मुदर्रिसा मिसबाहुल उलूम बांका में दारुल कजा का इफ़्तिताह
मौलाना मुहम्मद यूनुस कासिमी काजी शरीयत मुकर्रर
बांका। हम सबने कलिमा तय्यबा पढ़ा है, इसका मतलब ये है कि हमने अल्लाह ताअला से ये अह्द किया है कि हम अल्लाह के सभी अहकाम को मानते हैं। जब अल्लाह को मानते हैं, तो अल्लाह ने हमारी हिदायत के लिए अपनी जो किताब भेजी है, जिसमें लिखा है कि अगर तुम्हारे दरमयान किसी भी मुआमले में कोई तनाजा हो जाए तो उसके हल के लिए तुम उसकी तरफ रुजू करो, जिसके पास किताब का इल्म हो। और वो आलिम किताब की रोशनी में जो हल बताए, उस पर इत्मीनान के साथ अमल करो।
ख्वाह वो घरेलू हो या लेन-देन का मुआमला हो,इसके लिए उस शख्स को हाकिम बनाना चाहिए जो उस किताब का इल्म रखता हो। जिसे फिक़्ह में भी महारत हो, कजा-ए-शरई के अहकाम पर भी उबूर हासिल हो। ये बातें अमीर शरीयत बिहार, उड़ीसा और ाारखंड के हजरत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी ने मुदर्रिसा मिसबाहुल उलूम बांका में 7 मार्च को अलकजा के इफ़्तिताह के मौके पर मुनाकिद इजलास से खिताब करते हुए कहीं। उन्होंने इमारत शरयह के दारुलकजा की अहमीयत और जरूरत बताते हुए कहा कि इमारत शरयह दारुलकजा में ऐसे माहिरीन होते हैँ जो किताब-ओ-सुन्नत और फिक़्ह इस्लामी की रोशनी में तनाजआत के हल की सलाहीयत रखते हैं। और उस रास्ते की राहनुमाई करते हैं, जिसे अल्लाह और उसके रसूल सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम ने हमारे लिए मुंतखब किया है। इस दारुलकजा में भी इसी मयार के काजी को बहाल किया जा रहा है, उन्हें हमने आप हजरात के दरमियान फैसले के लिए मुकर्रर किया है। उन्होंने बताया कि बांका के दारुलकजा में मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद यूनुस कासिमी को काजी-ए-शरीयत मुकर्रर किया गया है। हजरत अमीर शरीयत ने अपने हाथों से उन्हें पूरे मजमा के सामने सनद इनायत की। इस मौके पर हजारो की तादाद में मजमा जमा था। इजलास को कामयाब बनाने में मास्टर नसीम अहमद, सदर मुदर्रिसा मिसबाहुल उलूम बांका, मास्टर सिद्दीक अकबर, सेक्रेटरी, मौलाना अकील अलरहमान, उस्ताद हदीस जामिआ जलालिया, मौलाना मुहम्मद यासीन रहमानी के नाम बतौर-ए-खास काबिल-ए-जिÞक्र हैं।
दारुलकजा की अहमियत रीढ़ की हड्डी की तरह
काजी शरीयत मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद अंजार आलिम कासिमी साहिब ने दारुल कजा की अहमीयत-ओ-इफादीयत पर रोशनी डालते हुए कहा कि इमारत शरयह के पूरे निजाम में दारुलकजा की अहमीयत रीढ़ की हड्डी की तरह है। खानदानी और घरेलू इखतिलाफात-ओ-नजाआत को हल करने में दारुलकजा का अहम किरदार है। जहां से हजारों खानदान के झगड़े मामूली खर्च और कम वक़्त में हर साल हल किए जाते हैं। एक सौ साल से ये अहम खिदमत मुल्क व मिल्लत के लिए इमारत शरयह करती आ रही है। उन्होंने कहा कि अमीर शरीयत हजरत मौलाना अहमद वली फैसल रहमानी की सरपरस्ती और निगरानी में इमारत शरयह निजामे कजा को मजीद वुसअत देने और दारुलकजा के निजाम को चारों रियासतों के हर जिÞले में कायम करने के लिए अमल किया जा रहा है। हजरत अमीर शरीयत ने हर साल दस नए दारुलकजा कयाम का हदफ तय किया है। उन्होंने कहा, दारुलकजा का निजाम अदालतों के लिए मुआविन है, क्योंकि इमारत शरयह लोगों के खानदानी और दीवानी तनाजआत सुलह-ओ-मुसालहत के जरीया हल कर के अदालत का बोझ कम करते हैं। हजरत अमीर शरीयत की मंशा है कि जहां भी मुस्लिम आबादी है, वहां तरजीही बुनियाद पर दारुलकजा का निजाम कायम किया जाए। इमारत शरयह के नायब नाजिम मौलाना मुफ़्ती मुहम्मद सुहराब नदवी ने कहा कि मुसलमान होने की हैसियत से हमारा फर्ज़ है कि हम अपनी जिंदगी इसलामी तालीमात के साँचे में ढालें और अपने मुआमलात बिलखसूस निकाह, तलाक, विरासत, औरतों के हुकूक, दीगर खानदानी और मुआशरती मसाइल का फैसला शरीयत इस्लामी के मुताबिक कराएं। उन्होंने बताया कि तीन सूबों में पछहतर से ज्यादा मुकामात पर दारुलकजा कायम हो चुके हैं और मजीद हो रहे हैं। उन्होंने लोगों को कलिमा की बुनियाद पर मुत्तहिद रहने की तलकीन की और दावते दीन की एहमीयत को समझाया। इजलाम को मौलाना मुफ़्ती रियाज कासिमी, उस्ताज जामिआ रहमानी मोंगेर, मौलाना अकील अल रहमान कासिमी, मौलाना मुफ़्ती खुरशीद अनवर कासिमी, मुफ़्ती एजाज रहमानी, मौलाना अंजर हुसैन कासिमी वगैरह ने भी किखाब किया। इजलास में मौलाना हाफिज एहतिशाम रहमानी और मौलाना मंजर कासिमी ने भी शिरकत की। इस मौका पर मुदर्रिसा मिसबाहुल उलूम के हुफ़्फाज किराम की दस्तार बन्दी भी हजरत अमीर शरीयत और दीगर उलेमा ए किराम के हाथों अमल में आई। आखिर में हजरत अमीर शरीयत की दुआ पर इजलास का एख्तेताम हुआ।
- तनाजात-टकराव, मतभेद
- इफतेताह-उद्घाटन
- अफादियत -उपयोगिता
- मुआविन-मददगार