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अब जीओ कोडिंग से हो सकेगी मस्जिद-ए-हराम में मुकामात की पहचान

मस्जिद-ए-नबवी
मस्जिद-ए-नबवी 
रियाद : आईएनएस, इंडिया 

मस्जिद-ए-हराम और मस्जिद-ए-नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की सदारत आम्मा के सदर शेख डाक्टर अब्दुर्रहमान अल सदीस ने मस्जिद-ए-हराम और मस्जिद-ए-नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम की जीओ कोडिंग प्रोजेक्ट का इफ़्तिताह किया। 

ये मन्सूबा एजेंसी फार इंजीनीयरिंग प्रोजेक्ट्स एंड स्टडीज में जनरल डिपार्टमेंट आफ सर्वे एंड ज्योग्राफिक इन्फार्मेशन सिस्टम्ज ने शुरू किया है। प्रोजेक्ट का मकसद मस्जिद-ए-हराम और मस्जिद-ए-नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम के उन मुकामात में तकसीम करना है, जिन्हें जुगराफियाई तौर पर अजीम मस्जिद के तमाम मुलाजमीन नुमायां तरीन अलामात की बिना पर आसानी से पहचान लेंगे। मंसूबे में मुशतर्का (अलग-अलग) वजाहती जबान तशकील दी गई है, इस जबान से मस्जिद के मुख़्तलिफ मुकामात की ज्यादा दुरुस्त शिनाख़्त मुम्किन होगी। 

शेख अल सदीस ने वजाहत (स्पष्ट) किया कि इस निजाम (मैनेजमेंट) के तहत मुतअद्दिद (अनेक) स्लाईडज फराहम की जाती हैं, जो मस्जिद हराम के सतूनों पर लगाई जाती हैं और बराह-ए-रास्त मालूमात पर मुश्तमिल होती हैं। ये स्लाईडज जाइरीन के मुकाम को बयान करने में मुआविन (मददगार) होती हैं। जनरल पे्रजीडेंसी के मुलाजमीन के साथ बराह-ए-रास्त राब्ते की मालूमात मिलती है। जवाबी कोड फराहम किया जाता है। मंसूबे से जाइरीन और मुलाजमीन को खिदमात मयस्सर आती हैं। उन्होंने निशानदेही की कि साईंसी तहकीक के तरीका-ए-कार के मुताबिक तैयार की गई गाईड का मकसद साईंसी निसाब और मुताल्लिका साबिका मुतालआत को जारी करना, मुरत्तिब करना और मुस्तहकम करना है। साईंसी तहकीक और इंजीनीयरिंग नौईयत (प्रकृति, नेचर) के मुख़्तलिफ मुतालों को तैयार करना है। इसका एक मकसद मुहक़्किकीन (शोधकर्ताओं) के लिए मालूमात पर मबनी मंजूरशुदा हवाला फराहम करना है।

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