15 जीअकादा 1444 हिजरी
पीर, 5 जून 2023
अकवाले जरीं
‘जो कोई अपने भाई का खत या मैसेज उसकी इजाजत के बगैर देखता है, गोया वह आग को देखता है।’
- अबु दाऊद
------------------------------
हासम अली : अजमेर आल इंडिया मंसूरी समाज की जानिब से तेलघाणा व रुई पिंजन बोर्ड की मांग को लेकर की जा रही मांग के सिलसिले में 1 जून को मआशरे के लोगों ने समाज भवन, चंडावल नगर (पाली) से सुल्तान लाहोरी की कयादत में वजीरे आला अशोक गहलोत की रिहाईश, जयपुर तक पैदल मार्च किया गया। 1 जून, जुमेरात को चंडावल (पाली) से शुरू हो कर 3 जून को रात 12 बजे पैदल मार्च अजमेर पहुंचा जहां आल इंडिया मंसूरी समाज के रियासती सदर व सोशल वर्कर हाजी रियाज अहमद मंसूरी, हाजरा जमात तेली 53 गोत्र, अजमेरा के सदर, सोशल वर्कर हाजी सलामुद्दीन मंसूरी लाहोरी, अजमेर मंसूरी समाज खिदमतगार कमेटी के कारकुन इमाम मंसूरी, सब्बीर मंसूरी सेद, सलामुद्दीन मंसूरी, मुस्तकिम मंसूरी खत्री, रईस मंसूरी लाहोरी, जाकिर मंसूरी, उमर मंसूरी बेलीम, अजीज मंसूरी सेद, अलीम मंसूरी, सानू मंसूरी बेलीम, इमरान मंसूरी, चांद मोहम्मद, आरिफ हुसैन, अब्दुल फरीद वगैरह ने जत्थे की गुलपोशी कर उनका इस्तकबाल किया। इसके अलावा उनके खाने व कयाम का इंतेजाम मस्जिद मंसूरियान अजमेर में किया गया। पैदल मार्च में शामिल मआशरे के लोगों ने रियाज अहमद मंसूरी, हाजी सलामुद्दीन मंसूरी व उनकी टीम की जानिब से किए गए इंतेजामात की सताईश (प्रशंसा) की और उनके तंई (प्रति) शुक्रगुजारी का इजहार किया। अगले रोज (4 जून) की सुबह 10 बजे मंसूरी समाज की जानिब से हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (रहमतुल्लाह अलैह) की बारगाह में चादर पेश की गई। इस मौके पर ब्यवर, सोजत, पाली, कालू चंडावल के अलावा बड़ी तादाद में दीगर लोग मौजूद थे। मआशरे के सुल्तान लाहोरी ने सहाफियों से बात करते हुए कहा कि मंसूरी समाज जिसे तेली, पिंजारा, पिनारा, नदाफ व कंडेरा वगैरह नामों से जाना जाता है, इक्तेसादी (आर्थिक) तौर पर काफी पिछड़ा हुआ है। मआशरे का खुसूसी रोजगार तेल घाणी, रुई पिनाई है। राजस्थान में इस समाज के लोगों की अक्सरियत पाई जाती है। मआशरे की तरक्की के लिए मआशरे की जाबिन से लंबे समय से मंसूरी समाज बोर्ड तशकील देने की मांग की जा रही है लेकिन इक्तेदार में बैठे लोग उनकी मांग पर तवज्जो नहीं दे रहे हैं। मआशरे के तंई सियासी जमात के लोगों और हुक्काम की अनदेखी के चलते मआशरा इक्तेसादी तौर पर कोई तरक्की नहीं कर पा रहा है। यही वजह है कि मआशरे को पैदल मार्च निकालना पड़ा ताकि वे हुक्काम का ध्यान अपनी मांगों के तंई मब्जूल (आकर्षित) करा सकें। पैदल मार्च में शामिल सुल्तान खां लाहोरी के साथ गुलाब खां मंगवा, हाजी अकबर खां खोकर, डीके खां चौहान, राजू खां खोकर, चांद मोहम्मद बागड़ी के पांवों में छाले पड़ गए।