शादी-ब्याह व उर्स के अलावा दीगर किसी भी तकारीब में डीजे, बैंड बाजा व आतिशबाजी के इस्तेमाल पर किया तशवीश का इजहार
बुराईयों को जड़ से उखाड़ फेंकने का लिया फैसला
नई तहरीक : रायपुर
मआशरे के दानिश्वरों और इमाम-ओ-खतीब ने शहर में होने वाली शादी-ब्याह समेत दीगर तकारीब के मौके पर डीजे के इस्तेमाल पर पूरी तरह और सख्ती से पाबंदी नाफिज करने का फैसला लिया है। 17 जनवरी को हुई मआशरे की बैठक में शहर के तमामी मस्जिदों के इमाम-ओ-खतीब और दानिश्वरों ने शिरकत कर एक राय से फैसले पर मुहर लगाई। बैठक में लिए फैसले की प्रेस कांफे्रंस में दी जानकारी
बैठक में यह भी फैसला लिया गया कि शादी ब्याह के अलावा दीगर तकारीब में राईज बुराईयों में यह निर्णय लिया गया की मुस्लिम समाज के वैवाहिक कार्यक्रमों एवं दूसरे कार्यक्रमों में होने वाली कुरीतियों एवं बुराईयों को रोकने की जानिब सख्त कदम उठाए जाएंगे। चाहे वह उर्स के मौके पर निकाले जाने संदल व चादर के साथ बैण्ड बाजा और डीजे का इस्तेमाल हो या आतिशबाजी। बैठक में मौजूद तमामी हजरात ने एक राय से तय पाया कि शादी में डीजे या बैंड बजाए जाने पर वे निकाह नहीं पढ़ाएंगे। यही नहीं, बाराती के साथ आए इमाम को भी निकाह पढ़ाने से रोक दिया जाएगा। इमामों के इस फैसले की ताईद (समर्थन) करते हुए अवाम ने कहा कि जिस शादी में इमाम निकाह पढ़ाने से इंकार करेंगे, वे खुद भी उस शादी का बायकाट करेंगे।
गौरतलब है कि इस्लाम के पैरोकारों के लिए किसी भी तकरीब में बैंड बाजा व आतिशबाजी की मनाही है। इसके बावजूद मआशरे में इसका चलन आम हो गया है और जोर पकड़ता जा रहा है, जो न सिर्फ फिजूलखर्ची है बल्कि फितना का बायस है। मआशरे की बैठक में लिया गया यह फैसला जिलेभर में सख्ती से नाफिजुल अमल होगा। यही नहीं, इसे रियासतभर में नाफिज करने की कोशिश की जाएगी। इसके लिए बाकायदा शहर से लेकर मोहल्ला की सतह पर कमेटी बनाई जाएगी साथ ही दीगर तंजीम से मदद ली जाएगी। बैठक से खिताब करते हुए शहर काजी व दीगर इमामों ने नवजवानों को बुराईयों से बाज रहने की अपील की। इमामों ने कहा कि इस्लाम में आतिशबाजी व बाजा बजाना मना है। इसका इस्तेमाल फिजूलखर्ची के साथ-साथ शोर व फिजाई आलूदगी समेत मुख्तलिफ परेशानियों का सबब बनता है।
नौजवानों से अपील
बैठक में मौजूद मआशरे के दानिशमंद हजरात ने नौजवानों से ऐसी सभी किस्म की बुराईयों से दूर रहने की अपील की जो मआशरे के अलावा मुल्क के अमन-ओ-अमान को मुतास्सिर करे। मआशरे की इस पहल पर शहर की दीगर मजहबी व सामाजिक तंजीमों ने इस्तकबाल किया है। सामाजिक चेतना को जागृत करने वाली संस्था ‘नागरिक संघर्ष समिति’ ने मुस्लिम मआशरे की इस पहल पर मआशरे को मुबारकबाद देते हुए हर मुमकिन मदद का भरोसा दिलाया है।
17 जनवरी को मुनाकिद अपने मकसद में पूरी तरह कामयाब रही। बैठक में मौजूद मुख्तलिफ मसाजिद के इमाम-ओ-खतीब, उल्मा तंजीम के अहलकार व मआशरे के दानिश्वरों ने मआशरे में राईज बुराईयों को जड़ से उखाड़ फेंकने का जिम्मा उठाया है।