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खजूर पैदा करने के हवाले से दुनियाभर में मशहूर है अल जजाईर का बसकरा शहर

 
दुनिया में कहां होती है सबसे ज्यादा खजूरों की पैदावारE ¨production of dates
दुनिया में कहां होती है सबसे ज्यादा खजूरों की पैदावारE ¨production of dates 

अल जजाईर की पहचान बनीं खजूरें, बड़ा जरीया मआश भी 

दुबई: आईएनएस, इंडिया 

अमरीकी मुसन्निफ (लेखक) लूइस लार्मो कहते हैं कि आप सहरा से नहीं लड़ सकते, आपको उसके साथ ही सफर करना पड़ेगा। ये एक कहावत है, जिसपर अल जजाइर के सहराओं में बसने वाले अमल कर रहे हैं। 

दुनिया में कहां होती है सबसे ज्यादा खजूरों की पैदावारE ¨production of dates

दुनिया में कहां होती है सबसे ज्यादा खजूरों की पैदावारE ¨production of dates 

इन अलजजाइरी शहरीयों ने सहराओं में पाई जानेवाले अश्या (चीजों) से फायदा उठाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं जिनमें सरे फेहरिस्त है खजूरें। तमाम अल-जजाइर के लिए खजूर शनाख़्त की एक अलामत होने के साथ एक जरीया मआश भी है। अल-जजाइर में खासतौर पर सर्दियों में खजूर आपको हर घर की खाने की मेज पर मिलेगी। अलजजाइरी खजूर की शोहरत उसके मेयार की वजह से मुल्क के बाहर भी फैली हुई है। ये खजूरें अपनी शफ़्फाफ शक्ल, मीठे जाइके, सुनहरी रंग और नरम साख्त की वजह से पहचानी जाती हैं, यही वजह है दुनिया में उनकी तलब में भी इजाफा हो रहा है। 

कुछ तारीखी हवालों में बताया गया है कि अल-जजाइर के दार-उल-उलूम से 430 किलोमीटर मुसाफत (दूरी) पर वाके बसकरा शहर खजूर पैदा करने के हवाले से दुनियाभर में मारूफ है। इस शहर ने अमरीका में उस वक़्त नाम पैदा किया, जब अमरीकीयों ने ''एंड्यू' के सहरा का इंतिखाब किया तो इस शहर को इसकी आला खजूरों की पैदावार की वजह से ''बसकरा' कहना शुरू कर दिया। उस दौर में इस अमरीकी नखलिस्तान में एक सड़क का नाम खजूर के नाम पर ' डिकला नूर' रखा गया, एक शाहराह (सड़क) को अल-जजाइर कहा गया और एक और को ''तूलिका' कहा जाने लगा। ये वो इलाके थे, जो बसकरा सहरा के साथ-साथ थे। इस तरह कैलीफोर्निया ''डिकला नूर' जैसी खजूरों की पैदावार के एतबार से सबसे बड़ा इलाका बन गया। अल-जजाइर उन अरब ममालिक में शामिल है, जो सबसे मुख़्तलिफ किस्म की खजूरें पैदा करते हैं। ये खजूरें सहरा के वसीअ नखलिस्तानों में फैली हुई हैं। ये खजूरें खासतौर पर बसकरा, रकला, इदरार और दीगर इलाकों में पाई जाती हैं। अल-जजाइर में पैदा होने वाली खजूरों की इकसाम (किस्मों) में दकला नूर, बंगरफ, अल शेख, तफाजा, फिराना, उकाज, अहर्ताना, तजराजी, तीनासर, मसऊद, तंर्को, तुंदकान, तमिलेहा, तनजदल, तजीजाव, वाकेली, यखाल, अल शेख अहमद, अलसुबह, अलमकनतेशी और दीगर शामिल हैं। 

सरकारी आदाद व शुमार से पता चलता है कि अल-जजाइर 2021 में खजूर बरामद करने के मैदान में दुनिया में सातवें नंबर पर है। यहां से 79 मिलियन डालर की खजूर बरामद की जाती है। खजूर की पैदावार 2019 में 11.36 मिलियन क्विंटल के साथ अपने उरूज पर पहुंच गई। सबसे ज्यादा 6.14 मिलियन क्विंटल ''दकला नूर' खजूर रही। उसके बाद 3.02 मिलियन क्विंटल के साथ खुशक खजूरें, फिर 2.2 मिलियन क्विंटल बाकी नरम खजूरों की पैदा-वार रिकार्ड की गई। 2017 और 2021 के दरमयान अल जजाइर की खजूरें दरआमद करने वाले ममालिक की औसत तादाद 66 ममालिक के बराबर थी। 2021 में ये तादाद 72 हो गई। अल-जजाइर की हुकूमत ने 2024 के आखिर तक अल-जजाइर की खजूर दरआमद करने वाले ममालिक की तादाद 150 ममालिक तक बढ़ाने की कोशिशों को दोगुना करने का कहा है। 

वजीर-ए-तिजारत कमाल रजीक ने हाल ही में कहा है कि अल-जजाइर तकरीबन 75 ममालिक को खजूरें बरामद करता है और हमारा मकसद है कि इस तादाद को बढ़ाते हुए 2024 के आखिर तक इस तादाद को 150 मुल्कों तक पहुंचा दिया जाए। इससे बरामद होने वाली खजूरों की कुल मालियत 250 मिलियन डालर से कम नहीं रहेगी। अल-जजाइर की वजारत तिजारत के मुताबिक साल 2022 के पहले दस महीनों में खजूर बरामद करने वाले अल-जजाइर के अफराद की तादाद बढ़कर 365 बरामद कुनुन्दगान हो गई। 2021 की इसी मुद्दत में 350 बरामद कुनुन्दगान थे। हुक्काम की कोशिश है कि अल-जजाइर के बरामद कुनुन्दगान की तादाद को दो गुना कर दिया जाए क्योंकि अल-जजाइर में खजूर की पैदावार का तकरीबन 1.2 मिलियन टन सालाना लगाया गया है।


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