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मस्जिद में दाखिले पर पाबंदी के खिलाफ मुस्लिम फरीक पहुंचा मुंबई हाईकोर्ट

2 मुहर्रम-उल-हराम 1445 हिजरी
जुमा, 21 जुलाई, 2023
अकवाले जरीं
‘आप (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) के साथ हजरत अबू बकर (रदिअल्लाहो अन्हो), हजरत उमर 
(रदिअल्लाहो अन्हो), और हजरत उस्मान (रदिअल्लाहो अन्हो), भी थे, अचानक उहद पहाड़ लरजने लगा तो आप (सल्लल्लाहो अलैहे वसल्लम) ने अपने पांव से पहाड़ पर ठोकर मारकर फरमाया, उहद, ठहरा रह कि तु­ा पर एक नबी, एक सिद्दीक और दो शोहदा ही तो हैं।’
- बुखारी शरीफ 
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कलेक्टर से फरियाद, मस्जिद का ढांचा मंदिर से मिलता-जुलता इसलिए मस्जिद ढहाई जाए
मस्जिद ट्रस्ट का दावा, मस्जिद कई दहाई पुरानी, महाराष्ट्र हुकूमत ने उसे तारीखी यादगार करार दिया

मुंबई : आईएनएस, इंडिया 
जामा मस्जिद ट्रस्ट कमेटी ने मस्जिद में दाखिले पर पाबंदी के मुआमले को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट का रुख किया है। महाराष्ट्र के जलगांव जिÞले में मस्जिद से मुताल्लिक तनाजा (विवाद) पर कलेक्टर ने मस्जिद में दाखिले पर पाबंदी लगा दी है। 
मस्जिद में दाखिले पर पाबंदी के खिलाफ मुस्लिम फरीक पहुंचा मुंबई हाईकोर्ट

    जिस शिकायत पर कलेक्टर ने ये फैसला दिया है, उसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का डिजाइन मंदिर जैसा है। एक अंग्रेजी अखबार में शाइआ खबर के मुताबिक ट्रस्ट के सरबराह अलताफ खान ने अपनी दरखास्त में कलेक्टर के हुक्म को जांबदाराना और गै़रकानूनी करार दिया है। दरखास्त गुजार ट्रस्ट के वकील एसएस काजी ने कहा कि 11 जुलाई को कलेक्टर ने मस्जिद में दाखिले पर पाबंदी का हुक्मनामा पास करते हुए म्यूनसिपल काउंसिल के चीफ आॅफीसर को मस्जिद की चाबियाँ सौंप दीं। उनके हुक्म के मुताबिक अब सिर्फ दो अफराद को वहां जा कर नमाज पढ़ने की इजाजत होगी। 
    अर्जी के मुताबिक पांडाव संघर्ष समीती ने मई में कलेक्टर के पास इस सिलसिले में एक शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दावा किया गया था कि मस्जिद का ढांचा एक मंदिर से मिलता-जुलता है और इसलिए मुस्लिम कम्यूनिटी के तजावुजात (अतिक्रमण) को खाली किया जाना चाहिए। मस्जिद के ढाँचे को गै़रकानूनी करार देते हुए कमेटी की जानिब से उसे गिराने और वहां चल रहे मुदर्रिसा को बंद करने का मुतालिबा भी किया गया है। उसके बाद कलेक्टर की जानिब से 27 जून को समाअत की तारीख मुकर्रर की गई, लेकिन कलेक्टर की मस्रूफियत की वजह से समाअत नहीं हो सकी। दरखास्त में कहा गया है कि बाद की तारीख को, ट्रस्ट ने कलेक्टश्र से शिकायत का जायजा लेने और अपना जवाब दाखिल करने के लिए वक़्त मांगा, लेकिन उसे उसके लिए वक़्त नहीं दिया गया। 
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11 जुलाई को फैसला सुनाते हुए मस्जिद में दाखिले पर पाबंदी लगा दी गई। कलेक्टर के हुक्म को मुतासबाना और गै़रकानूनी करार देते हुए ट्रस्ट ने कहा कि उसे अपना रुख पेश करने का मौका भी नहीं दिया गया। इस हुक्म को चैलेंज करते हुए दरखास्त गुजार ने उसे मंसूख करने की इस्तिदा की है। साथ ही ट्रस्ट का दावा है कि ये मस्जिद कई दहाईयों पुरानी है और महाराष्ट्र हुकूमत ने उसे तारीखी यादगार करार दिया है। ट्रस्ट ने ये भी कहा कि अभी तक महिकमा आसारे-ए-कदीमा या रियास्ती हुकूमत की तरफ से इस पर कोई एतराज नहीं किया गया है।


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