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मौलाना अरशद मदनी |
हरीद्वार : आईएनएस, इंडिया
मौलाना अरशद मदनी ने आचार्य स्वामी कैलाशा नंद गिरी से मुलाकात की। इस दौरान मौलाना मदनी ने स्वामी कैलाशा नंद गिरी को हिंदी में तर्जुमा कुरआन तोहफे में दिया। जबकि आचार्य कैलाशा नंद गिरी ने मौलाना मदनी को शाल और उत्तराखंडी टोपी पेश की। निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशा नंद गिरी से मुलाकात के बाद मौलाना मदनी ने कहा कि मुल्क में हिंदू-मुस्लमान एक हैं। इसके साथ ही मौलाना मदनी ने जबरी तबदीली मजहब को गलत करार दिया। मौलाना मदनी ने कहा कि जबरदस्ती किसी का मजहब तबदील करना कहीं से भी जायज नहीं है। दोनों के दरमियान काफी देर तक बात हुई। मीटिंग का एजेंडा हालांकि मंजर-ए-आम पर नहीं आया है, लेकिन जराइआ की मानें तो दोनों के दरमयान दहश्तगर्दी, हिंदू-मुस्लिम इत्तिहाद और जबरी तबदीली मजहब जैसे मसाइल पर बात हुई।
मुलाकात के बाद मौलाना मदनी ने एक-बार फिर हिंदू-मुस्लिम इत्तिहाद की बात की। इस दौरान उन्होंने संघ के सरबराह मोहन भागवत का भी जिÞक्र किया और कहा कि हम दोनों की एक ही राय है। ख़्याल रहे कि गुजिश्ता साल 31 अगस्त को मौलाना मदनी ने दिल्ली में आरएसएस के दफ़्तर में मोहन भागवत से मुलाकात की थी। जमई उल्मा हिंद की तारीख में ये पहला मौका था, जब जमई का कोई सदर आरएसएस के आॅफिस पहुंचा था। वहीं कैलाश आनंद गिरी और अरशद मदनी की मुलाकात से कई मअनी निकाले जा रहे हैं। जहां तक कैलाशा नंद गिरी महाराज का ताल्लुक है, वो निरंजनी अखाड़ा के आचार्य महामंडलेश्वर हैं। निरंजनी अखाड़ा में सबसे ज्यादा तालीम-ए-याफता संत हैं। उनमें डाक्टर्ज, प्रोफेसर्ज़ और पेशावर अफराद शामिल हैं। निरंजनी अखाड़ा के तकरीबन 70 फीसद संत आला तालीम से आरास्ता हैं। अखाड़े में दस हजार से ज्यादा नागा सन्यासी भी हैं।
जरूरतमंद तालिब-ए-इल्म के लिए दो करोड़ की स्कालरशिप
नई दिल्ली : मर्कजी दफ़्तर जमई उलमा हिंद के मदनी हाल नई दिल्ली में जमई उल्मा हिंद की वर्किंग कमेटी का एक इंतिहाई अहम इजलास सदर जमई उल्मा हिंद मौलाना अरशद मदनी की सदारत में मुनाकिद हुआ। इजलास के शुरका ने मुल्क की मौजूदा सूरत-ए-हाल पर गौर-ओ-खौज करते हुए मुल्क में बढ़ती फिरकावारियत शिद्दत पसंदी, अमन-ओ-कानून की अबतरी और मुस्लिम अकलीयत के खिलाफ बदतरीन इमतियाजी रवैय्या पर सख़्त तशवीश का इजहार किया।
इजलास में कहा गया कि मुल्क के अमन व इत्तेहाद और यकजहती के लिए ये कोई अच्छी अलामत नहीं है, फिरकापरस्त ताकत के जरीया आईन-ओ-कानून की पामाली की ये मौजूदा रविश मुल्क के जमहूरी ढाँचे को तार-तार कर रही है और साथ ही दूसरे अहम मिल्ली और समाजी इशूज और असरी तालीम और इस्लाह मुआशरा के तरीका-ए-कार यहां तक कि दफ़्तरी-ओ-जमाती उमूर पर तफसील से गुफ़्तगु हुई।
इजलास में मुख़्तलिफ मुआमलों को लेकर जमई हिंद की कानूनी इमदाद कमेटी जो मुकद्दमात लड़ रही है, उनकी पेशरफत का भी जायजा लिया गया। इन मुकद्दमात में आसाम में शहरीयत और मुल्क में मजहबी मुकामात के तहफ़्फुज से मुताल्लिक एक्ट को बरकरार रखे जाने वाले जेर-ए-समाआत अहम मुकद्दमात भी शामिल हैं, आसाम शहरीयत के ताल्लुक से सुप्रीमकोर्ट ने जो एनआरसी करवाई है, उसकी बुनियाद 1971 है, खुदा-ना-खासता 1951 को बुनियाद बनाया गया तो एक बार फिर आसाम के लाखों लोगों की शहरीयत पर खतरा मंडलाने लगेगा।
इजलास में ये तय पाया कि जमई उल्मा हिंद की मजलिस-ए-मुंतजिमा का इजलास बिहार की दार-उल-हकूमत पटना में 24, 25 फरवरी को किया जाएगा, 26 फरवरी को इजलास आम मुनाकिद होगा।
नादार और जरूरतमंद तलबा को दी जाने वाली स्कालरशिप को तलबा की बढ़ती तादाद के पेश-ए-नजर एक करोड़ से बढ़ा कर इस साल दो करोड़ रुपय कर दिया गया है। तवक़्को है कि हम अपनी मुजव्वजा बजट से जिÞयादा से ज्यादा जरूरतमंद बच्चों तक अपनी माली तआवुन पहुंचा सकेंगे। इस मौका पर मजलिस-ए-आमला से खिताब करते हुए सदर जमई-ए-हिंद मौलाना अरशद मदनी ने कहा कि एक तरफ जहां मजहबी शिद्दत पसंदी को हवा देने और अवाम के जहनों में मुनाफिरत का जहर भरने का मजमूम सिलसिला पूरे जोर-ओ-शोर से जारी है, वहीं दूसरी तरफ मुस्लमानों को तालीमी और सियासी तौर पर बेहैसियत कर देने के खतरनाक मन्सूबा का भी आगाज हो चुका है। मौलाना मदनी ने कहा कि पिछले चंद बरसों के दौरान मुल्क की इकतिसादी और मआशी हालत हद दर्जा कमजोर हुई है और बेरोजगारी में खतरनाक हद तक इजाफा हो चुका है, मगर इसके बावजूद इकतिदार में बैठे लोग मुल्क की तरक़्की का ढंडोरा पीट रहे हैं और इस मुहिम में जां बदार मीडीया उनका खुल कर साथ दे रहा है, जो निहायत ही अफसोसनाक सूरत-ए-हाल है।