जब पत्नी कहे, मु­ो आप पर गर्व है तो सम­ा लेना आप सफल हो


जीने की कला पर आधारित प्रवचन माला आयोजित
रविवार को सुबह 9 बजे विशेष प्रवचन

नई तहरीक : दुर्ग 

राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्री ललितप्रभ सागर जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि विपरीत परिस्थितियां, नेगेटिविटी हर आदमी की जिंदगी में आती है, मन के प्रतिकूल वातावरण तो हर आदमी के जीवन में बनता है, लेकिन एक बात तय है, जिंदगी की बाजी वही जीतता है जो प्रतिकूल वातावरण आने पर भी अपने मन की स्थिति को अनुकूल बनाए रखता है। 

उन्होंने आगे कहा कि तस्वीर में तो हर कोई मुस्कुरा सकता है, जीवन की बाजी वही जीतता है, जो तकलीफ में भी मुस्कुराना सीख जाए। संत प्रवर शनिवार को श्री जैन श्वेतांबर मूर्तिपूजक संघ द्वारा बांधा तालाब में आयोजित तीन दिवसीय प्रवचन माला के शुभारंभ पर श्रद्धालुओं को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम स्वयं को तौलें कि मैं कितना हीरा हूं, और कितनी कांच। कैमरे और एक्सरे की फोटोग्राफी में अंतर होता है। आदमी हीरा तब नहीं होता, जब समाज के मंच पर बुलाकर कहा जाता है कि ये आदमी हीरा है। आदमी बड़ा तब होता है, जब उसे उसके परिवारजन हीरा समझते और कहते हैं। यदि आपकी धर्मपत्नी कहे कि मुझे गौरव है कि आप जैसा पति मिला है, तो समझ लेना आप जीवन की बाजी जीत गए हैं। गौरव का अनुभव तब करना, जब आपका बेटा आपसे कहे कि पापा मैं बड़ा होकर आप जैसा बनना चाहता हूं। आदमी अपने घर वालों के दिलों में जगह बनाए, यह उसके जीवन की पहली सफलता है। किसी भी इंसान की जिंदगी का सबसे पहला सत्कर्म यही है कि वह अपने स्वभाव को हमेशा मधुर-मीठा, आनंदभरा बनाए रखे। 

संत प्रवर ने आगे कहा कि आदमी को अपने जीवन के केंद्र बिंदु तय करने होंगे कि वह अपने जीवन में बनना क्या चाहता है। अक्सर व्यक्ति के जीवन के दो-तीन खास लक्ष्य होते हैं। उसका पहला लक्ष्य होता है, अच्छा पा लूं। ये भी पा लूं, वो भी पा लूं, ये भी बटोर लूं, वो भी बटोर लूं। पूरी दुनिया में जितनी दौलत है,  आदमी को लगता है सारी दौलत मेरी हो जाए। इतना ही नहीं, वह यह भी चाहता है कि मुझसे ज्यादा अमीर, मुझसे ज्यादा सुखी और कोई न हो। आदमी इसी एक लक्ष्य को पाने के लिए जिंदगीभर लगा रहता है। आदमी जिंदगीभर धन-धन करता रहता है और इस तरह उसका नि-धन हो जाता है। जब हम जन्मे थे तो माँ ने हमें जो लंगोट पहनाई थी, उसमें कोई जेब नहीं थी। और जब मरेंगे तो ये दुनिया जो अंतिम वस्त्र ओढ़ाएगी, यानि कफन में भी जेब नहीं होता। पर आदमी जिंदगीभर अपनी जेब भरने में ही लगा रहता है। उसकी ख्वाहिश होती है, पूरी दुनियाभर की दौलत पा लूं। पता नहीं ये दौलत उसके किस दिन काम आएगी। 

संत प्रवर ने कहा कि जिंदगी जीने के लिए सबको इसी एक चीज का परिवर्तन चाहिए, वेष बदले कि ना बदले, परिवेश बदले कि ना बदले, देश बदले की ना बदले, पर आदमी अपनी एक मानसिकता सुधार लेता है तो जिंदगी अपने-आप सुधर जाती है। जब तक आदमी अपने आपको नहीं बदल लेता, स्वयं का रूपांतरण नहीं कर लेता, तब तक जिंदगी आनंद से नहीं भर पाती। पूरी दुनिया में एक ही व्यक्ति है जो आपको सुधार सकता है, आपकी जिंदगी को स्वर्गनुमा बना सकता है, और वो आप खुद हैं। 

चेहरे से हजार गुना बलवान चरित्र 

संत श्री ने कहा कि आदमी की पहली कमजोरी है कि वह हमेशा पाना चाहता है। और उसकी दूसरी कमजोरी यह है कि वह हमेशा अच्छा दिखे। मैं जहां जाऊं, लोग मुझे पसंद करें। संत श्री ने कहा, अपने चेहरे को हमेशा मत सजाओ, अगर सजाना ही है तो अपने मन और आत्मा को सजाओ, क्योंकि इसी आत्मा को परमात्मा के द्वार जाना है। दुनिया में चेहरे से भी हजार गुना बलवान चरित्र है। भगवान मंदिरों में इसीलिए ही नहीं पूजे जा रहे कि उनका केवल चेहरा सुंदर था, उनकी पूजा उनके सुंदर चरित्र से हो रही है। सिकंदर सम्मान पा सकता है पर श्रद्धा तो दुनिया में महावीर और राम ही पाते हैं। त्यागी से ज्यादा महान दुनिया में और कोई नहीं। हर सुंदर व्यक्ति आइना देखकर यह संकल्प करे कि हे प्रभु! जितना सुंदर तूने चेहरा दिया है, उतना ही सुंदर चरित्रवान बनने की ओर अग्रसर होने मुझे सर्वदा अवसर प्रदान कर। आदमी के जीवन का निर्माण तब नहीं होता, जब वह अच्छा पाना, अच्छा दिखना चाहता है, उसके जीवन का निर्माण तब होता है, जब वह अच्छा बनना चाहता है। 

संत श्री ने कहा कि जिंदगी में तीन बातें हमेशा याद रखें। पहली यह कि कभी किसी का अपमान न करें। क्योंकि जीवन में अशांति और कलह की शुरूआत इसी से होती है। दूसरी बात, अगर कोई आपका अपमान कर दे तो उसका बुरा न मानो, उसे गांठ बना कर न रखो। तीसरी बात है- अगर किसी के द्वारा किए हुए अपमान का बुरा लग भी गया है तो बदले की भावना मत रखना। जो व्यक्ति इन तीन बातों को जीवन में उतार लेता है, वह सामायिक का आराधक बन जाता है। 36 इंच का सीना उसी का होता है, जो गलती करने वाले को भी दिल बड़ा करके माफ कर देता है। जिसका स्वभाव गर्म, टेढ़ा होता है, उसके पास कोई बैठना भी नहीं चाहता। जो आदमी विनम्र रहता है, वह दुनिया में राज करता है। 

धर्मसभा का शुभारंभ दीप प्रज्जवलन से हुआ। इससे पूर्व राष्ट्र संतों के नगर आगमन पर सकल समाज के श्रद्धालुओं द्वारा धूमधाम से उनका स्वागत किया गया।

रविवार को सुबह 9 बजे संत प्रवर करेंगे विशेष प्रवचन 

परम पूज्य मुनि भगवंत ने श्रमण श्रेष्ठ श्री रतन मुनि जी महाराज सा, से आत्मीय आशीर्वाद लेकर शनिवार की सभा प्रारंभ की। मनोहर शिशु परम पूज्या लयस्मीता श्री जी म सा भी अपनी साध्वी मंडल के साथ उपस्थित रहीं। प्रवेश कार्यक्रम में संघ समाज एवं शहर के गणमान्य नागरिक बड़ी संख्या में उपस्थित थे। 

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  1. किताबी ज्ञान के साथ-साथ आचरण और कर्म से भी शिक्षित करें
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