✒ नई दिल्ली : आईएनएस, इंडियाजानकारी के मुताबिक आॅल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड विरासत में खवातीन की हिस्सादारी को यकीनी बनाने के लिए मुहिम चलाने जा रहा है। बोर्ड की मजलिस-ए-आमला की नई दिल्ली में मुनाकिद एक अहम नशिस्त में इसके अलावा दीगर कई अहम फैसले लिए गए। इनमें एक ये फैसला भी शामिल है।
नशिस्त में शामिल कई शुरका (शामिल लोगों का) ये एहसास सामने आया कि इसके बावजूद कि कानून-ए-शरीयत में बाप की विरासत में बेटी को एक मुतय्यन हिस्सा दिया गया है, बहुत सारे मुआमलों में बहनों और बेटियों को ये हिस्सा नहीं मिल पाता। इसी तरह बेटे की जायदाद से मां को और शौहर की जायदाद से उसकी बेवा को महरूम रखा जाता है। इसी तरह भाई की जायदाद में बहन का जो हिस्सा होता है, उससे भी बहन को महरूम रखा जाता है।
बोर्ड ने फैसला किया कि वो विरासत में खवातीन के हिस्से को यकीनी बनाने के लिए मुल्क गीर तहरीक चलाएगा। बोर्ड के तर्जुमान डाक्टर सय्यद कासिम रसूल इलयास ने आमिला के फैसला पर रोशनी डालते हुए कहा कि बोर्ड में ये एहसास भी सामने आया कि मुल्क में खवातीन को मुतअद्दिद किस्म के समाजी मसाइल का सामना है, मसलन रहम मादर में बच्चियों का कतल (अबार्शन), जहेज की लानत, ताखीर से शादी का मसला, उनकी इफ़्फत-ओ-इस्मत पर हो रहे हमले, मुलाजमतों के दौरान उनका इस्तिहसाल, उन पर होने वाला घरेलू तशद्दुद वगैरह। इन बातों का बोर्ड ने सख़्ती से नोटिस लिया और तय किया कि बोर्ड की इस्लाह मुआशरा तहरीक के जरीया तरजीही तौर पर इन चीजों की इस्लाह पर खुसूसी तवज्जा दी जाएगी।
इस सिलसिले में पूरे मुल्क को तीन हिस्सों में तकसीम करके तीन सेक्टर मौलाना सय्यद अहमद फैसल रहमानी, मौलाना मुहम्मद अमरीन महफूज रहमानी और मौलाना यासीन अली उसमानी बदायूनी को इसका जिÞम्मेदार बनाया गया। इसी तरह तफहीम शरीयत कमेटी की जिÞम्मेदारी बोर्ड के सेक्रेटरी मौलाना सय्यद बिलाल अब्दुल हसनी को दी गई। शरकाए इजलास ने यूनीफार्म सिविल कोड के ताल्लुक से बोर्ड की जानिब से की गई कोशिशों की तहसीन की, बिलखसूस मुख़्तलिफ मजहबी व समाजी रहनुमाओं की राउंड टेबल मीटिंग-ओ-प्रेस कांफें्रस। ला कमीशन के मुतालिबा और बोर्ड की तहरीक पर तकरीबन 63 लाख अफराद की जानिब से जवाब का दिया जाना और सदर बोर्ड की कियादत में ला कमीशन से बोर्ड के वफद की मुलाकात-ओ-गुफ़्तगु। तय पाया कि इस सिलसिले की दीगर कोशिशों को जारी रखा जाएगा।
मजलिस-ए-आमला ने औकाफ की जायदादों के ताल्लुक से हुकूमत की चीरा दस्तियों, वक़्फ बोर्डों की मुजरिमाना गफलत और मुल्क के मुख़्तलिफ हाई कोर्टस में वक़्फ कानून के खिलाफ दायर होने वाले मुकद्दमात पर गहिरी तशवीश का इजहार किया। इस सिलसिले में वक़्फ की शरई हैसियत, दरपेश खतरात और तदारुक की मुम्किना तदाबीर पर मुल्क के पांच बड़े शहरों में वक़्फ कान्फेंस का इनइकाद करने का फैसला लिया गया।