मुफ़्ती मुहम्मद राशिद आजमी, कारी हबीब अहमद व दीगर उलमाए कराम ने किया खिताब
मुंबई : आईएनएस, इंडिया
शहर मुंबई की मारूफ दीनी दर्सगाह मुदर्रिसा रियाज उल-उलूम मस्जिद फुरकानिया गोवंडी के 42 हुफ़्फाज तलबा के तकमील हिफ़्ज कुरआन के मौका पर अजीमुश्शान जलसा दस्तारबन्दी का एहतिमाम किया गया। जलसे की सदारत जामिआ अरबिया के मुहतमिम कारी सय्यद हबीब अहमदाबादी ने की।
दस्तारबन्दी के अजीमुश्शान इजलास से खिताब करते हुए दार-उल-उलूम देवबंद के नायब मुहतमिम और उस्ताज हदीस मुफ़्ती मुहम्मद राशिद आजमी ने कहा कि मौजूदा दौर में मदारिस की एहमीयत इस्लामी हुकूमतों से ज्यादा है, ये मदारिस इस्लामी हुकूमतों से ज्यादा मुफीद और कारगर है, जब तक ये मदरसे बाकी रहेंगे, उस वक़्त तक इस्लाम बाकी रहेगा और इन शा अल्लाह ये मदरसे कियामत तक बाकी रहेंगे। उन्होंने मजीद कहा कि इस वक़्त 42 तलबा जो मुदर्रिसा रियाज उल-उलूम से फारिग हुए हैं, और उनके सिरों पर अभी उलमाए किराम ने दस्तार-ए-फजीलत बाँधी है, दरअसल यही हुफ़्फाज तलबा मुदर्रिसा की कारकर्दगी के अमली नमूने हैं, यही तलबा मुदर्रिसा के मुफीद और मुदर्रिसा की तालीम व तरबीयत की बेहतरीन मिसाल हैं। File Photo
उन्होंने कहा, कोरोना और लाक डाउन के जमाने में जबकि पूरी दुनिया का कारोबार ठप पड़ गया था, हर शख़्स अपनी जान की हिफाजत के लिए अपने घरों में मुकय्यद था, ये कुरआन-ए-करीम का एजाज ही है कि ऐसे ना-मुवाफिक और वबाई हालात में मेरे इल्म के मुताबिक तकरीबन दस हजार तलबा ने कुरआन-ए-करीम को हिफ़्ज किया।
मुफ़्ती आजमी ने मजीद कहा कि आपको मालूम होना चाहीए कि कुरआन-ए-करीम आसमानी किताबों में से ज्यादा अहम और सबसे ज्यादा पढ़ी जाने वाली किताब है, इसका नुजूल अल्लाह तबारक व ताअला ने अपने महबूब नबी और पैगंबर आखिरुज्जमां मुहम्मद सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम पर किया। उन्होंने कहा, वही का नुजूल इतना बोझल होता कि आप सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम जिस ऊंटनी पर सवार होते, वो ऊंटनी वही का बोझ बर्दाश्त ना कर पाने की वजह से बैठ जाती। लेकिन ये मोजिजा है कि आज उम्मत मुहम्मदिया का बच्चा-बच्चा कुरआन को अपने सीने में उठाए फिर रहा है।
इस मौका पर मारूफ आलमे दीन मौलाना हकीम महमूद अहमद खां दरयाबादी ने खिताब करते हुए कहा कि हम जिस मुल्क में रह हैं, वहां हम अकलीयत में हैं, हमें अक्सरीयत के साथ रहने के तौर तरीकों और उसूल को सीखना चाहीए और उसीके मुताबिक मुल्क में जिंदगी गुजारनी चाहीए। दार-उल-उलूम इमदादिया के सदर मुफ़्ती मौलाना सईद अल रहमान फारूकी कासिमी ने कहा कि हुफ़्फाज किराम का हम जितना ज्यादा एजाज वा कराम करेंगे, दुनिया व आखिरत में उतने ही कामयाब व कामरान होंगे। अपने सदारती खुतबा जामिआ अरबिया हथौराबानदा के मुहतमिम कारी हबीब अहमदाबादी ने कहा कि बड़े ही खुशनसीब हैं वो वालदैन जिनके बच्चों ने कुरआन-ए-करीम मुकम्मल हिफ़्ज किया और उन के सिरों पर आज दस्तार-ए-फजीलत बाँधी गई, यकीनन उनकी दुनिया और आखिरत दोनों सँवर गई, उन्होंने मजीद कहा कि ये मदरसे इस्लाम के किले हैं, इस्लाम की हिफाजत इन्ही मदारिस से होती है, आप लोगों को चाहीए कि आप मदारिस और उल्मा से मुहब्बत करें, क्योंकि उल्मा से मुहब्बत करने वालों के लिए भी खुशखबरी है। जलसा का आगाज मुदर्रिसा रियाज उल-उलूम के सीनीयर उस्ताज कारी मुहम्मद शमीम की तिलावत कलाम अल्लाह से हुआ, नाअत नबी का नजराना मुदर्रिसा के उस्ताज हाफिज सगीर अहमद, मौलाना अहमद हुसैन और मस्जिद अनवार गोवंडी के इमाम व खतीब मुफ़्ती मुहम्मद शरफ उद्दीन अजीम कासिमी ने पेश किया। मुदर्रिसा के मुहतमिम मुफ़्ती मुहम्मद अहमद कासिमी ने मुदर्रिसा की तफसीली रिपोर्ट पेश की, निजामत के फराइज जमई उलमा महाराष्ट्र के जनरल सेक्रेटरी मौलाना मुहम्मद जाकिर कासिमी ने अंजाम दिए। सदर जलसा कारी हबीब अहमदाबादी की रिक़्कत आमेज दुआओं पर जलसा का इख्तेताम हुआ।