छेरछेरा पुन्नी या शाकंभरी पूर्णिमा हर साल पौष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है
नई तहरीक : भिलाई
छेरछेरा पुन्नी या शाकंभरी पूर्णिमा हर साल पौष मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। छत्तीसगढ़ में नई फसल के खलिहान से घर आ जाने के बाद मनाए जाने वाले इस पर्व पर लोग घर-घर जाकर अन्न माँगते हैं। वहीं गाँव के युवक घर-घर जाकर डंडा नृत्य करते हैं। ऐसी मान्यता है कि दान मांगने वाला याचक होता है तथा दान देने वाली शाकंभरी देवी है, यह भी मान्यता है कि आज के दिन दान देने से समृद्धी आती है।
एनएसएस नोडल अधिकारी संयुक्ता पाढ़ी ने कहा कि यह उत्सव कृषि प्रधान संस्कृति में दानशीलता की परंपरा को याद दिलाता है। विद्यार्थी इस गतिविधि द्वारा ना केवल एनएसएस के मूल्यों को समझ सकेंगे बल्कि छत्तीसगढ़ राज्य के इस महापर्व का महत्व भी आत्मसात करेंगे। इस उपलक्ष में एनएसएस स्वयं सेवकों ने अपने मोहल्ले तथा प्राध्यापकों से भी दान मांगा तथा प्राप्त अनाज एवं दैनिक आवश्यकता की वस्तुओं को वृद्ध आश्रम तथा झुग्गी झोपड़ियों में वितरण किया। यह कार्य एनएसएस स्वयंसेवी दीपांशु चंद्राकर, ओम करसायल, फुलप्रीत कौर, पूजा चतुवेर्दी, रितिका ताम्रकार तथा प्रीति पटेल ने सार्थक किया।
महाविद्यालय के सीओओ डॉ दीपक शर्मा ने कहा कि विद्यार्थी निस्वार्थ जनसेवा से जुड़कर समाज के लिए उदाहरण प्रस्तुत करते हैं। प्राचार्य डॉ हंसा शुक्ला ने कहा कि जितना हो सके, जो हो सके, एक-दूसरे की मदद करने का संदेश देता है, यह पर्व और स्वयं सेवकों ने जनसेवा कर इस कथन को सार्थक कर दिखाया।