय, बिलासपुर तथा विशेष अतिथि अमिताभ दास, प्राचार्य श्री शंकराचार्य विद्यालय हुडको थे। आयोजन को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि डॉ. शर्मा ने कहा, ..किसी भी देश की समृद्धि का सूचक वहॉं कि सांस्कृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहर होता है। धरोहर केवल ईंट-पत्थर से बने ईमारत नहीं होते बल्कि धरोहर में विभिन्न कला का भी समावेश होता है। पाक कला भारत की एक महत्वपूर्ण कला है। भारत के विभिन्न प्रांतों में प्रांत की जलवायु के अनुरुप अलग-अलग व्यंजन बनाए जाते हैं। उन्होंने कहा, पश्चिमी फास्ट फूड आने से पारंपरिक भोजन को लोग भूल रहे हैं, ऐसे में इस प्रकार की प्रतियोगिता के माध्यम से बच्चे अपने पारंपरिक भोजन उसे बनाने की विधि तथा उसके महत्व से परिचित होंगे। आयोजन को विशेष अतिथि श्री दास ने भी संबोधित किया।
प्रतियोगिता में दिल्ली पब्लिक स्कूल, रिसाली, शारदा विद्यालय रिसाली, इंदु आईटी स्कूल, कोहका, आमदी विद्या निकेतन विद्यालय, हुडको, श्री शंकराचार्य विद्यालय, हुडको, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रुआबांधा, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, तितुरडीह दुर्ग एवं शकुंतला विद्यालय, रामनगर, से 60 विद्यार्थियों ने भाग लिया। विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रांतों के पारंपरिक भोजन को पेंटिंग के माध्यम से सजीवता से उकेरा तथा उसके इतिहास, महत्व एवं उसे बनाने की विधि का निबंध में वर्णन किया।
प्रतियोगिता का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन इंटैक दुर्ग-भिलाई अध्याय की संयोजक डॉ. हंसा शुक्ला ने किया। प्रतियोगिता में दुर्ग भिलाई इंटैक आजीवन सदस्य डॉ. सुनीता वर्मा, विश्वास तिवारी एवं काजल शर्मा उपस्थित हुए। कार्यक्रम को सफल बनाने में अमित कुमार साहू, सहायक प्राध्यापक माईक्रोबायोलॉजी स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, रणदीप बेनर्जी, व्याख्याता श्री शंकराचार्य विद्यालय, हुडको ने विशेष सहयोग दिया।
प्रतियोगिता में दिल्ली पब्लिक स्कूल, रिसाली, शारदा विद्यालय रिसाली, इंदु आईटी स्कूल, कोहका, आमदी विद्या निकेतन विद्यालय, हुडको, श्री शंकराचार्य विद्यालय, हुडको, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, रुआबांधा, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय, तितुरडीह दुर्ग एवं शकुंतला विद्यालय, रामनगर, से 60 विद्यार्थियों ने भाग लिया। विद्यार्थियों ने विभिन्न प्रांतों के पारंपरिक भोजन को पेंटिंग के माध्यम से सजीवता से उकेरा तथा उसके इतिहास, महत्व एवं उसे बनाने की विधि का निबंध में वर्णन किया।
प्रतियोगिता का संचालन एवं धन्यवाद ज्ञापन इंटैक दुर्ग-भिलाई अध्याय की संयोजक डॉ. हंसा शुक्ला ने किया। प्रतियोगिता में दुर्ग भिलाई इंटैक आजीवन सदस्य डॉ. सुनीता वर्मा, विश्वास तिवारी एवं काजल शर्मा उपस्थित हुए। कार्यक्रम को सफल बनाने में अमित कुमार साहू, सहायक प्राध्यापक माईक्रोबायोलॉजी स्वामी श्री स्वरुपानंद सरस्वती महाविद्यालय, हुडको, रणदीप बेनर्जी, व्याख्याता श्री शंकराचार्य विद्यालय, हुडको ने विशेष सहयोग दिया।