✒ लंदन : आईएनएस, इंडियाअगर आपकी उम्र 14 से 49 साल की है तो एक ताजा रिसर्च आपको सेहत के एक बड़े खतरे से अलर्ट रखने में मुफीद हो सकती है। दुनियाभर के 204 मुल्कों में हुए आदाद-ओ-शुमार के सर्वे से जाहिर हुआ है कि कैंसर की 29 मुख़्तलिफ किस्मे गुजिश्ता तीस साल में दुनियाभर में पच्चास साल से कम उमर के लोगों को अपनी जकड़ में ले रही है। इस उम्र के लोगों में कैंसर की शरह तकरीबन 80 फीसद बढ़ गई है।
इस इजाफे को देखते हुए माहिरीन ने खदशा जाहिर किया है कि 2030 तक पच्चास साल से कम उमर के लोगों में आलमी सतह पर कैंसर में मुबतला होने वालों की तादाद मजीद 31 फीसद बढ़ सकती है। ये रिसर्च गुजिश्ता बुध को एक हेल्थ मैग्जीन में शाइया हुई है। रिसर्च के मुताबिक 1990 से 2019 के दरमयान कैंसर में मुबतला अफराद की तादाद एक इशारीया (एक दशमलव) 82 मिलियन से बढ़कर 3 इशारीया 26 मिलियन हो गई थी। रिसर्च से जाहिर हुआ है कि 2019 में कैंसर से पचास साल से कम उमर के दस लाख से ज्यादा लोग हलाक हुए जो 1990 की शरह से 28 फीसद ज्यादा थी। ये इजाफा क्यों हुआ, ये वाजेह नहीं हुआ है। अगरचे माहिरीन का कहना है कि इसमें से कुछ इजाफा आबादी में इजाफे से मंसूब किया जा सकता है, हालांकि साबिक (पहले के) रिसर्च से ये भी जाहिर हुआ है कि 50 साल से कम उमर के लोगों में कैंसर की तशखीस उमूमी तौर पर बढ़ रही है।
इस नई रिसर्च के मुहक़्किकीन (शोधकर्ताओं) की बैन-उल-अकवामी टीम ने कहा है कि पचास साल से कम उमर के इस ग्रुप में नाकिस (खराब) गिजा, तंबाकू और शराबनोशी, जीनीयाती अवामिल, जिस्मानी सरगर्मी के फुकदान, और मोटापे को कैंसर की वजूहात करार दिया जा सकता है। लेकिन वो ये भी कहते हैं कि अभी तक ये वाजह नहीं हुआ है कि अब कैंसर में पचास साल से कम उम्र के अफराद क्यों मुबतला हो रहे हैं।
रिसर्च के मुताबिक ब्रेस्ट, नर्ख़रे, फेफड़ों, आंतों और मेदे के कैंसर से सब से ज्यादा मौत हुईं है। गुजिश्ता तीस बरसों में ब्रेस्ट कैंसर के सबसे ज्यादा मरीज सामने आए थे। लेकिन जिस कैंसर में सबसे ज्यादा तेजी से इजाफा हुआ, वो नाक के आखिरी और हलक के शुरू के हिस्से के मिलाप के मुकाम का कैंसर, और प्रोस्टेट कैंसर है। रिसर्चर्ज ने अपनी रिपोर्ट में 2019 की रिसर्च के आदाद-ओ-शुमार इस्तिमाल करके 204 मुल्कों के 29 मुख़्तलिफ किस्मों के कैंसर की शरह का तजजिÞया (विश्लेषण) किया है। ये इदारा दुनिया-भर के मुल्कों में वक़्त, उम्र और जिन्स को मद्द-ए-नजर रखकर बीमारीयों और शरह अम्वात का जायजा लेता है। ताकि दुनिया-भर में सेहत के निजामों को बेहतर बनाने में मदद फराहम की जा सके।