✒ पेरिस : आईएनएस, इंडिया फ्रÞांस की एक आला अदालत ने स्कूलों में तालिबात के इबाया पहनने पर हुकूमती पाबंदी को बरकरार रखते हुए मुस्लिम तंजीम की जानिब से दायर दरखास्त रद्द कर दी है। फ्रÞांसीसी सदर एमानोयल की हुकूमत ने गुजिश्ता माह स्कूलों में इबाया पहनने पर पाबंदी आइद की थी और कहा था कि तालीमी इदारों में इबाया पहनना सेक्यूलारिज्म के उसूलों की खिलाफवरजी है।
फ्रÞांस में मुस्लिम खवातीन के सिर पर स्कार्फ पहनने पर पहले ही पाबंदी है और ऐसा करना मजहबी वाबस्तगी के इजहार के तौर पर देखा जाता है। फ्रÞांस में बसने वाले मुस्लमानों की एक नुमाइंदा तंजीम एक्शन फार दी राइट्स आफ मुस्लिम्ज (एडीएम) ने आला तरीन अदालत रियास्ती काउंसिल से इस्तिदा (अनुरोध) की थी कि इबाया और मर्दों के लिबास कमीस पर पाबंदी के खिलाफ जारी हुक्म पर रोक लगाई जाए।
मुस्लिम तंजीम का मौकिफ था कि ये पाबंदी इमतियाजी है और मुस्लमानों के खिलाफ नफरत के साथ-साथ नसली प्रोफाइलिंग को भड़का सकती है। अदालत ने दो रोज तक मुस्लिम तंजीम की दरखास्त पर समाअत के बाद जुमेरात को तंजीम के दलायल को मुस्तर्द कर दिया। अदालत ने कहा कि इबाया पहनना मजहबी अलामत की पैरवी करता है और ये कि पाबंदी का फैसला फ्रÞांसीसी कानून पर मबनी है जो किसी को भी स्कूलों में मजहबी वाबस्तगी के वाजेह निशानात पहनने की इजाजत नहीं देता। अदालत ने कहा कि हुकूमत की तरफ से पाबंदी से जाती जिंदगी के एहतिराम, मजहब की आजादी, तालीम के हक, बच्चों की भलाई या अदम इमतियाज के उसूल को संगीन या वाजिह तौर पर गै़रकानूनी नुक़्सान नहीं पहुंचा है।
काउंसिल के फैसले से कब्ल फ्रÞांस की हुकूमत के सामने मुस्लमानों की नुमाइंदगी के लिए कायम तंजीम काउंसिल आफ दी मुस्लिम फेथ ने खबरदार किया था कि इबाया पर पाबंदी से इमतियाजी सुलूक का खतरा बढ़ सकता है। समाअत के दौरान एडीएम के वकील ब्रेनगारथ ने अदालत में दलील दी कि इबाया को रिवायती लिबास समझा जाना चाहिए, मजहबी नहीं। तंजीम के सदर सेहम जाइन ने इल्जाम लगाया कि ये तरीका जिन्स परस्त इकदामात के जुमरे में आता है क्योंकि ये लड़कीयों को अलग करता है। हालांकि फ्रÞांस की वजारात-ए-तलीम का मौकिफ है कि इबाया पहनने वालों को मखसूस मजहब से ताल्लुक रखने वाले के तौर पर फौरी तौर पर पहचाना जा सकता है और इस वजह से ये फ्रÞांस की सेक्यूलर सकाफ़्त के खिलाफ है। वाजेह रहे कि फ्रÞांसीसी स्कूलों ने तालीमी साल के पहले दिन दर्जनों लड़कीयों को अपने इबाया उतारने से इनकार करने पर घर भेज दिया था। सरकारी अंदाजों के मुताबिक फ्रÞांस की 67 मिलियन आबादी में से तकरीबन 10 फीसद मुस्लमान हैं। इनमें ज्यादातर शुमाली (उत्तरी) अफ्रÞीकी ममालिक अल्जीरिया, मराकश और तीवनस से आए हुए तारकीन-ए-वतन (अप्रवासी) हैं।
मिस्र में 30 से लग जाएगी पाबंदी
काहिरा : मिस्री हुकूमत ने अगले तालीमी साल के दौरान स्कूलों में तालिबात और मुअल्लिमात के नकाब पहनने पर पाबंदी लगाने का फैसला किया है। 30 सितंबर से शुरू होने तालीमी साल से इस पर बाकायदा अमल शुरू हो जाएगा।मिस्री वजीर-ए-तालीम रजा हिजाजी ने कहा कि सर के बालों को ढांपना इखतियारी है, आॅप्शन है, मगर स्कूलों में आने वाली तालिबात के लिए चेहरे का नकाब ना करना बुनियादी शर्त होगी। वजीर-ए-तालीम ने मजीद कहा कि किसी शख़्स या इदारे को स्कूलों में तालिबात के नकाब और हिजाब के हवाले से दबाव डालने की इजाजत नहीं होगी। वजारात-ए-तलीम ने गवर्नरियों में एजूकेशन डायरेक्टोरेट को हिदायत की कि वो इस बारे में सरपरस्त के मौकिफ (इरादे) को मालूम करें। यूनीफार्म के रंग के ताय्युन के सिलसिले में, स्कूल का बोर्ड आफ डायरेक्टर्ज, बोर्ड आफ ट्रस्टीज, वालदैन और असातिजा के साथ हम-आहंगी से काम करेगा। ख़्याल रहे कि चंद दिनों कब्ल फ्रÞांस में भी हिजाब पर पाबंदी लगा दी गई है।