रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
विसाल (3 रमज़ान)
खातूने जन्नत हज़रत फातिमा ज़ुहरा रज़ियल्लाहु तआला अन्हा
हज़रत ख्वाजा सिरी सकती रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
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कर्ज की जल्द से जल्द करें अदायगी
'' हजरत अबू मूसा अश्अरी रदिअल्लाहू अन्हु से रिवायत है कि जनाब नबी-ए-करीम ﷺ ने इरशाद फरमाया- कबाईर (बड़े) गुनाहों के बाद सबसे बड़ा गुनाह यह है कि कोई शख्स मर जाए और उस पर देन यानी किसी का भी हक हो और उसके अदा करने के लिए वह कुछ न छोड कर जाए। ''- अबु दाउद
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✅ इस्तांबूल : आईएनएस, इंडिया
रमज़ान उल-मुबारक के मुक़द्दस महीने के दूसरे दिन की सहरी के वक़्त ख़वातीन के एक बैंड ने तुर्क रियासत मारसेन के साहिली इलाक़े में ढोल की थाप पर नग्में गा कर रिहायशियों को जगाया। ख़वातीन का यह बैंड बरसों से लोगों को ढोल बजा कर सहरी जगा रहा है।सोशल मीडीया पर सामने आने वाली इस बैंड की तसावीर और वीडीयोज़ के बाद सारिफ़ीन की तरफ़ से मिला-जुला रद्द-ए-अमल सामने आया है। बाअज़ सारिफ़ीन ने उनकी हिमायत की है जबकि बाअज़ इस पर नाख़ुश दिखाई देते हैं। मुक़ामी तुर्क मीडीया के मुताबिक़ बैंड ने ऐलान किया कि उसने रमज़ान के महीने से एक दिन पहले गानों के लिए अपनी हतमी (अंतिम) तैयारीयां मुकम्मल कर ली हैं। ये बैंड मारसेन में डायरेक्टोरेट आफ़ कल्चरल अफेयर्ज़ और इर्दमिली की म्यूंसिपल्टी की जेरे निगरानी तर्बीयत हासिल कर चुका है। लोगों को सहरी जगाने के लिए बैंड के अरकान गाते और ढोल बजाते हैं।
ग्रुप में सिर्फ़ ख़वातीन हैं और वो रियासत मारसेन में अपने रिहायशी इलाक़े में सहरी के वक़्त मिलकर गाने गाती और लोगों को सहरी जगाती हैं। तुरकिया मैं सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर म्यूज़ीकल बैंड के लिए शुक्रिया और तारीफ़ के पैग़ामात भेजे गए। ताहम एक सारिफ़ ने लिखा कि ये काम मर्दों का होना चाहिए। ख़वातीन के लिए इस तरह की सरगर्मियों में हिस्सा लेना मुनासिब नहीं। अँकरा यूनीवर्सिटी के शोबा सोशियालाजी के साबिक़ एसोसीएट प्रोफेसर मुस्तफ़ा कमाल ने बताया कि रमज़ान के महीने में ढोल बजाना बहुत अलामती रह गया है। उन्होंने मज़ीद कहा कि रमज़ान में ढोल बजाने की रिवायत अब भी जारी है, लेकिन ये तेज़ी से अलामती बनती जा रही है।
तर्क माहिर-ए-तालीम ने कहा कि ये काम दर हक़ीक़त एक मआशी बुनियाद रखता है। मतलब ये है कि ढोल बजाने वाला रमज़ान के शुरू, वस्त और आख़िर में लोगों से पैसे इकट्ठा करता है। ये पहला मौक़ा है, जब हम रमज़ान में सहरी के वक़्त ख़वातीन को ढोल बजाते देखते हैं। मेरे ख़्याल में कोई बुनियाद परस्त ही इस पर एतराज़ करेगा। उन्होंने बताया कि ख़वातीन ने तुरकिया में एक तवील अर्से से बहुत से काम अंजाम दिए हैं। मिसाल के तौर पर वो म्यूनसिंपल बसें चलाती तो लोगों को ये अजीब लगता लेकिन वो बाद में इसके आदी हो गए। लोग कुछ अर्से तक ख़वातीन के म्यूज़ीकल बैंड के भी आदी हो जाएंगे। म्यूज़ीकल बैंड ने रमज़ान उल-मुबारक के मौक़ा पर अपनी आख़िरी तैयारीयां मुकम्मल कर ली थीं मगर ये बैंड रियासत मारसेन में तीन साल से बाक़ायदगी से ढोल बजाता है।
18 साला मेलीसा करगीली, जो अपनी माँ के साथ ढोल बजाती हैं, ने कहा कि मैं अपनी माँ के साथ सड़कों पर निकली और लोगों को सहरी खाने के लिए जगाया। में बहुत ख़ुश और पुर जोश हूँ। बैंड के साथ काम करने वाली एक और ख़ातून ने कहा कि मुझे ख़ुशी और फ़ख़र है कि हमने इस मुक़द्दस फ़र्ज़ को पूरा किया। मुझे उम्मीद है कि हमारे तमाम शहरी रमज़ान का महीना अमन और सेहत के साथ गुज़ारेंगे। हम रज़ाकाराना तौर पर इसमें शरीक हैं। और हम अपने ढोल बजा कर लोगों को जगाने की कोशिश कर रहे हैं। ये सिलसिला रमज़ान के पूरे महीने में जारी रहेगा।
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