जीकाअदा-1445 हिजरी
हदीस-ए-नबवी ﷺ
'जो शख्स ये चाहता है कि उसके रिज्क में इजाफा हो, और उसकी उम्र दराज हो, उसे चाहिए कि रिश्तेदारों के हुस्न सुलूक और एहसान करे।'
- मिश्कवात शरीफ
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✅ अबूधाबी : आईएनएस, इंडिया
मुत्तहदा अरब अमीरात में शराब से मुताल्लिक़ क़वानीन में बतदरीज नरमी पैदा की गई है। गुजिश्ता बरस दुबई ने शराब पर आइद 30 फ़ीसद टैक्स ख़त्म कर दिया था जबकि ग़ैर मुस्लिमों के लिए शराब फ़रोख़त करने के इजाज़त नामे पर आइद फ़ीस भी ख़त्म कर दी गई थी।
अबूधाबी के एक पब में चमकदार टैंकों में एक ख़ास मुरक्कब को उबाला जा रहा है। ये क़दामत पसंद अरब ख़लीज की पहली बीयर फैक्ट्री है, जहां शराब एक तवील अर्से से ममनू है। अमरीका से ताल्लुक़ रखने वाले 42 साला एक शख्स मुत्तहदा अरब अमीरात के दार-उल-हकूमत अबुधाबी में क्रा़फ्ट पब के बानियों में से एक हैं और वो खित्ते की वाहिद लाईसेंस याफताह माईक्रो बीयर चला रहे हैं। तेल की दौलत से माला-माल अरब ममालिक मुस्तक़बिल की तैयारी करते हुए अपनी मईशतों (अर्थव्यवस्था) को बेहतर बनाने की कोशिश रहे हैं। कुछ ख़लीजी ममालिक ने शराब पर आइद पाबंदीयों में नरमी पैदा की है और मेक गेही जैसे कारोबारी अफ़राद इन तबदीलीयों से फ़ायदा उठाना चाहते हैं।
अबुधाबी से सिर्फ चंद घंटों की मुसाफ़त (दूरी) पर इस्लाम की जाए पैदाइश सऊदी अरब है, जहां सिर्फ एक लाईसेंस याफताह शराब की दुकान है। ये दुकान सिर्फ ग़ैर मुस्लिमों और ग़ैर मुल्की सिफ़ारतकारों के लिए है। ओमान और क़तर में शराब की फ़रोख़त पर बहुत ज़्यादा पाबंदीयां हैं जबकि कुवैत और शारजाह में इस पर मुकम्मल पाबंदी है। मेक गेही ने क्रा़फ्ट के हालिया दौरे पर न्यूज़ एजेंसी एएफ़पी से बात करते हुए उम्मीद जताई कि हम अबुधाबी को भी जर्मनी, न्यूयार्क या सान डियागो की तरह एक ऐसी मंज़िल बनाएँगे, जहां लोग बीयर के लिए आते हैं।
सऊदी अरब ने रवां साल दार-उल-हकूमत रियाद में एक शराब-ख़ाने की इजाज़त फ़राहम की, जिसके बाद ये क़यास-आराइयाँ की जा रही हैं कि वो मुस्तक़बिल में अल्कोहल के क़वानीन में मज़ीद नरमी कर सकता है। ताहम सऊदी वज़ीर सयाहत अहमद अलख़तीब ने गुज़श्ता माह कहा था कि शराब के हवाले से क़ौमी सतह पर पाबंदी बरक़रार रहेगी। मुत्तहदा अरब अमीरात तक़रीबन 10 मिलियन आबादी में से 90 फ़ीसद ग़ैर मुल्की है जबकि माज़ी में यहां शराब की फ़रोख़त और इस्तिमाल सिर्फ़ होटलों तक ही महिदूद थी, जहां ज़्यादातर तारकीन-ए-वतन ही आते थे।