लंदन : आईएनएस, इंडिया
दुनियाभर में गुर्बत के खातमे के लिए कोशां एक आलमी इदारे आक्सफीम ने अपनी एक ताजा रिपोर्ट में कहा है कि 25 बरसों में पहली बार शदीद अमीरियत और शदीद गुर्बत में एक साथ इजाफा हुआ है। दुनिया की दो तिहाई दौलत सिर्फ एक फीसद अफराद के हाथों में चली गई है। आॅक्सफीम ने अपील की है कि इस इंतिहाई शदीद अदम मुसावात (असमानता) पर काबू पाने के लिए टैक्सों को मजीद मुंसिफाना बनाया जाए। ये रिपोर्ट एक ऐसे मौका पर सामने आई है, जब इस हफ़्ते स्विट्जरलैंड के तफरीही मुकाम डेविस में आलमी इकतिसादी फोरम, डब्लयूईएफ का सालाना इजलास हो रहा है, जिसमें दुनियाभर के सैंकड़ों अरबपती, दर्जनों हुकूमती वजीर और मर्कजी बैंकों के गवर्नरज शिरकत कर रहे हैं। इस फोरम को दुनियाभर के इंतिहाई दौलतमंद अफराद का एक इजतिमा समझा जाता है।
सरवाईवल फार दी रचिसट यानी अमीर तरीन अफराद की बका के उनवान से पीर को शाइआ होने वाली इस रिपोर्ट में आॅक्सफीम ने कहा है कि दुनिया के अरबपती मजीद अमीर हो रहे हैं। आॅक्सफीम की अमरीकी शाख के इकनॉमिक जस्टिस के शोबे के डायरेक्टर नबील अहमद ने वीओए को बताया कि हमें मालूम हुआ है कि दुनिया के एक फीसद अमीर तरीन लोगों के पास 2020 से अब तक पैदा होने वाली तमाम नई दौलत का लगभग दो तिहाई हिस्सा मौजूद है।
इदारे का कहना है कि ये दौलत 42 ट्रेलेन डालर के बराबर है यानी इससे लगभग दोगुना ज्यादा जितना दुनिया की 99 फीसद गरीब आबादी कमाती है। आॅक्सफीम का अंदाजा है कि कम अज कम एक दशमलव सात अरब कारकुन इस वक़्त उन मुल्कों में रहते हैं, जहां इफरात-ए-जर (मुद्रा स्फीति) तनख़्वाहों से ज्यादा है। इसका मतलब ये है कि लोग गरीबतर हो रहे हैं। लेकिन दूसरी जानिब अरबपति अफराद की दौलत में इजाफा हो रहा है क्यों कि महंगाई की वजह से खुराक और तवानाई की कीमतें बढ़ गई हैं जिनकी आमदनीयां अमीरों की तिजोरियों में जाती हैं। आॅक्सफीम की रिपोर्ट में कहा गया है कि खुराक और तवानाई की कीमतों में इजाफे के साथ मेयार-ए-जिÞंदगी का मौजूदा बोहरान भी बहुत से दौलतमंद तरीन लोगों के लिए इंतिहाई फाइदामंद साबित हो रहा है। खुराक और तवानाई की कंपनियां रिकार्ड मुनाफा कमा रही हैं और अपने अमीर शेयर होल्डरज और अरबपति मालिकान को रिकार्ड मुनाफा पहुंचा हैं।
आइन्दा साल में बेरोजगारी बढ़ने का इमकान : लेबर आर्गेनाईजेशन
लंदन : मेहनतकशों की बैन-उल-अकवामी तंजीम इंटरनैशनल लेबर आर्गेनाईजेशन ने अपने मुस्तकबिल के अंदाजों में कहा है कि मौजूदा और आइन्दा यानी साल 2024 कारकुनों के लिए बहुत ज्यादा हौसलाअफ़्जा नहीं हैं।
आईएलओ ने खबरदार किया है कि आलमी सतह पर मआशी सुस्त-रवी के नतीजे में लाखों कारकुनों को कम उजरतों और कमतर मेयार को कबूल करना पड़ेगा। आईएलओ की जानिब से जारी होने वाली रिपोर्ट' वर्ल्ड इम्पलाइमेंट एंड सोशल आउटलुक ट्रेंडज 2023 में आलमी और समाजी पेश-ए-मंजर से मुताल्लिक अपने अंदाजों में आईएलओ ने पेशंगोई की है कि इस साल आलमी सतह पर बेरोजगारों में 30 लाख का इजाफा होने के बाद ये तादाद 20 करोड़ 80 लाख तक पहुंच जाएगी और ये सूरत-ए-हाल 2024 में भी बरकरार रहेगी।
आईएलओ की काम के मेयार से मुताल्लिक डायरेक्टर ने कहा है कि मुलाजमतों की तादाद और मेयार दोनों में ही कमी होगी और ये कि तनख़्वाहों में कमी के साथ-साथ काम करने के हालात में भी मुद्रा स्फीति बिगड़ने का खदशा है। उनका कहना था कि खदशा है कि इस सूरत-ए-हाल से सबसे ज्यादा मुतास्सिर कम और दरमयानी आमदनी वाले ममालिक होंगे और आलमी वबा और दुनियाभर में मआशी सुस्त रवी के दोहरे असरात के बाइस गुर्बत में इजाफा होगा। रिपोर्ट में खबरदार किया गया है कि जिंदगी गुजारने के अखराजात में इजाफा होगा जो मजीद लोगों को गुर्बत की जानिब धकेल देगा जिससे अमीर और गरीब के दरमयान फर्क बढ़ेगा। रिपोर्ट में बताया गया है कि गुजिश्ता साल 47 करोड़ 30 लाख अफराद ने रोजगार ढ़ूढ़ने की कोशिशें तर्क कर दी थीं।