✒ प्रयागराज : आईएनएस, इंडिया इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बालिग जोड़ों से जुड़े एक मुआमले में अहम फैसला सादर किया है। अपने फैसले में हाईकोर्ट ने कहा कि बालिग जोड़ों को साथ रहने से उनके वालदैन भी नहीं रोक सकते। बालिग जोड़ों को एक साथ रहने की पूरी आजादी है। वालदैन बालिग जोड़ों की जिंदगी में कोई मुदाखिलत नहीं कर सकते।
अदालत ने अपने फैसले में कहा कि अगर कोई बालिग जोड़ा लिव इन रिलेशनशिप में रह रहा है और उसे कोई धमकी देता है या परेशान करता है तो उन्हें तहफ़्फुज मुहय्या कराने की जिÞम्मेदारी पुलिस कमिशनर की होगी। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि बालिग जोड़े को अपनी पसंद से साथ रहने या फिर शादी करने की पूरी आजादी है। अदालत ने कहा कि बालिग जोड़ों के इन हुकूक में आर्टीकल 19 और 21 की खिलाफवरजी माना जाएगा। जस्टिस सुरेंद्र सिंह की सिंगल बैंच ने ये हुक्म एक मामले की अर्जी पर समाअत के बाद दिया।
हाईकोर्ट में अर्जी दहिंदा ने कहा कि दोनों ही बालिग हैं। अपनी मर्ज़ी से लिव इन रिलेशनशिप में रह रहे हैं। मुस्तकबिल में शादी करना चाहते हैं। इससे वालदैन या फैमिली के लोग नाराज हैं और धमकी दे रहे हैं। ऐसा अंदेशा है कि उनकी आनर किलिंग की जा सकती है। 4 अगस्त 2023 को पुलिस कमिशनर से इस बात की शिकायत की गई थी। जब पुलिस कमिशनर से सिक्योरिटी नहीं मिली और कोई कार्रवाई नहीं हुई तो उन्होंने हाईकोर्ट की पनाह ली।
दूसरी तरफ सरकारी वकील ने कहा कि दोनों ही जोड़े अलग मजाहिब के हैं। इस्लाम में लिव इन रिलेशनशिप में रहना गुनाह तसव्वुर किया जाता है। इस पर हाईकोर्ट ने सुप्रीमकोर्ट के कई फैसलों का हवाला देते हुए कहा कि जात पात का निजाम मुल्क के लिए एक बददुआ है और उसे जितनी जल्द खत्म किया जाए उतना बेहतर है। बैन उल मजाहिब शादी दरअसल मुल्की मुफाद (देश हित) में है, क्योंकि उसके नतीजा कार फिरकावापरस्ती पर मबनी निजाम तबाह हो जाएगा। किसी भी बालिग जोड़े को अपनी मर्ज़ी से साथ रहने का हक है। भले ही उसकी जात और मजहब मुख़्तलिफ क्यों ना हो। अगर कोई परेशान करे, या तशद्दुद करे तो पुलिस उस पर कार्रवाई करे।