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मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को कृष्ण जन्मभूमि क़रार देने की दरख़ास्त खारिज

नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया

    सुप्रीम कोर्ट ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद के आसारे-ए-क़दीमा (पुरातत्व) के सर्वे और उस जगह को श्री कृष्णा की जन्मभूमि क़रार देने की दरख़ास्त को मुस्तर्द कर दिया है। 
    अदालत ने जुमा को कहा कि ये मुआमला पहले ही अदालत में ज़ेरे इलतिवा (लंबित) है। उसी बीच मस्जिद कमेटी ने हाईकोर्ट के इस फ़ैसले के ख़िलाफ़ सुप्रीमकोर्ट से रुजू किया है, जिसमें मस्जिद के सर्वे की इजाज़त दी गई है। जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि इस मुआमले से मुताल्लिक़ केस इलाहाबाद हाईकोर्ट में ज़ेरे इलतिवा हैं। बेंच ने कहा कि क़ानूनी चारा-जुई की ज़्यादती नहीं होनी चाहीए। आपने उसे मफ़ाद-ए-आम्मा (पीआईएल) की अर्ज़ी के तौर पर दायर किया, इसलिए हम उसे मुस्तर्द करते हैं। अगर किसी और तरीक़े से दायर किया गया तो अदालत उस पर ग़ौर करेगी। 
    बेंच ने कहा कि इसमें दिए गए मुतनाज़ा हक़ायक़ (विवादित अधिकार) पर मबनी सवालात के पेश-ए-नज़र, अदालत के लिए इस मुआमला में मुदाख़िलत करना मुनासिब होगा। दरख़ास्त गुज़ार की तरफ़ से पेश वकील ने कहा कि पीआईएल को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुजिश्ता अक्तूबर में ख़ारिज कर दिया था। उन्होंने कहा कि केस की ख़ूबीयों पर ग़ौर किए बग़ैर पीआईएल की समाअत से इनकार कर दिया गया। दरख़ास्त गुज़ार महक महेश्वरी की नुमाइंदगी करने वाले वकील ने कहा कि पीआईएल 1991 के इबादत-गाहों के क़ानून की दरूस्तगी को भी चैलेंज करती है। इस क़ानून के मुताबिक़ 15 अगस्त 1947 से पहले वजूद में आने वाले किसी भी मज़हब की इबादत-गाह को किसी दूसरे मज़हब की इबादत-गाह में तबदील नहीं किया जा सकता। अगर कोई ऐसा करने की कोशिश करता है तो उसे 1.3 साल क़ैद और जुर्माना हो सकता है। महेश्वरी की दरख़ास्त में दलील दी गई कि मुख़्तलिफ़ मतन में इस जगह को श्रीकृष्ण की जाये पैदाइश बताया गया है। उसने कहा कि ये मुनासिब मस्जिद नहीं है, क्योंकि इस्लामी फ़िक़्ह ज़बरदस्ती कब्जे की ज़मीन पर मस्जिद को मुक़द्दस नहीं मानती, जबकि हिंदू फ़िक़्ह मंदिर का एहतिराम करती है, चाहे वो खन्डर ही क्यों ना हो। 
    महेश्वरी ने कहा कि मस्जिद इस्लाम का लाज़िमी हिस्सा नहीं है। इसलिए शाही ईदगाह मस्जिद को मुनहदिम (ढहा) कर वो ज़मीन हिंदूओं के हवाले की जाए। उन्होंने कहा कि मज़कूरा ज़मीन पर मंदिर की तामीर के लिए कृष्णा जन्मभूमि जाये पैदाइश के लिए एक मुनासिब ट्रस्ट तशकील दिया जाना चाहिए। दूसरी तरफ़ मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के हालिया हुक्म को सुप्रीमकोर्ट में चैलेंज किया है। हाईकोर्ट ने मथुरा में कृष्णा जन्मभूमि मंदिर से मुत्तसिल (लगी हुई) शाही ईदगाह के अदालत की निगरानी में सर्वे करने की इजाज़त दी थी। गुजिश्ता साल 14 दिसंबर को हाईकोर्ट ने मस्जिद काम्प्लेक्स के सर्वे की निगरानी के लिए एक ऐडवोकेट कमिशनर की तक़र्रुरी पर रजामंदी ज़ाहिर की थी। केस में हिंदू फ़रीक़ का दावा है कि ऐसी निशानीयां हैं जो ज़ाहिर करती हैं कि ये कभी हिंदू मंदिर था।



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