18 शव्वालुल मुकर्रम 1444 हिजरी
मंगल, 9 मई, 2023
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एक हजार साल से बर्तानवी बादशाहत की ताजपोशी की रस्म अदा करने का गवाह रहा है वेस्ट मिंस्टर आबे चर्च
बादशाह चार्ल्स सोम की ताजपोशी
लंदन : आईएनएस, इंडिया लंदन के वेस्ट मिंस्टर आबे चर्च में बर्तानिया के बादशाह चार्ल्स सोम की ताजपोशी कर दी गई। आर्चबिशप आफ कैंटरबरी ने बादशाह चार्ल्स को साढ़े तीन सौ बरस पुराना ताज पहनाया। बादशाह चार्ल्स सनीचर की सुबह अपनी अहलिया कैमिला पारकर के हमराह खुसूसी बग्घी पर बकिंघम पैलेस से वेस्ट मिंस्टर आबे चर्च पहुंचे, जो एक हजार साल से बर्तानवी बादशाहत की ताजपोशी की रस्म अदा करने का गवाह रहा है। मजहबी रस्म-ओ-रिवाज और शान-ओ-शौकत से भरपूर तकरीब में दुनियाभर से मुख़्तलिफ मुल्कों के सरबराहान समेत 2200 शख्सियात शरीक हुई। तकरीब में बर्तानवी शहजादे विलियम अपनी अहलिया मिडिलटन और बच्चों के हमराह शरीक हुए जबकि शहजादा हैरी भी तकरीब में मौजूद रहे लेकिन उनकी अहलिया मार्कल और उनके बच्चे तकरीब का हिस्सा नहीं बनें। बादशाह चार्ल्स सन 1066 से शुरू होने वाले बर्तानवी बादशाहत के सिलसिले में 40 वें हुक्मरां हैं जिनकी ताजपोशी वेस्ट मिंस्टर चर्च में की गई। बकिंघम पैलेस से वेस्ट मिंस्टर तक के रास्तों के अतराफ हजारों शहरी मौजूद थे जो बादशाह की बग्घी की जानिब देखकर हाथ हिलाते रहे। बर्तानवी हुक्काम ने 70 बरस बाद होने वाली इस तकरीब के लिए खुसूसी इंतिजामात किए, पूरे लंदन में जश्न का सा माहौल रहा और लाखों अफराद सड़कों पर मौजूद रहे।सत्तर साल में पहली बार बर्तानवी शहंशाह की ताजपोशी
बर्तानिया में 70 बरसों में पहली ताजपोशी सनीचर के रोज अमल में आई जिसमें एक बड़ी रिवायती तकरीब में चार्ल्स सोम (तृतीय) की बतौर बादशाह ताजपोशी की गई। इस रस्म की कड़ियां तारीख में एक हजार साल गहरी है। ताजपोशी की ये तकरीब 1937 के बाद किसी बर्तानवी बादशाह की पहली तकरीब है, जो गुजिश्ता सितंबर में चार्ल्स की वालिदा मल्लिका एजीजाबेथ दोम (द्वितीय) की वफात के बाद हुई। मलिका एलीजाबेथ का शुमार बर्तानवी तारीख में तवील मुद्दत तक ताज रखने वाले हुक्मरानों में होता है। चार्ल्स सोम की ताजपोशी के दौरान उनकी अहलिया कैमिला को भी मलिका का ताज पहनाया गया। बर्तानिया के वजीर-ए-आजम ऋषि सूनक ने जुमा को अपने एक बयान में इस तकरीब को कौमी इफ़्तिखार का अहम लम्हा और मुल्क के इमतियाज का मुजाहरा करार दिया है। उन्होंने कहा कि ये हम सब के लिए खिदमत, उम्मीद और इत्तिहाद के जजबे के इजहार और मुस्तकबिल की तरफ देखने का मौका है। तकरीब की परेड में 7 हजार फौजी शरीक हुए जिसमें उनका बैंड और दूसरे दस्ते भी शामिल हैं। इस मौका पर फिजाई पास्ट का भी एहतिमाम किया गया। ताजपोशी के जश्न को लेकर कई अफराद इसके हक में नहीं थे इसी तरह उमूमी तौर पर नौजवानों में भी ताजपोशी के हवाले से गर्म-जोशी देखने में नहीं आई। एक जमाना था, जब ताज-ए-बर्तानिया की सल्तनत की हदूद इतनी वसीअ थीं कि उनमें हर वक्त कहीं ना कहीं सूरज चमक रहा होता था, लेकिन अब ये हुकूमत यूरोप के एक छोटे से हिस्से में सिमट कर रह गई है। ताहम अब भी दौलत-ए-मुश्तरका में 14 ऐसे ममालिक शामिल हैं जो माजी में ताज-ए-बर्तानिया का हिस्सा रह चुके हैं। लेकिन अब उनमें ताज की एहमीयत रफ़्ता-रफ़्ता कमजोर पड़ रही है। बर्तानिया में शाही खानदान से मुहब्बत करने वालों की भी कमी नहीं है। ताजपोशी की तकरीब को देखने के लिए लोग मुल्क के दूर दराज हिस्सों से लंदन पहुंचे। शाह चार्ल्स 700 साल पुरानी कुर्सी पर बैठे
बर्तानिया के शाह चार्ल्स अपनी ताजपोशी के दौरान उस कुर्सी पर बैठे जो तारीखी सेंंट ऐडवर्ड की 700 साल से ज्यादा पहले बनाई गई थी, और पहली मर्तबा 1308 में किंग एडवर्ड दोम की ताजपोशी के मौका पर इस्तिमाल हुई थी। शाह चार्ल्स ने अपनी वालिदा मलिका एलीजाबेथ की जगह संभाली है। मलिका एलीजाबेथ का सितंबर में इंतिकाल हो गया था।