शोलापुर : मराठी और अंग्रेजी मीडियम तलबा के लिए उर्दू जबान मुफ़्त सिखाने के लिए खादिमान-ए-उर्दू फोरम सोलहपुर की जानिब से तातीलात (छुट्टियों) में एक माह का क्रैश कोर्स का एहतिमाम किया गया। इखततामी प्रोग्राम से खिताब करते हुए फोरम के सदर वकार अहमद शेख ने कहा कि उर्दू जबान किसी जात या कौम की जबान नहीं है। ये दो कौमों को जोड़ने का काम करती है और तमाम मजाहिब में हम-आहंगी पैदा करने वाली खालिस हिन्दुस्तानी जबान है। इसी मकसद के तहत मराठी और इंग्लिश मीडियम के तलबा के लिए उर्दू सिखाने का क्रैश कोर्स फोरम की तरफ से मुनाकिद कर सभी को उर्दू सिखाने का एक नया पैगाम दिया है।
तलबा को तलकीन करते हुए उन्होंने कहा कि रोजाना उर्दू अखबार पढ़ें और लिखने की मश्क करें। डायरेक्टर नासिर उद्दीन अशर्फी ने कुरआन-ए-मजीद की सूरा अलक की तिलावत के साथ प्रोग्राम का आगाज किया। फोरम के ज्वाइंट सेक्रेटरी महमूद नवाज ने जामा अंदाज में फोरम के तामीरी प्रोग्रामों के जरीया उर्दू जबान-ओ-अदब की तरक़्की-ओ-तरवीज के ताल्लुक से फोरम की खिदमात का जायजा पेश किया। उन्होंने कहा कि फोरम महाराष्ट्र में मुनफरद तरीके से सबसे पहले उर्दू जबान-ओ-अदब की खिदमात अंजाम दे रहा है। फोरम के सदर वकार अहमद शेख, जवाइंट सैक्रेटरी महमूद नवाज कोआडीर्नेटर रफीक खान, डायरेक्टर अनवर कमीशनर, अब्दुल मन्नान शेख, नासिर उद्दीन, इकबाल बागबान ने सदर-ए-जलसा और मेहमानान खुसूसी का इस्तिकबाल करते हुए उनकी खिदमत में शाल और गुलहाए अकीदत पेश किए।
मेहमान-ए-खुसूसी क्रेसेंट इंग्लिश स्कूल के सदर आबिद रंगरेज ने कहा कि आज के दौर में उर्दू बोलने वाले मुआशरा के सामने एक बहुत ही अहम मसला अपनी जबान, सकाफ़्त और तशख़्खुस के तहफ़्फुज का है। उर्दू मीडियम के असातिजा तदरीस के दौरान मुकामी जबान की बजाय अदबी जबान का इस्तिमाल करें। महफिलों और घरों में भी खालिस उर्दू बोलने की कोशिश करें ताकि उर्दू की मिठास बाकी रहे। मेहमान-ए-खुसूसी जमीर उद्दीन (सैंट जोजफ स्कूल) कौसर मुंशी मैडम, एमन कर्जगी मैडम ने मजमूई तौर पर कहा कि तलबा को उर्दू सिखाने से तलबा की शख़्सियत साजी में इजाफा होगा। अब्दुल जब्बार साहिब ने अपने मराठी स्कूल में तलबा को बाकायदा उर्दू पढ़ाने का इजहार किया। इस मौका पर उर्दू के उस्ताद हारून जिन्होंने अपनी मेहनत-ओ-काविश से एक माह में तलबा को उर्दू लिखना, पढ़ना सिखाया अपने ख़्यालात का इजहार करते उर्दू की तदरीस के ताल्लुक से मुफीद और कारआमद नकात पेश किए। आखिर में सदर-ए-जलसा खलील शेख (साबिक प्रिंसिपल चांद सुल्ताना हाई स्कूल, अहमद नगर) ने सूरा अल अलक का हवाला देते हुए तलबा को पढ़ने की तलकीन की और उर्दू पढ़ने की एहमीयत बतलाते हुए कहा कि रोजाना उर्दू पढ़ते रहें क्यों कि ज्यादा-तर इस्लामी लिटरेचर और इस्लामी फलसफा का असासा उर्दू की किताबों से ही हासिल होता है। आखिर में डायरेक्टर अब्दुल मनान शेख ने सदर-ए-जलसा, मेहमानान खुसूसी और तमाम शुरका का शुक्रिया अदा किया।