12 जीअकादा 1444 हिजरी
जुमा, 2 जून 2023
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अकवाले जरीं
‘ये बहुत बड़ी खयानत है कि तुम अपने भाई से ऐसी बात बयान करो, जिसे वो सच् जाने जबकि तुम खुद उससे ाूठ बोल रहे हो।’
- अबू दाऊद
वाशिंगटन : आईएनएस, इंडिया अमरीका के कमीशन बराए मजहबी आजादी (यूएससीआईआरएफ) ने पाकिस्तान, चीन और सऊदी अरब समेत 12 मुल्कों को मजहबी आजादी के हवाले से खदशात पाए जानेवाले मुल्कों की फेहरिस्त (सीपीसी) में बरकरार रखने की सिफारिश की है। कमीशन ने कहा है कि हुकूमत-ए-पाकिस्तान ने 2022 में साबिक वजीर-ए-आजम इमरान खान और उनकी काबीना के अरकान के खिलाफ तौहीन-ए-मजहब के कानून को बतौर हथियार इस्तिमाल किया। अमरीकी कमीशन बराए मजहबी आजादी की 2022 के वाकियात पर मबनी रिपोर्ट में जिन 12 मुल्कों को सीपीसी की फेहरिस्त में शामिल रखने की सिफारिश की गई है, उनमें रूस, ताजिकस्तान, तुर्कमानिस्तान, शुमाली कोरिया, क्यूबा, बर्मा और इरीट्रिया भी शामिल हैं। सीपीसी ऐसे मुल्कों को कहते हैं, जिनके बारे में मजहबी आजादी के हवाले से खुसूसी खदशात पाए जाते हैं। रिपोर्ट में सीपीसी उन ममालिक को कहा गया है, जहां हुकूमत मजहबी आजादियों की, मखसूस और इंतिहाई दर्जे की खिलाफ वरजीयों में मुलव्वस हो या उन्हें बर्दाश्त करे। इन 12 मुल्कों के अलावा पांच मजीद मुल्कों को सीपीसी में शामिल करने की सिफारिश भी की गई है, जिनमें भारत, अफ़्गानिस्तान, नाईजीरिया, शाम और वियतनाम शामिल हैं। रिपोर्ट में भारत से मुताल्लिक कहा गया है कि 2022 में भारती हुकूमत ने हर सतह पर मजहबी इमतियाज पर मबनी पालिसीयों को बढ़ावा दिया और उन्हें नाफिज किया, जिसने मुस्लमानों, मसीहीयों, सिखों और दलित बिरादरी पर मनफी (नकारात्मक) असरात डाले। भारती हुकूमत ने तन्कीदी आवाजें दबाने का सिलसिला भी जारी रखा और इसके लिए हिरासानी, निगरानी और इमलाक (जायदाद) ढहाने का हर्बा इस्तिमाल किया गया। ‘ख़्याल रहे कि यूएससीआईआरएफ ने गुजिश्ता बरस भी भारत को इस फेहरिस्त में शामिल करने की सिफारिश की थी, हालांकि बाईडन इंतिजामीया ने उसे मजहबी आजादी के हवाले से खदशात वाले मुल्कों की फेहरिस्त में शामिल नहीं किया था।
पीर को जारी होने वाली रिपोर्ट में यूएससीआईआरएफ ने अल्जीरिया और अफ्रÞीकी मुल्क सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक को स्पेशल वाच लिस्ट (एसडब्लयूएलओ) में बरकरार रखने की सिफारिश की है, जबकि इस फेहरिस्त में मजीद नौ मुल्कों को शामिल करने की सिफारिश गई है। इन नौ मुल्कों में तुर्की, मिस्र, इराक, इंडोनेशिया, मलाईशीया, श्रीलंका, कजाकिस्तान, उजबेकिस्तान और अजरबईजान शामिल हैं। इसके अलावा यूएससीआईआरएफ ने आलमी शिद्दत-पसंद तंजीम दाइश समेत बोकोहराम, अलशबाब, होसी, हयात, तहरीर, अलशामी और इस्लामिक स्टेट इन ग्रेटर सहारा को भी खुसूसी तशवीश वाली तन्जीमों की फेहरिस्त में शामिल करने की सिफारिश की है।
अमरीकी कमीशन बराए मजहबी आजादी ने अपनी में 2022 के दौरान पाकिस्तान में पेश आने वाले अहम वाकियात का हवाला दिया है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि पाकिस्तान में मजहबी आजादी की सूरत-ए-हाल मुसलसल खराब हो रही है। मजहबी अकल्लीयतों पर हमलों या उन्हें धमकीयां मिलने के वाकियात लगातार पेश आ रहे हैं। मजहबी अकल्लीयतों को तौहीन-ए-मजहब के इल्जामात समेत टार्गेट किलिंग, हुजूम के तशद्दुद, कतल, तबदीली-मजहब, इबादत-गाहों की तौहीन समेत खवातीन और लड़कियों को जिन्सी हिरासानी का सामना है।