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✒ कोइटा, इस्लामाबाद : आईएनएस, इंडिया
दूसरी जानिब खैबर पख्तूनख्वा के जिÞला हंगू की मस्जिद में नमाज-ए-जुमा के दौरान धमाका हुआ जिसमें मुतअद्दिद अफराद जख्मी हो गए। डिस्ट्रिक्ट पुलिस आॅफीसर के मुताबिक धमाके में कम अज कम तीन अफराद हलाक और 12 जखमी हुए हैं। निगरां वजीर-ए-इत्तलात बलोचिस्तान के मुताबिक मस्तोंग धमाके के बाद रेस्क्यू टीमों को मस्तोंग रवाना कर दिया गया है जबकि कोइटा के अस्पतालों में भी इमरजेंसी नाफिज कर दी गई है। उन्होंने कहा कि धमाके में शदीद जखमी होने वालों को कोइटा मुंतकिल किया गया है। धमाके के बाद बलोचिस्तान में तीन रोजा सोग का ऐलान किया गया था। वफाकी वजारात-ए-दाखिला ने सोशल मीडिया पर जारी एक बयान में कहा कि वजीर-ए-दाखिला सरफराज बुगटी ने मस्तोंग में मदीना मस्जिद के करीब धमाके की मुजम्मत की है और कीमती इन्सानी जानों के जाया होने पर अफसोस का इजहार किया है।
वहीं हंगू पुलिस के मुताबिक दवाबा पुलिस स्टेशन से मुल्हिका (करीब) मस्जिद के लॉन में दो मोटर साईकल सवारों ने फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस की फायरिंग से एक शिद्दत-पसंद मौका पर हलाक हो गया जबकि दूसरे ने भाग कर मस्जिद के अंदर अपने आपको धमाका खेज मवाद से उड़ा दिया। पुलिस के मुताबिक मस्जिद की छत गिर गई है, धमाके में 11 जखमी नमाजियों को बाहर निकाल लिया गया है।
कौन हैं जो ईद मीलाद उन्नबी सल्ल्लाहो अलैहे वसल्लम के जलूस को भी नहीं बख़्शते
सिविल अस्पताल कोइटा में ट्रामा सेंटर के गेट के बाहर मस्तोंग में होने वाले धमाके में जखमी अफराद के लवाहिकीन का मजमा लगा था। उनमें एक शख़्स सद्दाम हुसैन थे, जिनके खानदान के 15 अफराद हलाक और 30 से जाइद जखमी हो गए। सद्दाम ने बताया कि उनके घर से इतनी ज्यादा लाशें उठी हैं कि उन्हें कुछ समझ नहीं आ रहा है कि वो क्या करें और कहाँ जाएं। सद्दाम ने बताया कि उनके खानदान के 15 अफराद अब भी मुख़्तलिफ अस्पतालों में जिंदगी और मौत की जंग लड़ रहे हैं। उनके बाकौल वो मस्तोंग के बस अड्डे पर मौजूद थे कि किसी से मालूम हुआ कि मदनी मस्जिद के पास एक धमाका हुआ है। उन्होंने बताया कि धमाके के मुकाम पर हर तरफ लाशें ही लाशें थीं। सद्दाम ने कहा कि लोग मीलाद मना रहे थे। ना जाने कौन लोग हैं, जो मीलाद के जलूस को भी नहीं छोड़ते और नाहक लोगों का खून बहाते हैं।मस्तोंग बलोचिस्तान के मर्कजी शहर कोइटा से तकरीबन 60 किलोमीटर के फासले पर एक जिÞला है। माजी में भी मस्तोंग के इलाके में मजहबी और सियासी इजतिमाआत पर हलाकत खेज हमले होते रहे हैं। साल 2017 में मस्तोंग में डिप्टी चेयरमैन मौलाना अब्दुल गफूर हैदरी के काफिले के करीब धमाके में 25 अफराद हलाक हुए थे। साल 2018 में मस्तोंग के इलाके दरेंगड़ के करीब बलोचिस्तान अवामी पार्टी की इंतिखाबी मुहिम के दौरान खुदकुश हमले के नतीजे में साबिक वजीर-ए-आला बलोचिस्तान नवाब असलम रईसानी के छोटे भाई सिराज रईसानी समेत 128 अफराद हलाक हो गए थे जबकि 150 जखमी हुए थे।
बलोचिस्तान के सीनीयर सहाफी और तजजिÞया कार सलीम शाहिद ने कहा कि नाईन इलेवन के बाद पाकिस्तान में शिद्दत और अस्करीयत पसंदी में इजाफा हुआ है। जिन लोगों को सोवीयत यूनीयन के खिलाफ अफ़्गानिस्तान में जिहाद के लिए लाया गया, वो अमरीका के अफ़्गानिस्तान आने के बाद यहां पाकिस्तान में आ गए। मुल्क में दहश्तगर्दी के वाकियात में उसी वक़्त से इजाफा हुआ है। सलीम शाहिद के बाकौल बलोचिस्तान उस वक़्त एक पुरअम्न सूबा था मगर उसके बाद बलोचिस्तान में भी दहश्तगर्दी के वाकियात होने लगे, मुहर्रम के जलूसों और सिक्योरिटी फोर्सिज पर हमले होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि शायद मस्तोंग में शिद्दत-पसंद ज्यादा तादाद में जमा हो गए हैं और इसी वजह से गुजिश्ता इलेक्शन में नवाबजादा सिराज रईसानी पर हमला हुआ, मौलाना गफूर हैदरी और गुजिश्ता दिनों हाफिज हमद अल्लाह पर भी मस्तोंग में ही हमला हुआ था। सलीम शाहिद के मुताबिक बलोचिस्तान में मीलाद के जलूसों पर इस तरह का हमला इससे पहले कभी नहीं हुआ। ये अपनी नौईयत का पहला वाकिया है जो मस्तोंग में पेश आया है।