✒ गजा : आईएनएस, इंडिया गजा के लाखों फलीस्तीनी एक माह से जारी मुसलसल बमबारी के बीच मौत का खौफ और मलबे दरमियान मुअल्लक (निर्वासित) जिंदगी गुजार रहे हैं। इनमें अनकरीब मां बनने वाली और एक नई जिंदगी को जन्म देने वाले फलस्तीनी खवातीन •ाी शामिल है। अकवाम-ए-मुत्तहिदा (संयुक्त राष्टÑ) की एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक 24 लाख की गजा की इस आबादी में 50 हजार खवातीन हामिला हैं, उनमें जो जिंदा बच पाइं या उनके बच्चे पैदाइश से कब्ल ही इसराईली बमबारी या मुहासिरे की वजह से मौत से हम-आगोश ना हो गए तो ये 50 हजार खवातीन अगले कुछ दिनों में माँ बनने वाली हैं। इनमें 5 हजार 500 हामिला खवातीन ऐसी हैं, जो जल्द ही मां बनने वाली हैं।
अकवाम-ए-मुत्तहिदा के जिला इदारे की इस रिपोर्ट के मुताबिक एक मुआमला इन सबसे ज्यादा कुरबत का और फौरी तवज्जा का है कि गजा में यौमिया (प्रतिदिन) 160 बच्चों की पैदाइश मुतवक़्के (सं•ाावित) है। इन हामिला खवातीन को अगर मामूल की जिंदगी मयस्सर होती तो उनकी खुराक, आराम और सहूलत के अस्बाब की हर घराने में अपनी तौफीक के मुताबिक ख़्याल रखा जाता है। खुसूसी जरूरत की खुराक, वक्तन-फ-वक्तन मेडीकल चैकअप का एहतिमाम, डाक्टरों की हिदायत के मुताबिक अदवियात और विटामिन्ज या इस तरह के दीगर सप्लीमेन्ट्स का एहतिमाम होता। ये पचास हजार खवातीन जो इस वक़्त एक लाख जिंदगियों की नुमाइंदा हैं, जिंदगी की दोहरी गिनती में शामिल होने के बाइस आम अहले गजा से ज्यादा खतरात से दो-चार हो रही हैं। उनकी अपनी जिंदगी के साथ-साथ उनके आने वाले नन्हे मेहमानों को जहां मुनासिब खुराक, ईलाज और अदवियात के बगैर उमूमी हालात में खतरात दरपेश हो सकते थे, वहीं अब इसराईली बमबारी और जेरे मुहासिरा (घेराबंदी) गजा में उन्हें दूसरों के मुकाबले में कहीं ज्यादा खतरात का सामना करना पड़ रहा है। उनके पास मुनासिब खुराक, लिबास, रिहायश, पीने को पानी, डाक्टर, हस्पताल, अदवियात और महफूज जगह •ाी मयस्सर नहीं है।
इनमें से बहुत सी खवातीन इसराईल की मुसलसल बमबारी की वजह से अपने घरों की छत से महरूम हो कर बे-घर हो चुकी हैं। घरों का मलबा अब उनकी रंग-बिरंगी बल्कि लहू रंग जमीन है। इस मलबे के नीचे कहीं लाशे हैं, कहीं जिंदगी की रुक-रुक कर चलने वाली आखिरी साँसें और कहीं कहीं शहीद हो चुके फलस्तीनी बच्चों और बड़ों के जिस्मों के लोथड़े दबे हुए हैं। कहीं बिखरे लहू के निशान और चारों तरफ इसराईली दहश्तगर्दी की कहानी और उनके आलमी सर पोस्तों की बे-हिसी और दरिंदगी का हवाला है। इस सब कुछ ने नई जिंदगी के जन्म लेने की खुशी और मुसर्रत को •ाी खौफनाकी-ओ-खतरनाकी में तबदील कर दिया है। सितम की बात ये है कि औरतों के हुकूक का वावेला कर के दूसरे मुल्कों पर पाबंदीयां लगाने और उन्हें तान-ओ-तशनीअ का निशाना बनाने वाले सारे मुल़््क इसराईल के साथ खड़े हैं।
इंटरनेशनल कमेटी फार रेड क्रिसेंट के गजा के लिए तर्जुमान हाशिम महिना ने गजा की हामिला खवातीन के इन हालात के बाइस करब का जिÞक्र किया तो बताया कि उनकी अपनी हामिला अहलिया •ाी इसी गजा की बासी होने के बाइस हजारों दूसरी खवातीन की तरह गैरमामूली खौफ के साथ रह रही हैं। हाशिम महिना ने अपना और दूसरों का मुशतर्का (सााा) दुख इस तरह बयान किया कि मैं नहीं समझता कि इस तरह के हालात में किसी नए बच्चे का जन्म होना चाहिए। हाशिम महिना का ये कहना इसलिए है कि गजा के आधे हस्पताल बंद हो चुके हैं, उनमें से कई बमबारी कर के इसराईल ने तबाह कर दिए और कई पानी से लेकर अदवियात और तिब्बी आलात की हर जरूरत से इसलिए महरूम हो गए कि इसराईल ने गजा का मुसलसल मुहासिरा कर रखा है। यही नहीं, 72 में से 46 प्राइमरी हेल्थ क्लीनिक •ाी बंद हो चुके हैं। बाकी बची अदवियात और दूसरे वसाइल से चलने वाले तिब्बी मराकज ने अपने यहां से जच्चा बच्चा के लिए मुखतस (रिजर्व) कमरों को एमरजेंसी और आॅप्रेशन्ज रूम्ज में तबदील कर दिया है। हस्पताल बजा-ए-खुद हमावकत इसराईली बमबारी के खतरे की जद में हैं।
हाशिम महिना के बाकौल हामिला खवातीन को इस मरहले पर ज्यादा सुकून, आराम, सहूलत, दवाई और डाक्टर की जरूरत होती है। मगर यहां तो जिंदगी के लिए मौत है, इर्द-गिर्द मलबा है, तबाही है। थोड़ी-थोड़ी देर में बम फट रहे हैं। शोले •ाड़कते हैं। घर मलबे का ढेर बनते जा रहे हैं और आस-पास के जिंदा लोग मौत के मुँह में जाते जा रहे हैं। उधर अमरीका और उसके इत्तिहादी इसराईल जंग बंदी न करने पर अड़े हुए हैं।