सियासत में मुसलमानों को हाशिया पर डालने का सनसनीखेज़ खुलासा

शव्वाल -1445 हिजरी

हदीसे नबवी ﷺ 
तकदीर का लिखा टलता नहीं

'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल करो और अल्लाह ताअला से मदद चाहो, और हिम्मत मत हारो और अगर तुम पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कहो कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कहो कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसे मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। '' 

- मुस्लिम शरीफ

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सियासत में मुसलमानों को हाशिया पर डालने का सनसनीखेज़ खुलासा

आबादी के हिसाब से लोक सभा में 82 के क़रीब होने चाहिए मुस्लिम मैंबरान पार्लियामेंट 
आम इंतिख़ाबात में मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट देने से सियासी पार्टियों ने किया गुरेज़
20 सालों में बड़ी पार्टियों ने मुसलमानों को दिए सबसे कम टिकट

✅ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया

आबादी में हिस्सादारी के नारों के दरमयान लोक सभा इंतिख़ाबात में मुस्लमानों को दिए गए टिकट ने सब का साथ, सब का विकास और सेकूलर पार्टियों के हथकंडों, किरदार और चेहरे को बे-नक़ाब कर दिया है। पिछले 20 सालों में पहली बार मुस्लमानों को लोक सभा इंतिख़ाबात में बड़ी पार्टियों और उनके इत्तिहादों ने सबसे कम टिकट दिए हैं। 
    इस बार भारतीय जनता पार्टी ने सिर्फ 2 मुस्लमानों को टिकट दिया है। उनमें से एक टिकट पार्टी की तरफ़ से केराला में दिया गया है, जहां उसके पास मज़बूत हिमायती बुनियाद नहीं है। कांग्रेस भी मुस्लमानों को टिकट देने में भी नाकाम साबित हुई है। पार्टी ने झारखंड और गुजरात समेत 10 बड़ी रियास्तों में एक भी मुस्लिम उम्मीदवार को खड़ा नहीं किया है। कांग्रेस ने मग़रिबी बंगाल में मुस्लमानों को सबसे ज़्यादा टिकट दिए हैं, लेकिन यहां भी सहि रुख़ी मुक़ाबले की वजह से मुस्लिम उम्मीदवारों के लिए जीतना आसान नहीं है। यानी कोरम पूरा करने के लिए पार्टी ने कमज़ोर सीटों पर मुस्लमानों को खड़ा किया है। 

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    सर्वे के मुताबिक़ 2020 में हिन्दोस्तान में मुस्लमानों की आबादी तक़रीबन 15 फ़ीसद है। अगर आबादी के हिसाब से हिस्सा देखा जाए तो लोक सभा में 82 के क़रीब मुस्लिम मैंबरान पार्लियामेंट होने चाहिए। इस वक़्त 131 नशिस्तें 25 फ़ीसद दलितों और क़बाइलीयों के लिए मख़सूस हैं। ये रिज़र्वेशन सियासी इन्साफ़ के पेश-ए-नज़र किया गया है। सियासी इन्साफ़ का तज़किरा आईन के असल दीबाचे में है। अगर हम गुजिश्ता 4 इंतिख़ाबात के आदाद-ओ-शुमार पर नज़र डालें तो ये सिर्फ़ 30 के क़रीब है। 2004 में 34 मुस्लिम एमपी जीते थे। 2009 मैं ये तादाद 30 थी। उसके बाद 2014 के बाद से मुस्लिम उम्मीदवारों की तादाद लगातार कम होती गई। साल 2014 में 22 मुस्लमान और 2019 में 27 मुस्लमान जीत कर पार्लियामेंट पहुंचे। 

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    हालांकि इस बार टिक्टों की तक़सीम में ही खेल देखने में आया है। पहली बार कांग्रेस और बीजेपी ने मुस्लमानों को सबसे कम टिकट दिए हैं। लोक सभा इंतिख़ाबात 2024 के हवाले से भारतीय जनता पार्टी की क़ियादत वाली एनडीए और कांग्रेस की क़ियादत वाली इंडिया अलाउंस ने तक़रीबन तमाम सीटों पर उम्मीदवारों का ऐलान कर दिया है। ऐसे में आईए जानते हैं कि किस इत्तिहाद ने मुस्लमानों को कितने टिकट दिए।
    हुक्मराँ एनडीए में 40 से ज़्यादा जमातें शामिल हैं, लेकिन इत्तिहाद ने सिर्फ 5 मुस्लमानों को टिकट दिया है। जेडीयू, जो बिहार में एनडीए इत्तिहाद का हिस्सा है, ने मास्टर मुजाहिद आलम को किशनगंज सीट से अपना उम्मीदवार बनाया है। वहीं भारतीय जनता पार्टी ने केराला की मल्लापुरम सीट से एम अब्दुस्सलाम को टिकट दिया है। बीजेपी ने मग़रिबी बंगाल में ख़ान को भी अपना उम्मीदवार बनाया है। एनडीए ने आसाम की धोबरी सीट पर भी मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं। जबीद इस्लाम को आसाम परिषद की जानिब से यहां इलेक्शन लड़ने के लिए उम्मीदवार बनाया गया है। अजीत पवार की पार्टी एनसीपी ने लक्षदीप सीट से यूसुफ़ टी  को मैदान में उतारा है। एनडीए इत्तिहाद ने उतर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजिस्थान, झारखंड, गुजरात, मग़रिबी बंगाल, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, तमिलनाडू, आंधरा प्रदेश जैसी बड़ी रियास्तों में एक भी मुस्लमान को टिकट नहीं दिया है। 

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    आबादी की बात करें तो आसाम 34 फ़ीसद, मग़रिबी बंगाल में 27 फ़ीसद, उतर प्रदेश में 19 फ़ीसद, बिहार में 17 फ़ीसद, झारखंड में 15 फ़ीसद, दिल्ली में 13 फ़ीसद और महाराष्ट्र में 12 फ़ीसद मुस्लमान हैं। 2019 मैं बीजेपी ने 6 मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए थे लेकिन इस बार पार्टी ने सिर्फ 2 मुस्लमानों को टिकट दिया है। मुस्लमानों को इंडिया इत्तिहाद से एनडीए से ज़्यादा टिकट मिली हैं, लेकिन उन्हें यहां भी अदद के लिहाज से मुसलमानों को हिस्सा नहीं मिला है। इंडिया अलाउंस ने दिल्ली, झारखंड, गुजरात, राजिस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र जैसी बड़ी रियास्तों में एक भी मुस्लमान को टिकट नहीं दिया। इंडिया अलाउंस ने यूपी में मुस्लमानों को 6,  बिहार में 4, आसाम में 2 और कर्नाटक और लक्षदीप में एक-एक टिकट दिया है। 
    इंडिया की इत्तिहादी जमातें केराला, बंगाल और जम्मू-ओ-कश्मीर में दोस्ताना लड़ाई लड़ रही हैं। मिसाल के तौर पर केराला में कांग्रेस और सीपीएम इंडिया इत्तिहाद से अलग-अलग इलैक्शन लड़ रही हैं। इसी तरह बंगाल में ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल और कांग्रेस, सीपीएम अलग अलग इलैक्शन लड़ रही हैं। जम्मू-ओ-कश्मीर में एक तरफ़ पीडीपी है और दूसरी तरफ़ कांग्रेस और नेशनल कान्फ़्रैंस का इत्तिहाद है। तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल में 6 मुस्लमानों को टिकट दिया है। पार्टी ने मालदा साउथ में शाहनवाज़ अली, जंगी पूर में ख़लील अलरहमान, ब्रह्मा पूर में यूसुफ़ पठान, मुर्शिदाबाद में अब्बू ताहिर ख़ान, बशीर हॉट में नूर उल-इस्लाम, अव्वलो बैरिया में साजिदा अहमद को मैदान में उतारा है। 
    कांग्रेस और सीपीएम इत्तिहाद ने यहां से 11 मुस्लमानों को उम्मीदवार बनाया है। इत्तिहाद की जानिब से राय गंज, मालदा नॉर्थ, मालदा साउथ जंगी पूर, मुर्शिदाबाद जैसी हाईप्रोफाइल सीटों पर मुस्लिम कम्यूनिटी के लीडरों को उम्मीदवार बनाया है। 2019 में, तृणमूल ने मग़रिबी बंगाल में 22, ,18 और कांग्रेस ने 2 सीटें जीती। केराला में कांग्रेस इत्तिहाद ने 3 मुस्लमानों को टिकट दिया है। उनमें से 2 टिकट इंडियन यूनीयन मुस्लिम लीग और एक टिकट कांग्रेस पार्टी ने दिया है। सीपीएम इत्तिहाद ने भी केराला में मुस्लमानों को 3 टिकट दिए हैं। 2019 मैं कांग्रेस इत्तिहाद ने 18 और सीपीएम इत्तिहाद ने 2 सीटें जीती। जम्मू-ओ-कश्मीर की 5 सीटों में से कांग्रेस इत्तिहाद ने 3 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं। एनसी ने अनंतनाग, श्रीनगर और बारहमुल्ला सीटों पर मुस्लमानों को टिकट दिया है। पीडीपी ने भी 3 सीटों पर मुस्लिम उम्मीदवार दिए हैं। दिलचस्प बात ये है कि इंडिया इत्तिहाद ने सिर्फ उन जगहों पर मुस्लमानों को टिकट दिया है, जहां मुस्लमानों की आबादी 30 फ़ीसद से ज़्यादा है।

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