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मलेशिया जाने वाले 46 रोहंगया मुहाजिरीन को समुंद्र से बचा लिया गया

मलेशिया जाने वाले 46 रोहंगया मुहाजिरीन को समुंद्र से बचा लिया गया

लंदन : आईएनएस, इंडिया

गुजिश्ता हफ़्तों के दौरान दर्जनों रोहंगया पनाह गुजीनों के कश्तीयों से समुंद्र में छलांग लगाने के बाद उनके डूब जाने का खदशा जाहिर किया जा रहा था, हालांकि अब ऐसा लगता है कि इस हफ़्ते कम अज कम 46 मुहाजिरीन थाईलैंड पहुंच चुके हैं। 

थाई मेरी टाइम इनफोर्समंट कमांड सेंटर ने इतवार को अपने फेसबुक पेज पर इत्तिला दी कि कुछ थाई माहीगीरों (मछुवारों) ने सुबह समुंद्र से तीन रोहंगया लड़कों को बचाया था। फेसबुक पोस्ट में कहा गया है कि तकरीबन 100 रोहंगया पनाह गुजीनों को ले जाने वाली एक कश्ती से तीन ने समुंद्र में छलांग लगा दी और मदद के लिए तैरते हुए माहीगीरी की कश्ती के करीब पहुंचे। रोहंगया स्पोर्ट एंड मूवमैंट ग्रुप अराकान प्रोजेक्ट की डायरेक्टर करस लेवा ने जुमा को बताया कि थाई सय्याहों (पर्यटकों) की एक कश्ती ने एक और रोहंगया नौजवान को डूबने से बचा लिया। 

उन्होंने यह भी कहा कि हमारे पास ये भी मालूमात हैं कि तकरीबन 42 रोहंगया के एक ग्रुप को पोकेट में गिरफ़्तार करने के बाद एक मुकामी पुलिस स्टेशन में हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा कि पोकेट, एक ऐसा जजीरा है, जो आम तौर पर रोहंगया ग्रुपों को मलाईशीया पहुंचाने वाले स्मगलरों के जमीनी रास्ते पर नहीं है। ताहम (हालांकि), बंगला देश और मलाईशीया में मुकीम मताद रोहंगया मुहाजिरीन ने बताया कि उनका ख़्याल है कि मंगल को पोकेट में गिरफ़्तार किए गए तकरीबन 42 अफराद 70-80 के ग्रुप से थे जिन्होंने 23 दिसंबर के करीब अपनी कश्ती से छलांग लगा दी थी। मलाईशीया में रहने वाले मुहम्मद जुबैर ने कहा कि उन्हें पक्का यकीन था कि उनके कजन ने दूसरों के साथ कश्ती से छलांग लगाई जब उनकी कश्ती पोकेट के करीब थी। 

मेरे कजन मुहम्मद इनायत उल्लाह जमीनी और समुंद्री रास्ते पर थे, जब वो बंगला देश में पनाह गजीन कैंप छोड़कर मलाईशीया के लिए रवाना हुए। मियांमार से, वो 13 दिसंबर को एक कश्ती पर सवार हुए जिसमें तकरीबन 200 रोहंगया थे। मैं कश्ती पर मोबाइल फोन पर उनसे बाकायदा राबते में रहा। बराह-ए-रास्त समुंद्री रास्ता इखतियार करने के अलावा कुछ स्मगलर रोहंगया पनाह गुजीनों को छोटी कश्तियों के जरीये पहले बंगला देश से मियांमार ले जाते हैं। जहां से वो थाईलैंड के लिए दुबारा कश्तीयों पर सवार होने से पहले, मियांमार में जमीनी सफर करते हैं। थाईलैंड से वो सरहद उबूर करते हैं और सड़क के जरीये मलाईशीया में दाखिल होते हैं। इस रास्ते का इस्तिमाल करते हुए पोकेट से नहीं गुजरना पड़ता। 

जुबैर ने मजीद कहा कि 22 दिसंबर को उनके कजन ने उन्हें फोन किया और कहा कि उनकी कश्ती बहुत आहिस्ता चल रही है और खाना और पानी खत्म हो गया है, लेकिन उन्हें उम्मीद है कि वो जल्द ही इंडोनेशिया या मलाईशीया में उतर जाएंगे। जुबैर कहते हैं, जब मैंने 24 दिसंबर को मोबाइल फोन पर काल की तो कश्ती पर सवार एक रोहंगया शख़्स ने बताया कि मेरे कजन ने 23 दिसंबर को 70 से ज्यादा लोगों के साथ, जो तमाम मर्द थे, समुंद्र में छलांग लगा दी थी। जब मैंने उस दिन के बाद दुबारा फोन किया तो एक और रोहंगया ने बताया कि मेरे कजन और दीगर लोग तैर कर जजीरे की तरफ गए थे और बजाहिर वहां पहुंचने में कामयाब हो गए थे। 25 दिसंबर के बाद, बहुत कोशिशों के बावजूद मेरा उनसे राबता नहीं हो सका। 


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