✒ न्यूयार्क : आईएनएस, इंडियाबैन-उल-अक़वामी एजेंसियों ने इलाक़े में जारी इसराईली हमलों के दरमयान गाजा के बे-घर बाशिंदों में ख़ुराक की तक़सीम के लिए कोशिशें तेज़ कर दी हैं। वर्ल्ड फ़ूड प्रोग्राम (डब्लयूएफ़पी) की फिल्माई गई फूटेज में रफा में खाना तक़सीम होते हुए देखा जा सकता हे। डब्लयूएफ़पी के फ़लस्तीन के कन्ट्री डायरेक्टर समर अबदालजबर ने कहा कि उनकी तंज़ीम तक़रीबन 1.4 मिलियन लोगों तक ख़ुराक पहुंचा चुकी है। इस दौरान उन्होंने कहा कि गाजा में हर कोई भूखा है।
तंज़ीम ने कहा कि इसकी इंटीग्रेटिड फ़ूड सिक्योरिटी एंड न्यूट्रीशन फ़ैज़ कलासीफ़ीकेशन रिपोर्ट से पता चलता है कि गाजा में खाने की कमी तबाहकुन सतह तक जा पहुंची है। तंज़ीम ने कहा कि ये इस बात की तसदीक़ है कि गाजा की पूरी आबादी तक़रीबन 2.2 मिलियन आबादी गिजा की कमी का सामना कर रहे हैं। रिपोर्ट उस वक़्त सामने आई जब हम्मास के जे़रे इक़तिदार इलाक़े में वज़ारत-ए-सेहत के मुताबिक़ गाजा में जारी जंग में जांबाहक़ अफ़राद की तादाद 24,000 से तजावुज़ कर गई।
गाजा में हम्मास के ख़िलाफ़ इसराईल की जंग 7 अक्तूबर को जुनूबी इसराईल पर हमले से शुरू हुई जिससे छोटे साहिली इलाक़े में ग़ैरमामूली तबाही आई और एक इन्सानी अलमीया पैदा हुआ जिसने अक़्वाम-ए-मुत्तहदा के मुताबिक़ गाजा की 2.3 मिलियन आबादी में से ज़्यादा-तर को बे-घर और एक चौथाई से ज़्यादा को फ़ाक़ों का शिकार कर दिया।
पीने को पानी नहीं, फ़ोन की चार्जिंग उतनी ही दुशवार जितनी रोटी
गाजा में फ़ोन चार्ज करना रोज़मर्रा ज़िंदगी का एक चैलेंज बन गया है। ये गाजा के शहरीयों के लिए उतना ही वक़्त तलब और परेशानकुन हो गया है जितना रोटी और पानी की तलाश। जंग में घिरे गाजा में इस वक्त चार्ज्ड फ़ोन किसी लाइफलाइन से कम नहीं है। ये इसराईली बमबारी के बाद लोगों को अपने अज़ीज़ों की ख़ैरीयत मालूम करने में मदद करता है। इसी के ज़रीये लोग पता चलाते हैं कि ख़ुराक और पानी कहाँ दस्तयाब हो सकता है, और अंधेरा होने के बाद ख़ेमों में रोशनी फ़राहम करता है। लेकिन रफा में नक़्ल-ए-मकानी कर आने वाले बहुत से फ़लस्तीनीयों को अपने फ़ोन चार्ज करने के लिए घंटों किसी अस्पताल के पावर आउटलेट में उलझी हुई केबल्ज़ और एक्सटेंशन की लीडज़ के इर्द-गिर्द इंतिज़ार करना पड़ता है या फिर किसी दुकान पर फ़ोन चार्जिंग के लिए अपनी इस्तिताअत से बढ़कर पैसा ख़र्च कर या फिर अपने घर या किसी नज़दीकी मुक़ाम पर किसी सोलर पैनल से अपने फ़ोन चार्ज कराने पड़ते हैं।मुहम्मद अब्बू सख़ीता ने बताया कि टेलीफ़ोन को मुकम्मल चार्ज करना अब एक ख़ाब की मानिंद है, ये बहुत मुश्किल है, आपा 50 या 60 फ़ीसद या ज़्यादा से ज़्यादा 70 फ़ीसद तक चार्ज कर सकते हैं। रफा के अमीराती अस्पताल के बाहर एक चार्जिंग स्पाट बहुत मक़बूल है क्यों कि यहां लोग मुफ़्त फ़ोन चार्ज कर सकते हैं। ये अस्पताल बे-घर लोगों को अपने केबल, अस्पताल के पावर सॉकॅटस में प्लग करने की इजाज़त देता है जो या तो सोलर एनर्जी से चलते हैं या किसी जनरेटर से सिर्फ इस सूरत में चलते हैं अगर उस के लिए ईंधन दस्तयाब हो।
कुछ दूसरे मुक़ामात पर कुछ घराने या छोटे कारोबारी अफ़राद, जिनके पास सोलर पैनल हैं, लोगों को अपने फ़ोन चार्ज करने की इजाज़त देते हैं लेकिन इसके लिए उन्हें पैसा देना पड़ता है।