✒ लंदन : आईएनएस, इंडिया
बर्तानिया में एक मुसलमान खातून पर एक अजनबी शख़्स ने कंक्रीट के टुकड़े से सिर्फ इसलिए हमला किया कि वो हिजाब पहन रखी थी। खातून के शौहर ने बर्तानवी अखबार को बताया कि उनकी अहलिया पर हमला उनके हिजाब पहनने पर किया गया। डयूज बेरी के इलाके में रुनुमा होने वाले इस वाकिये की सीसीटीवी फूटेज में देखा जा सकता है कि एक नकाबपोश शख़्स कंक्रीट का बड़ा टुकड़ा हाथ में लिए खातून के करीब पहुंचत है और करीब पहुंचकर कंक्रीट का टुकड़ा खातून के सर पर मारता है। आखिरी लम्हे में खातून हमला आवर को देख लेती हैं। हादसा तब पेश आया, जब खातून एक दुकान के बाहर इंटरव्यूह के लिए अपनी बारी का इंतेजार करती खड़ी थी। उनके शौहर करीबी दूकान से उनके लिए खाने की चीज खरीद रहे थे।हमले के बाद खातून के श्Ñाौहर दीगर राहगीरों के साथ हमला आवर का पीछा करते हैं और उसे पकड़कर पुलिस के हवाले कर देते हैं। खातून के शौहर ने बताया कि वे अपनी अहलिया के लिए खाने की कुछ चीज खरीदने दूकान के अंदर थे। उस दौरान बारिश हो रही थी। त•ाी यह मामला पेश आया। पकड़े जाने पर वो चिल्ला रहा था कि पुलिस को न बुलाएं, वो दोबारा ऐसा नहीं करेगा। खातून के शौहर ईद करीमी का कहना है कि हमले के लिए मेरी अहलिया को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वो हिजाब पहन रखी थीं। उस वक़्त वहां पचास से साठ लोग थे लेकिन हमला उन पर ही किया गया। वेस्ट यार्कशायर पुलिस का कहना है कि मुल्जिम हिरासत में हैं। ताहम पुलिस ने इस पर तबसरा करने से इनकार किया कि इस केस को नफरत अंगेजी के जुर्म के तौर पर लिया जा रहा है या नहीं। करीमी का कहना है कि वो चाहते हैं कि पुलिस इस केस को संजीदा लें। ईद करीमी का मजीद कहना था कि उनकी अहलिया मामूली चोट आई है तो •ाी वो बहुत ज्यादा फिक्रमंद हैं। हमला-आवर ने हमले के वक़्त अहलिया को कुछ नहीं कहा और हम उसे नहीं जानते और ना पहले उसे देखा हैं। अहलिया हस्पताल से घर वापिस आ गई हैं लेकिन वो रात-•ार नहीं सो सकी क्योंकि वो बहुत ज्यादा जहनी दबाव में हैं।
ये वाकिया एक ऐसे वक़्त में सामने आया है जब बर्तानिया में गजा जंग की शुरूआत के बाद इस्लामो फोबिया से मुताल्लिक जराइम में इजाफा रिकार्ड किया जा रहा है। रवां माह अक्तूबर में लंदन में इस्लामो फोबिया के हवाले से जराइम में पिछले साल की निस्बत 140 फीसद इजाफा हुआ है।
माब लिंचिंग के खिलाफ सख़्त कानून बनाने की तैयारी, फांसी तक की सजा पर हो रहा गौर
नई दिल्ली : माब लिंचिंग के वाकियात में शामिल लोगों पर कत्ल के मुकद्दमात की तरह ही दफआत लगाई जा सकती हैं और सजा-ए-मौत और उम्र कैद की सजा मिल सकती है। इस सिलसिले में पार्लीमानी कमेटी गौर-ओ-खौज कर रही है। कमेटी की तरफ से तीन मुजरिमाना कानून में तबदीली की सिफारिश हो सकती है।दरअसल जात और फिर्का की बुनियाद पर माब लिंचिंग करने वालों को सख़्त सजा दिलाने का मुतालिबा लगातार होता रहा है। अब तक मोब लंचिंग के मुआमले में 7 साल तक की सजा का इंतिजाम रहा है, जिसे अब बदल कर फांसी और उम्र कैद तक करने का रास्ता हमवार किया जा सकता है। काबिल-ए-जिÞक्र है कि इंडियन पेनल कोड पर गौर-ओ-खौज के लिए वजारत-ए-दाखिला ने एक कमेटी तशकील दी है। ये कमेटी जात, नस्ल, फिकऱ्ा, जिन्स, जाए पैदाइश, जबान और इकदार के नाम पर माब लिंचिंग के मुआमले में सख़्त सजा पर तबादला-ए-ख़्याल कर रही है। कमेटी इस बात की सिफारिश करने पर गौर कर रही है कि मजकूरा मुआमलों से जुड़े किसी •ाी माब लिंचिंग मुआमले में कत्ल का केस चले। इसके अलावा उन्हें कत्ल के मुआमलों में मिलने वाली उम्र कैद और फांसी जैसी सजाओं का ही इल्तिजाम हो। स्टैंडिंग कमेटी में इस ताल्लुक से संजीदगी के साथ गौर-ओ-खौज हो रहा है।
कमेटी कुछ दीगर कवानीन को लेकर •ाी सलाह-ओ-मश्वरा कर रही है। एक सिफारिश ये •ाी हो सकती है कि दफा 377 को बरकरार रखा जाए। पहले इसके तहत हम-जिंस परस्ती और गैर फितरी जिन्सी ताल्लुकात पर पाबंदी थी लेकिन उसे सुप्रीमकोर्ट के हुक्म पर खत्म कर दिया गया था। अब पैनल का मानना है कि गैर फितरी रिश्तों के मुल्जिमीन को इसी सेक्शन के तहत रखा जाए। ऐसे लोगों पर इस सेक्शन के तहत ही केस चलाए जाएं। इसके अलावा नाजायज रिश्तों के लिए दफा 497 के तहत केस चलेगा। हालाँकि उसे जेंडर न्यूट्रल रखने की सिफारिश हो सकती है।