अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी की कुरानी खिदमात पर शोबा इस्लामिक स्टडीज में तौसीअ खुतबा
अलीगढ़ : आईएनएस, इंडिया
अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी (एएमयू) के शोबा उलूम इस्लामीया में सिलसिला तौसीअ खुतबात के तहत प्रोफेसर अबू सुफियान इस्लाही (अरबी डिपार्टमेंट) ने अलीगढ़ मुस्लिम यूनीवर्सिटी की खिदमात-ए-कुरआन के उनवान से अपना तहकीकी मकाला (शोधपरक आर्टिकल) पेश किया।
प्रोफेसर इस्लाही ने सर सय्यद अहमद खां को खिराज-ए-तहिसीन पेश करते हुए कहा कि वो पहले मुफस्सिर कुरआन थे जिन्होंने मुस्लिम यूनीवर्सिटी की बुनियाद रखी। मौसूफ ने सर सय्यद के रिसाला ‘तहरीर फी अल तफसीर’ को उसूल तफसीर की किलीद करार दिया। सर सय्यद ने तफसीर उल-कुरआन बिल कुरआन को तफसीर कुरआन का अहम उसूल करार दिया, उन्होंने कहा कि सर सय्यद ने हिन्दोस्तान में तदब्बुर कुरआन की राह हमवार की। वो अरबी के साथ इब्रानी जबान से भी वाकिफ थे। सर सय्यद ने बुनियादी तौर पर शाह वली अल्लाह की कुरानी फहम से इस्तिफादा किया और उनको अपना बुनियादी माखुज करार दिया। सर सय्यद अहमद खां
उन्होंने कहा कि इस्लामिक स्टडीज की लाइब्रेरी में आज भी सर सय्यद की कुरानी तसानीफ के इबतिदाई नुस्खे़ मौजूद हैं। डाक्टर अबू सुफियान ने शिबली नामानी को कद्दावर आलिम करार देते हुए कहा कि उन्होंने अगरचे कोई तफसीर नहीं लिखी, लेकिन एजाज कुरआन पर छोटा सा रिसाला लिख कर दरिया को कूजे में बंद कर दिया। वो अरबों की तालीफ कलूब को कुरआन का सबसे बड़ा एजाज करार देते हैं। तीसरे खादिम कुरआन के तौर पर अल्लामा हमीद उद्दीन फराही के हवाले से कहा कि बुनियादी तौर पर अल्लामा फराही ने सर सय्यद की कुरआन फहमी से इस्तिफादा किया था। अल्लामा फराही ने कुरआन के मुश्किल मुकामात, इस्तिलाहात और मफाहीम की जो तशरीह की है, उसका मुताला फहम कुरआन की नई राहें हमवार करता है।
अल्लामा फराही का बड़ा कारनामा नज्म कुरआन है, जिसके जरीया पूरा कुरआन एक मरबूत कलाम इलाही नजर आता है। प्रोफेसर इस्लाही ने कहा कि मौलाना अब्दुल लतीफ रहमानी की कुरानी खिदमात की वजाहत प्रोफेसर रियाज अल रहमान शेरवानी और सईद अहमद अकबराबादी जैसे अकाबिरीन ने अपने मकालात में की है, जिससे मौलाना रहमानी की अजमत का एतराफ किया जा सकता है। उन्होंने जामा कुरआन और तर्तीब कुरआन की बाबत उम्दा ख़्यालात का इजहार किया है। प्रोफेसर अब्दुल अलीम, साबिक वाइस चांसलर और बानी इदारा उलूम इस्लामीया मुस्लिम यूनीवर्सिटी ने तारीख एजाज कुरआन और अल बयान फी एजाज उल-कुरआन की तसनीफ व तदवीन फरमाई। ये दोनों काम मारुजी मुताला और आला तहकीक की मिसाल कायम करते हैं। मेहमान खतीब ने प्रोफेसर कबीर अहमद जाइसी, प्रोफेसर यासीन मजहर सिद्दीकी, प्रोफेसर जफर उल इस्लाम इस्लाही और प्रोफेसर उबैदुल्लाह फहद की कुरानी खिदमात पर भी इजहार-ए-खयाल किया। वकफा सवाल में प्रोफेसर उबैदुल्लाह फहद फलाही ने प्रोफेसर अब्दुल अलीम के हवाले से बाअज इश्कालात की वजाहत की। कोआर्डीनेटर प्रोग्राम प्रोफेसर अब्दुल मजीद खां ने कहा कि तौसीअ खुतबात का बुनियादी मकसद ये है कि मुस्लिम यूनीवर्सिटी के तलबा व उस्तादों के दरमयान इस्लाम की दानिश्वाराना ताबीर व तशरीह की जाए।
नाजिम इजलास डाक्टर जिÞया उद्दीन फलाही ने मेहमान खतीब का तआरुफ कराते हुए कहा कि प्रोफेसर इस्लाही अगरचे अरबी जबान व अदब के उस्ताद हैं, लेकिन उनका पूरा इलमी सरमाया इस्लामिक स्टडीज के उलूम की तहकीक व तदवीन से वाबस्ता है। अरबी कलाम में अल्लाह के तसव्वुर पर उन्हें नुकूश ऐवार्ड जबकि फखर उद्दीन अली अहमद मैमोरियल ने उन्हें सनद तौसीफ से सरफराज किया है। सदर शोबा प्रोफेसर मुहम्मद इस्माईल ने शुक्रिया के कलिमात अदा करते हुए कहा, जरूरत है कि उलूम इस्लामीया पर गुजिश्ता दो सदियों में जो काम हुआ है, उसे मुनज्जम अंदाज में जमा किया जाए। प्रोग्राम में शोबा इस्लामिक स्टडीज, शोबा अरबी, शोबा फलसफा, फैकल्टी आफ दीनयात के असातजा ने शिरकत की।