शअबान उल मोअज्जम-1445 हिजरी
हदीसे नबवी सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम
'' हजरत अबु हुरैरह रदि अल्लाहो अन्हुमा ने फरमाया-अपने नफे की चीज को कोशिश से हासिल कर और अल्लाह ताअला से मदद चाह, और हिम्मत मत हार और अगर तुझ पर कोई वक्त पड़ जाए तो यूं मत कह कि अगर मैं यूं करता तो ऐसा हो जाता, ऐसे वक्त में यूं कह कि अल्लाह ताअला ने यही मुकद्दर फरमाया था और जो उसके मंजूर हुआ, उसने वहीं किया। ''
- मुस्लिम शरीफ
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✅मक़बूज़ा बैतुल-मुक़द्दस : आईएनएस, इंडिया
गाजा में इसराईली जंग जैसे-जैसे तूल पकडती गई, उसी हिसाब से इसराईली मईशत (अर्थव्यवस्था) सिकुड़ती गई। तारीख़ में ऐसा पहली बार हुआ है जब इसराईल की मईशत में इतनी गिरावट देखी जा रही है।इसराईल को माज़ी में इस क़दर तवील जंग कभी अरब मुल्कों के ख़िलाफ़ भी नहीं लड़नी पड़ी थी। एक ओर गाजा में अब तक 29 हज़ार फ़लस्तीनी कत्ल किए जा चुके हैं, तो दूसरी ओर इसराईल और उसकी अवाम को जंग के एवज में मईशत की शदीद गिरावट की सूरत में बर्दाश्त करना पड़ रही है। जंग की वजह से इसराईल में कारोबार और सर्विसेज के शोबे को मंदी का सामना करना पड़ रहा है। इसराईली जीडीपी में दो बरसों के दौरान पहली बार छहमाही बुनियादों पर गिरावट देखी जा रही है। गुजिश्ता पीर के रोज़ जारी आदाद-ओ-शुमार के मुताबिक़ सालाना जीडीपी के हवाले से आख़िरी छहमाही में 19 इशारीया (दशमलव) 4 फ़ीसद मंदी देखी गई है।
ब्लूमबर्ग के सर्वे के मुताबिक़ माहिरीन (विशेषज्ञ) के तजज़िये (विश्लेषण) से ज़्यादा बुरी सूरत-ए-हाल है। तजज़िया कारों के ख़्याल में औसतन कमी का अंदाज़ा 10 इशारीया 5 फ़ीसद का था। इसी तरह जारी रिपोर्ट में दिखाया गया है कि इसराईली करंसी भी डालर के मुक़ाबले में कमज़ोर हुई है। अलबत्ता तेल अबीब स्टाक एक्सचेंज 35 इंडेक्स में इज़ाफ़ा हुआ है मगर ये इज़ाफ़ा सिर्फ 0،4 फ़ीसद ही रहा। रिपोर्ट के मुताबिक़ ग़ज़ा में जारी जंग के दौरान पहले तीन माह के अंदर ही जंग ने इसराईली मआशी रफ़्तार को तोड़ दिया था मगर फिर मजमूई तौर पर पिछले साल के जीडीपी मैं दो फ़ीसद इज़ाफ़ा था। अब 2024 मैं इसराईल के मर्कज़ी बैंक का तख़मीना (अंदाजा) है कि तरक़्क़ी का तख़मीना दो फ़ीसद के बराबर होगा लेकिन इसराईली वज़ारत-ए-ख़ज़ाना सिर्फ 1،6 फ़ीसद तरक़्क़ी का तख़मीना लगा रही है।
बताया गया है कि ये तख़मीना इसराईली मईशत पर जारी जंग के असरात के हवाले से पहली बार लगाया गया है जो सात अक्तूबर से शुरू जंग के बाइस 520 अरब डालर तक मईशत को को नुक़्सान पहुंचा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक़ जंग की वजह से फ़लस्तीनी इलाक़ों में मआशी झटके कहीं ज़्यादा तबाहकुन रहे हैं। जिसके नतीजे में ग़ज़ा में इन्सानी बोहरान (संकट) का सामना है। आईएमएफ़ का कहना है कि उसने बहीरा रुम के जुड़े इस मुल्क में पिछले साल के चौथी छहमाही के दौरान मआशी सरगर्मियों को तकरीबन मुकम्मल तौर पर ख़त्म देखा है। इस वजह से गज़ा और मग़रिबी किनारे में जीडीपी 6 फ़ीसद तक नीचे चली गई है।
ताहम इसराईल ने मार्केट को जंगी असरात से बचाए रखने के लिए ग़ैरमामूली इक़दामात किए हैं। इसराईल के मर्कज़ी बैंक ने 30 अरब डालर की रक़म अपने ज़र-ए-मुबादला के ज़ख़ाइर में से दी है ताकि इसराईली करंसी को गिरने से रोका जा सके। ताहम (हालांकि) इसराईल की तरफ़ से रफा में ज़मीनी हमले को फैलाने और लेबनान के साथ सरहद पर जंगी इज़ाफे़ से इसराईली मईशत के लिए मज़ीद ख़तरात मौजूद हैं।
फ़तह मुम्किन नहीं, 55 फ़ीसद इसराईलियों का सर्वे में इज़हार-ए-ख़याल
मक़बूज़ा बैतुल-मुक़द्दस : एक हालिया राय आम्मा (आम सहमति) के जायज़े से ज़ाहिर हुआ है कि ईसराईलीयों की अक्सरीयत इस बात पर यक़ीन नहीं रखती कि उनका मुल्क ग़ज़ा की पट्टी पर जंग में मुकम्मल फ़तह हासिल कर पाएगा।इसराईल डेमोक्रेसी इंस्टीटियूट फ़ार रिसर्च ने कहा है कि 55.3 फ़ीसद लोगों ने कहा कि मुतलक़ फ़तह (संपूर्ण विजय) का इमकान बहुत कम है। उसूली तौर पर एक आज़ाद, ग़ैर फ़ौजी फ़लस्तीनी रियासत के क़ियाम के लिए इसराईल के मुआहिदे की हिमायत पर सवाल के जवाब में 55.4 फ़ीसद ने किसी हद तक या सख़्ती से इसकी मुख़ालिफ़त की। 37.4 फ़ीसद ने जंग की भरपूर या किसी हद तक हिमायत का इज़हार किया। इससे कब्ल इसराईली वज़ीर-ए-दिफ़ा (रक्षामंत्री) ने इसराईल का दौरा करने वाले शुमाली अमरीका के यहूदी रहनुमाओं से कहा कि फ़तह हासिल करने का हमारा हदफ़ आसान है। याद रहे कि नेतन्याहू ने मुतअद्दिद (कई) बार इस बात को दुहराया है कि इसराईल ग़ज़ा की पट्टी पर अपनी जंग उस वक़्त तक जारी रखेगा, जब तक हम्मास को इक़तिदार से बेदख़ल नहीं कर दिया जाता।