रमजान उल मुबारक-1445 हिजरी
विसाल (14 रमज़ान)
हज़रत ख्वाजा बायज़ीद बुस्तामी रज़ियल्लाहु तआला अन्हु
हदीस-ए-नबवी ﷺ
'' मेरी रहमत हर चीज को घेरे हुए है तो अनकरीब मैं अपनी रहमत उनके लिए लिख दूंगा जो मुझ से डरते और जकात देते हैं ओर जो हमारी आयतों पर ईमान लाते हैं। '' --------------------------------------------
आसामी मुस्लमानों को सीएम सरमा ने बनाया निशाना, कहा, समाजी बुराईयां छोड़ दें, आसाम के बंगाली मुसलमान
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- Himanta Biswa Sarma |
इससे पहले भी चीफ़ मिनिस्टर सरमा ने बंगाली बोलने वाले मुस्लमानों के हवाले से कहा था कि बंगाली बोलने वाले मुस्लिम कम्यूनिटी के लोग आसाम में समाजी बुराईयों के ज़िम्मेदार हैं। उन्होंने कहा था कि इस कम्यूनिटी के ज़्यादातर लोग बंगला देश से आए हैं। आसाम में बंगाली बोलने वाले मुस्लमानों को मियां कहा जाता है। सीएम सरमा का कहना है कि मियां यहां के असल रिहायशी हैं या नहीं, ये अलग मसला है। हम जो कह रहे हैं, वो ये है कि बंगाली बोलने वाले मुस्लमान अगर मुक़ामी बनना चाहते हैं तो इसमें कोई हर्ज नहीं है लेकिन उन्हें बुरे रवैय्ये छोड़कर ख़वातीन को तालीम के लिए तरग़ीब देना होगी। तब ही वो मुक़ामी कहलाएँगे। इसलिए उन लोगों को बचपन की शादी और तादादे अजदवाज को तर्क करना होगा।
सीएम सरमा ने आसाम की सक़ाफ़्त (संस्कृति) के बारे में बात करते हुए कहा कि आसाम में लड़कीयों का मुवाज़ना (तुलना) देवी-देवताओं से किया जाता है और हमारी सक़ाफ़्त में उनकी दो तीन बार शादी नहीं की जाती। अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने कहा कि दो या तीन बीवीयां रखना भी आसामी सक़ाफ़्त नहीं है। इसलिए अगर बंगाली बोलने वाले मुस्लमान यहां के बाशिंदे बनना चाहते हैं तो वो दो या तीन बीवीयां नहीं रख सकते। उन्होंने मज़ीद कहा कि अगर मियां लोग आसाम के रस्म-ओ-रिवाज की पैरवी करेंगे तो वो असल बाशिंदे माने जाएंगे।
इसके बाद वज़ीर-ए-आला ने आदाद-ओ-शुमार के बारे में भी बात की। उन्होंने बताया कि बच्चों की शादी और तादादे अजदवाज के ख़िलाफ़ मुहिम 2023 में दो मरहलों (चरणों) में शुरू की गई थी। फरवरी में पहले मरहले में 3,483 अफ़राद को गिरफ़्तार किया गया और 4,515 मुक़द्दमात दर्ज किए गए। उसके बाद अक्तूबर में दूसरे मरहले में 915 अफ़राद को गिरफ़्तार किया गया और 710 मुक़द्दमात दर्ज किए गए।
उन्होंने दावा किया कि आइन्दा असेंबली इंतिख़ाबात से क़बल रियासत मैं बचपन की शादी का रिवाज ख़त्म कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि कमउमरी की शादी को ख़त्म करने के लिए रियास्ती काबीना ने आसाम मुस्लिम मैरिज एंड तलाक़ एक्ट 1935 को मंसूख़ करने की भी मंज़ूरी दी है। दूसरी तरफ़ अपोजिशन ने इस फ़ैसले को लोक सभा इंतिख़ाबात से क़बल वोटरों को पोलोराइज् करने का एक क़दम क़रार दिया है।
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