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बड़ी संपत्ति है, रूहानी सिम्पैथी (सहानुभूति) : ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी

ब्रह्माकुमारीज राज किशोर नगर द्वारा स्मृति वन में रविवार को हुआ विशेष सत्संग 
सत्संग के साथ किया गया सामूहिक योग अभ्यास
समय और संकल्प रूपी खजानों के सदुपयोग व योग के प्रयोग से मिलेगी कम मेहनत में अधिक सफलता


बिलासपुर : 
कोई भी कार्य करते हुए यह स्मरण रखें कि मैं भगवान का बच्चा हूं और भगवान मेरे हैं : यह स्मृति ही तपस्या है और तपस्या का प्रत्यक्ष फल है खुशी। भगवान से भाग्य मांगा नहीं जाता। स्वयं को उनकी संतान समझने से सर्व प्रकार के भाग्य स्वत: प्राप्त हो जाते हैं। जीवन में भारीपन तब आता है, जब हम कोई गलती करते हैं। भगवान ने हमें प्रात: उठने से लेकर रात्रि सोने तक की श्रीमत दी है। यदि हम इसके अनुसार चलते हैं, तब खुश रहते हैं और जब कोई अवहेलना होती है, तो दुखी हो जाते, भारीपन महसूस होता।

ये बातें ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने स्मृति वन में आयोजित रविवार विशेष सत्संग व प्रकृति को सकाश देने के लिए सामूहिक योग अभ्यास कार्यक्रम में साधकों को संबोधित करते हुए कही। उन्होंने आगे कहा कि आज दुनिया में सबसे बड़ी संपत्ति रूहानी सिम्पैथी है, जिसकी जरूरत सभी को है। चाहे गरीब हों, चाहे धनवान हों, सभी को सिम्पैथी चाहिए। और कुछ भी नहीं दो, लेकिन सिम्पैथी का ही दान करना पुण्य का कार्य है। उन्होंने कहा, योग के प्रयोग से जीवन में कम मेहनत से अधिक सफलता की प्राप्ति होती है। इसके लिए सबसे बड़े दो खजाने, समय व संकल्प की बचत करें, सदुपयोग करें। 

प्रकृति को सकारात्मक प्रकम्पन्न रूपी सकाश देने के लिए कमेंट्री के द्वारा योगाभ्यास कराया गया। इस अवसर पर माउंट आबू से सकारात्मक मीडिया के प्रशिक्षण प्राप्त अमर कुम्भ्कार, राकेश गुप्ता, भूषण लाल वर्मा, संदीप बलहाल, विक्रम भाई, शशी बहन व गायत्री बहन को सभी के समक्ष दीदी ने पे्रस कार्ड पहनाकर सम्मानित किया। दीदी ने बताया कि हर रविवार को प्रात: सत्संग का आयोजन स्मृति वन में किया जायेगा। साथ ही सत्संग पूर्व म्यूजिकल एक्सरसाइज का भी अभ्यास कराया जाएगा। 


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