‘बुजुग मुसलमान का एहतेराम करना, अल्लाह की ताअजीम का हिस्सा है।’
- अबु दाऊद शरीफ
✒ काहिरा : आईएनएस, इंडिया
मिस्री हलकों में गुजिशता चंद दिनों के दौरान एक मजहबी मबलग (धार्मिक प्रचारक) की तरफ से जारी फतवे की वजह से इंतिशार (बेचैनी) और तनाजा (विवाद) की कैफीयत पैदा हो गई है। मिस्री मबलग अमीर मुनीर ने अपने सोशल मीडीया एकाऊंटस के जरीये एक उमरा एप का ऐलान किया है जिसासे बड़े पैमाने पर लोगों में गुस्सा देखा जा रहा है। (file photo) Image google
अपने एप के जरिये मजहबी मबलग ने 4000 मिस्री पाऊंडज यानी 130 डालर के एवज उमरा करने के एक नए तरीके की बात कही है। एप के मुताबिक आपके नाम पर उमरा कोई और शख्स अदा करेगा जिसे आप आन लाईन देखेंगे। यही नहीं, ये एप्लीकेशन उमरा के एक से ज्यादा खिदमात मुहय्या करती है, जिनमें एक दिन में फौरी उमरा करना, बाकायदा मारूफ उमरा, यहां तक कि किसी दूसरे की जगह उमरा की अदायगी, जो किसी रिश्तेदारों लिए 4,000 पाऊंडज में अदा किया जा सकता है, शामिल है। मबलग ने वीडीयो में ये भी इन्किशाफ (खुलासा) किया कि वो और दीगर अफराद एक उमरे के लिए मखसूस रकम के बदले खाहिशमंद अफराद की तरफ से उमरा करते हैं। एप पर एक से ज्यादा अमरीकी सहूलत भी मयस्सर है। मिसाल के तौर पर फौतशुदा वालिद और वालिदा के लिए, या दाइमी बीमारीयों में मुबतला शख्स के लिए उमरा की अदायगी भी करवाई जाती है।
मुतअद्दिद हलकों में इस इकदाम पर शदीद तन्कीद (कड़ी निंदा) की गई और उसे मजहबी तिजारत और पैसे हथियाने का एक जरीया करार दिया गया। शहरियों ने मिस्री फतवा हाऊस और इलाके की मस्जिद से मामलो में फौरी मुदाखिलत की दरखास्त भी की है। मारूफ वकील हानि सामा ने मबलग के खिलाफ मिस्री अटार्नी जनरल और वजारत-ए-दाखिला को एक हंगामी रिपोर्ट जमा कराई, जिसमें इल्जाम लगाया गया कि वो बगैर इखतियार के पैसे और अतयात वसूल करता है। वकील हानि सामा ने बताया कि मुबय्यना मबलग (कथित प्रचारक) ने फार्मासिस्ट के तौर पर मुलाजमत में नाकामी और बेरोजगार के बाद इस कारोबार में आने का फैसला किया। उन्होंने कहा कि मुबय्यना मबलग इससे कब्ल भी एक वेबसाइट पर लोगों से अतयात और चंदा इकट्ठा करता रहा है। बैन-उल-अकवामी फतवा मर्कज ने इस बात पर-जोर दिया है कि इबादात हर मुस्लमान पर फर्ज हैं, और जब भी मुम्किन हो, उन्हें उमरा खुद अदा करना चाहिए। इस बात पर जोर देते हुए कि उमरा के लिए बदल करने के बारे में मजकूरा मजहबी अहकामात को मद्द-ए-नजर रखा जाना चाहिए।