✒आगरा : आईएनएस, इंडिया
एडिशनल सिविल जज (जूनीयर डिवीज़न) की अदालत में दरख़ास्त दायर कर ताजमहल में मुग़ल शहंशाह शाहजहाँ के उर्स पर पाबंदी का मुतालबा किया गया है। शाहजहाँ का 369 वां उर्स 6 से 8 फरवरी तक मनाया जाना है।
अखिल भारत हिंदू महासभा की महिला मार्चा की मंडल सदर मीना देवी दीवाकर और ज़िला सदर सौरभ शर्मा ने ताजमहल में शाहजहाँ के उर्स पर पाबंदी लगाने के लिए जुमा को अदालत में अर्ज़ी दाख़िल की है। अर्जी में उर्स कमेटी ताज गंज के चेयरमैन सय्यद इबराहीम ज़ैदी को मुद्दआलैह बनाया गया है। दरख़ास्त में कहा गया है कि उत्सव कमेटी बनाकर मुद्दआलैह उसका सदर बन गया है। वो ना तो ताज-महल का मुलाज़िम है और ना ही उसका इस यादगार से कोई ताल्लुक़ है। आर्जी में कहा गया है कि हुकूमत और आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया (एएसआई) की इजाज़त के बग़ैर उर्स का इनइक़ाद किया जा रहा है। मुद्दई ने मजाज़ अथार्टी की इजाज़त के बग़ैर उर्स मुनाक़िद ना करने का कहा था जिस पर मुद्दआलैह ने तवज्जा नहीं दी यही वजह है कि उन्हें अदालत की पनाह लेनी पड़ी।
उन्होंने कहा कि मुद्दआलैह को उर्स के दौरान यादगार में किसी भी शख़्स को मुफ़्त दाख़िला देने से मना किया जाए। अदालत ने अमीन के ज़रीये मुद्दआलैह को नोटिस भिजवाने की हिदायत की है। चूँकि मुक़द्दमा अदालत में जेरे इलतिवा (पेंडिंग) है, इसलिए अब मुद्दआलैह की ज़िम्मेदारी है कि वो उर्स ना मनाए। अनिल तिवारी, ढडवोकेट हिंदू महासभा ने ये बात कही है। जबकि सय्यद इबराहीम ज़ैदी का कहना है कि आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया और उर्स कमेटी मुशतर्का (साझा) तौर पर ताजमहल में शाहजहाँ के उर्स का एहतेमाम करते हैं। उर्स रोकने के लिए मुक़द्दमा दायर करने की मालूमात उन्हें मीडीया से ही मिली।
इधर माहिर आसारे-ए-क़दीमा डाक्टर राज कुमार पटेल ने कहा कि एमसी महित ब मुक़ाबला यूनीयन आफ़ इंडिया के मुआमले में सुप्रीमकोर्ट ने ताजमहल में नमाज़-ए-जुमा, रमज़ान, तरावीह और शाहजहाँ के उर्स का एहतिमाम करने के लिए वक्तन-फ-वक्तन हिदायात दी हैं। हकूमत-ए-हिन्द ने इसके लिए नोटीफ़िकेशन भी जारी कर दिया है। अखिल भारत हिंदू महासभा के क़ौमी तर्जुमान संजय जाट ने कहा कि राज किशवर राजे ने आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया से मालूमात के हक़ की दरख़ास्त में शाहजहाँ के दरबारी आलिम अबदुलहमीद लाहौरी की किताब शाहजहाँ नामा में ताज-महल में नमाज़ अदा करने से मुताल्लिक़ इजाज़त का ज़िक्र किया है। मुग़ल दौर की कोई और किताब या शाही फ़रमान के बारे में मालूमात मांगी थी। उन्होंने इस बारे में भी मालूमात मांगी कि क्या कोई हुक्म ईस्ट इंडिया कंपनी या हकूमत-ए-हिन्द ने भी जारी किया था। आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया ने किसी किस्म की मालूमात रखने से इनकार किया था।
मुद्दई मीना देवी दीवाकर और सौरभ शर्मा ने कहा कि अयोध्या, काशी विश्वानाथ, मथुरा में सर्वे के हुक्म की तरह हम अदालत से ताज-महल का सर्वे कराने का मुतालिबा करेंगे। बृजेश भदौरिया, अंकित चौहान, शंकर श्रीवास्तव, आयूष वग़ैरा ने माल रोड पर वाके आरक्योलोजीकल सर्वे आफ़ इंडिया के दफ़्तर में उर्स को रोकने के लिए एहतिजाज करने की बात की है।