नई तहरीक : भिलाई
पीस आडिटोरियम में स्व परिवर्तन योग कार्यक्रम ‘साइलेंस की गहराई’ के साथ मनाया नव वर्ष
नव वर्ष के आगमन में लक्ष्य और लक्षण समान हो, लक्ष्य तो 99 प्रतिशत याद रहता है, लेकिन लक्षण धारण नहीं हो पाता। लक्षण धारण करने के लिए निरहंकारी स्थिति आवश्यक है, ‘जो ओटे, सो अर्जुने।’ उक्त उद्गार सेक्टर 7 स्थित अंतर्दिशा भवन के पीस आॅडिटोरियम में राजयोग सत्र में वरिष्ट राजयोग शिक्षिका ब्रह्माकुमारी प्राची दीदी ने नव वर्ष के आगमन पर एक जनवरी से प्रारम्भ स्व परिवर्तन हेतु 31 दिवसीय तपस्या कार्यक्रम ‘साइलेंस की गहराई’ के अवसर पर व्यक्त की।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बुद्धि का, गुणों का अभिमान और अहंकार सूक्ष्म में भी है तो स्व परिवर्तन मुश्किल है, हमारा नेचुरल अटेंशन हो जाए, उदासी, अकेलापन, व्यर्थ संकल्पों का तूफान हमें लक्ष्य से हटा देता है, इससे बचने के लिए जीवन में उमंग, उत्साह और खुशियां हो, ऐसा संग करना है। उन्होंने शिवानी दीदी के उदाहरण द्वारा बताया कि उन्होंने जीवन में प्रशंसा और मान स्वीकार नहीं किया, इसलिए आज तक असंख्य लोगों को समाधान देकर परमात्म कार्य के निम्मित बनी हैं। उन्होंने कहा, दूसरों में कमियों को देखना भी अहंकार का स्वरूप है, अहंकार का एक ही दरवाजा है ‘मैं’ शब्द, ‘मैं’ पन की स्मृति आए तो याद रखें, मुझे परमात्मा ने भेजा है, निर्माणता सहज निरअंहकारी बनाती है, वृत्ति, दृष्टि, वाणी, संबंध, संपर्क में भी निर्माणता होे।
उन्होंने कहा, मन, बुद्धि को व्यर्थ की बातों से फ्री करना है, समर्थ बनना है, बिल्कुल क्लीन, शुभ भावना, शुभकामनाएं की वृत्ति से सभी को क्षमा करोे, दुनिया में निराशा और अशांति मे लोग भटक रहे हैं, उनके लिए हमें बदलना है। दूसरों को देखना बंद कर एकांत में अंतमुर्खी हो एक संकल्प में एकाग्र होकर तपस्या करनी है।
डिवाईन ग्रुप के बच्चों ने दी प्रस्तुति
इस मौके पर डिवाइन ग्रुप के बच्चों द्वारा गुणों के गॉगल्स, खुल जा सिम-सिम, नो 4 जी, 5 जी सिम, ये है ईश्वरीय साथ का सिम, भगवान से दिल की बात करना है बहुत इजी, द नंबर यू ट्राईंग इज नेवर बिजी, जैसी मनमोहक सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। साथ ही विभिन्न स्कूलों में जारी ‘टच द लाइट प्रोग्राम’ में उत्कर्ष छात्रों को सम्मानित किया गया तथा छात्रों ने अपने में मेडिटेशन से आए परिवर्तन को साझा किया।