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‘दिल अफ़्जा’ के मुकाबले में ‘रूह अफ़्जा’ की जीत, सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रखा बरकरार

30 शव्वालुल मुकर्रम 1444 हिजरी
इतवार, 21 मई, 2023
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नई दिल्ली : आईएनएस, इंडिया
सुप्रीमकोर्ट में मारूफ (मशहूर) शर्बत ‘रूह अफ़्जा’ से मुताल्लिक एक मामला सामने आया। मुआमले में सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि ‘दिल अफ़्जा’ नाम से मिलती-जुलती शर्बत की पैदावार रोकने का हाईकोर्ट का फैसला दुरुस्त है। इस दौरान चीफ जस्टिस की सरबराही में तीन रुकनी बेंच ने उनकी मेज पर मौजूद दोनों शर्बतों की बोतलों का बारीकबीनी से मुआइना किया। 
‘दिल अफ़्जा’ के मुकाबले में ‘रूह अफ़्जा’ की जीत, सुप्रीमकोर्ट ने हाईकोर्ट का फैसला रखा बरकरार
    हमदरद फार्मेसी 1907 से रूह अफ़्जा शर्बत बना रही है। सदर लेबोरेटरीज नामी कंपनी ने 2020 में रूह अफ्जा से मिलते-जुलते नाम ‘दिल अफ्जा’ का प्रोडक्शन शुरू किया। सदर लेबोरेटरीज ने बताया कि उनकी कंपनी 1976 से दिल अफ़्जा के नाम से दवा बना रही है। ऐसे में उसे इसी नाम से शर्बत बनाने से नहीं रोका जा सकता। दिसंबर 2020 में दिल्ली हाईकोर्ट की सिंगल बेंच ने सदर लेबोरेटरीज के दावे को कबूल करते हुए उसे दिल अफ़्जा की तैयारी और फरोखत की इजाजत दे दी। जिसके खिलाफ हमदर्द नेशनल फाउंडेशन ने हाईकोर्ट के डिवीजन बेंच में अपील की। 
    गुजिश्ता साल दिए गए फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट के 2 जजों की बेंच ने कहा था कि हमदर्द रूह अफ़्जा एक मशहूर ब्रांड है। मिलते-जुलते नाम से इसी तरह के प्रोडक्ट को फरोखत करना ट्रेड मार्क कानून की खिलाफवरजी है। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने सदर लेबोरेटरीज को फौरी तौर पर दिल अफ़्जा शर्बत की तैयारी और फरोखत रोकने का हुक्म दे दिया। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच के हुक्म के खिलाफ सदर लेबोरेटरीज सुप्रीमकोर्ट पहुंच गई। चीफ जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़, जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जेबी पारडी की बेंच ने इस मुआमला की समाअत की। कुछ देर तक जारी बेहस में दोनों शर्बत बनाने वाली फर्मों के वकीलों ने अपने दावे को दुरुस्त करार दिया। 
    दिल अफ़्जा के वकील ने दोनों शर्बतों की बोतल जजेज के हवाले कर दी। इस पर चीफ जस्टिस ने तंजिया अंदाज में कहा कि 'हम उन्हें ले तो रहे हैं, लेकिन वापिस नहीं करेंगे!' उसके बाद तीनों जजों ने बारी-बारी दोनों बोतलों को देखा। जजेज ने हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच का फैसला भी पढ़ कर सुनाया। आखिर में सुप्रीमकोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की डिवीजन बंच के हुक्म में कोई कोताही नहीं है, हम इस मुआमले में मुदाखिलत नहीं करेंगे।

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