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पाया-ए-तकमील तक पहुंचने में लगेगा 4 साल का अरसा✒ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
एक तरफ़ अयोध्या में राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा की तक़रीब अंजाम पा चुकी है, तो दूसरी तरफ़ एक बड़ी ख़बर ये सामने आ रही है कि अयोध्या में बनने वाली मस्जिद की तामीर का अमल रवां साल मई में शुरू होगा।
राइटर्स की एक रिपोर्ट में इस बात का इन्किशाफ़ हुआ है जिसमें बताया गया है कि मस्जिद को बनने में तीन से चार साल का वक़्त लग सकता है। काबिल-ए-ज़िक्र है कि अयोध्या में तामीर होने वाली मस्जिद का प्रोजेक्ट इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन की डेवलपमेंट कमेटी देख रही है। इसके सरबराह हाजी अरफात शेख़ हैं। उन्होंने कहा कि मस्जिद के लिए रक़म जमा करने के लिए फंडिंग की कोशिश होगी जिसके पेश-ए-नज़र एक वेबसाइट लॉन्च करने की तैयारी की जा रही है। उन्होंने ये भी जानकारी दी कि अयोध्या में बनने वाली इस अज़ीमुश्शान मस्जिद का नाम पैग़ंबर मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम के नाम पर 'मस्जिद मुहम्मद बिन अबदुल्लाह रखा जाएगा।
रिपोर्ट के मुताबिक़ अरफात शेख़ का कहना है कि हमारी कोशिश लोगों के दरमयान दुश्मनी और नफ़रत को ख़त्म करना है। हम लोगों में एक-दूसरे के तईं मुहब्बत भरना चाहते हैं, चाहे आप सुप्रीमकोर्ट के फ़ैसले को क़बूल करें या ना करें। उन्होंने मज़ीद कहा कि अगर हम अपने बच्चों और लोगों को अच्छी बातें सिखाएँगे तो ये लड़ाई ख़ुद ब ख़ुद ख़त्म हो जाएगी। वाजेह रहे कि ज़फ़र अहमद फ़ारूक़ी इंडो इस्लामिक कल्चरल फ़ाउंडेशन (आईसीएफ़) के सदर हैं। उन्होंने अपने एक बयान में कहा है कि हमारे इदारे ने फ़ंड के लिए किसी से भी फ़िलहाल राबिता नहीं किया है।
बंगला देश में अरबी इंस्टीटियूट क़ायम करने पर ग़ौर
रियाद : सऊदी अरब बंगला देश के दारुल हकूमत (राजधानी) ढाका में अरबी ज़बान सिखाने के लिए इंस्टीटियूट और 8 बड़ी मसाजिद में अरबी के मराकज़ क़ायम करने पर ग़ौर कर रहा है। सबक़ वेबसाइट के मुताबिक़ ढाका सऊदी सफ़ीर ईसा यूसुफ़ अलदहेलान ने इस सिलिसले में बंगला देश की वज़ारत इस्लामी उमूर को इत्तिला कर दी है। मुक़ामी अख़बारात का कहना है कि 'सऊदी सफ़ीर ने गुजिश्ता इतवार को बंगला देश के वज़ीर इस्लामी नमूर से मुलाक़ात कर उन्हें आगाह कर दिया है। सऊदी सफ़ीर और बंगला देशी वज़ीर इस्लामी नमूर ने आज़मीन-ए-हज के अलावा बंगला देश में मसाजिद की तामीर पर भी तबादला-ए-ख़्याल किया गया है।
सउदी अरब अब महज तेल पर डिपेंड नहीं है
सऊदी वज़ीर-ए-ख़ज़ाना मुहम्मद अलजदान ने कहा है कि 'सऊदी अरब अपनी मईशत (अर्थव्यवस्था) के हवाले से जो कुछ कर रहा है, सोच-समझ कर कर रहा है। अलजदान ने कहा कि तेल पर क़ौमी मईशत (राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था) का इन्हिसार (निर्भरता) पहले 70 फ़ीसद तक था, अब सिर्फ 35 फ़ीसद रह गया है।
अख़बार 24 के मुताबिक़ डेविस के वर्ल्ड इकनॉमिक फोरम में सऊदी वज़ीर-ए-ख़ज़ाना ने ख़ुसूसी मुबाहिसे के दौरान कहा कि सऊदी अरब इक़तिसादी इस्लाहात (आर्थिक सुधार) जारी रखने के हवाले से पुरअज़म है। अलजदान ने कहा कि दुनिया को ताक़तवर सऊदी अरब की ज़रूरत है और हम ये हदफ़ हासिल करने का पुख़्ता अज़म रखते हैं। अलजदान ने मज़ीद कहा कि गुजिश्ता साल हमने यौमिया तक़रीबन 11 मिलियन बैरल तेल निकाला। हमने तेल के नर्ख़ों में 17 फ़ीसद कमी की। ये हमारे लचकदार रवैय्ये और हमारी सलाहीयत का पता देता है।
खवातीन की शिरकत से मईशत फलफूल रही
उन्होंने आगे कहा कि क़ौमी खज़ाने के इस्तिमाल के सिलसिले में हमारा तरीका-ए-कार शफ़्फ़ाफ़ है। अलजदान ने कहा कि प्राईवेट सेक्टर ने गुजिश्ता सात बरसों के दौरान रोज़गार के बहुत सारे मवाक़े पैदा किए। अलजदान ने इस हवाले से मज़ीद बताया कि 2023 के दौरान 8 लाख से ज़्यादा ख़वातीन-ओ-हज़रात को रोज़गार फ़राहम किया गया। ख़वातीन की शिरकत से मईशत फलफूल रही है। लेबर मार्कीट में ख़वातीन का हिस्सा तक़रीबन 36 फ़ीसद हो गया है जो सऊदी विजन के मुक़र्रर करदा हदफ़ से ज़्यादा है।