Top News

तबदीली मजहब मुखालिफ कवानीन के खिलाफ जमई उल्मा पहुंचा सुप्रीम कोर्ट

नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया 

जमई उल्मा हिंद ने जुमेरात को सुप्रीम कोर्ट में एक पीआईएल दायर की है जिसमें उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश समेत कई रियास्तों में तबदीली मजहब के कवानीन की आईनी जवाज को चैलेंज किया गया है। 

दरखास्त में कहा गया कि ये एक्ट बैन मजाहिब जोड़ों को हिरासाँ करने और बुनियादी इन्सानी हुकूक की खिलाफवरजी के लिए इस्तिमाल किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ये किसी फर्द को उसका मजहब जाहिर करने पर मजबूर कर उसकी राजदारी पर हमला करता है। एडवोकेट एजाज मकबूल, जिन्होंने जमात-ए-उलमाए हिंद की जानिब से अर्जी दाखिल की और कहा कि एक्ट किसी शख़्स की राजदारी की खिलाफवरजी करता है, क्योंकि ये उन्हें अपने अकीदे को जाहिर करने पर मजबूर करता है। उन्होंने मजीद कहा कि एक्ट मजहब तबदील करने वालों को हिरासाँ करने के लिए एक जरीया है। इस कानून में बहुत से दफआत के मुबहम और सख़्त नौईयत की वजह से मजहब पर अमल पैरा होने को रोक देगा। एडवोकेट मकबूल ने मजीद कहा कि ये एक्ट लोगों के मजहब का दावा करने और उसकी तब्लीग करने के हुकूक पर मनफी (निगेटिव) असर डालेगा, इस तरह भारती आईन आर्टीकल 25 की खिलाफवरजी होगी। 

दरखास्त में कहा गया है कि इस तरह के जाती फैसले की रियासत की तरफ से जांच किसी फर्द की जाती आजादी पर संगीन हमला है और ये आईन हिंद आर्टीकल 21 और 25 की खिलाफवरजी है। दरखास्त में ये भी बताया गया कि ये एक्ट उस कयास पर आगे बढ़ता है कि हर एक मजहबी तबदीली गै़रकानूनी है। वाजेह रहे कि उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश में तबदीलीयों से मुताल्लिक कार्यवाईयों को पहले एक बार सिटीजन फार पीस एंड जस्टिस (सीजेपी) ने चैलेंज किया था, जिसमें ये बताया गया था कि ऐसी कार्यवाहीयां आईनी बेंचों के जरीया दिए गए सुप्रीमकोर्ट के फैसलों के खिलाफ हैं, जिनमें पार्टनर को मुंतखब करने का हक दिया गया है।


Post a Comment

if you have any suggetion, please write me

और नया पुराने