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दुनियाभर में पत्रकारों के कत्ल के मामले में 30 फीसद की बढ़ोतरी

लंदन : आईएनएस, इंडिया 

इस साल दुनिया में पत्रकारों के कत्ल के वाकियात में गुजिश्ता बरस के मुकाबले में 30 फीसद इजाफा देखा गया है। न्यूज एजेंसी एसोसीएटेड पे्रस के मुताबिक साल 2022 में दुनियाभर में 67 पत्रकारों को काम के दौरान कत्ल किया गया। इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स (आईएफजे) के मुताबिक गुजिश्ता बरस ये तादाद 47 थी। ब्रूसेल्ज में कायम इंटरनेशनल फेडरेशन की रिपोर्ट के मुताबिक रूस-यूक्रेन जंग, हेटी और मैक्सीको में जराइमपेशा ग्रुप्स की कार्यवाईयों के चलते पत्रकारों पर जुल्म के वाकियात में इजाफा हुआ है। रिपोर्ट में बताया गया है कि इस वक़्त दुनिया में 375 पत्रकार हिरासत में हैं जिनमें सबसे ज्यादा तादाद चीन में गिरफ़्तार पत्रकारों की है। मियांमार और तुर्की में भी पत्रकारों की एक बड़ी तादाद हिरासत में है। गुजिश्ता बरस के दौरान 365 पत्रकार अपने काम के दौरान गिरफ़्तार किए गए थे। मीडीया से जुड़े लोगों के खिलाफ जुल्म में इजाफे़ को देखते हुए इंटरनेशनल फेडरेशन आफ जर्नलिस्ट्स ने हुकूमतों से मांग की है कि वो पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कदम उठाए। 

आईएफजे के जनरल सेक्रेटरी एंथोनी बीलंगर ने कहा है कि पत्रकारों को सुरक्षा देने में नाकामी सिर्फ उन लोगों की हौसला-अफजाई करेगी जो खबरों को रोकना चाहते हैं। हुकूमतों को इस बात को यकीनी बनाना होगा कि ताकत और रसूख रखने वाले पत्रकारों की राह में आड़े न आएं। यूक्रेन में ज्यादातर पत्रकारों के कत्ल के वाकियात जंग के शुरुआत में पेश आए बाद में जंग के तूल खींचने के साथ पत्रकारों पर खतरे बढ़ें हैं। आईएफजे के मुताबिक पाकिस्तान में इस साल पांच पत्रकारों को कत्ल कर दिया गया। 

मशहूर पत्रकार आमिर सलीम की वफात पर उर्दू एकेडमी दिल्ली में ताजियती नशिस्त 

नई दिल्ली : दिल्ली से पब्लिश होने वाला उर्दू रोजनामा ''हमारा समाज' के एडीटर आमिर सलीम खान की मौत पर उर्दू एकेडमी दिल्ली में ताजियती नशिस्त का इनइकाद किया गया,जिसमें एकेडमी के जुमला स्टाफ ने शिरकत की। एकेडमी के वाइस चेयरमैन हाजी ताज मुहम्मद ने गम का इजहार करते हुए कहा कि मरहूम आमिर सलीम खान उर्दू के नामवर और संजीदा सहाफी थे। वो गुजिश्ता 13 बरसों से रोजनामा ‘हमारा समाज’ से जड़े हुए थे। इससे कब्ल वो ‘हिन्दोस्तान एक्सप्रेस’ और ‘रोजनामा राष्ट्रीय सहारा’ उर्दू में भी रिपोर्टर के फराइज अंजाम दे चुके थे। उर्दू सहाफत में उनका शुमार काबिल-ए-एहतिराम सहाफीयों में होता है और वे कदर की निगाह से देखे जाते थे। आमिर सलीम खान बुनियादी तौर पर आलमे दीन थे और मशहूर दीनी दर्सगाह जामिआ दिल्ली से उन्होंने फजीलत किया था। आखिर में मरहूम के लिए दुआ की गइ


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