11 रमजान-उल मुबारक, 1444 हिजरी
पीर, 3 अपै्रल, 2023
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गांधीनगर : आईएनएस, इंडिया गुजरात की एक अदालत ने 2002 के मुस्लिम मुखालिफ फसादाद के दौरान अलग-अलग वाकियात में 12 से ज्यादा मुस्लमानों के कत्ल और खवातीन की इजित्माई इस्मतदरी के तमाम 26 मुल्जिमान को बरी कर दिया।
मुआमले में कुल 39 मुल्जिमान थे, जिनमें से 13 की मौत केस की समाअत के दौरान हो गई थी। पंचमहल जिÞला के हिल्लोल के एडीशनल सेशन जज लीला भाई की अदालत ने जुमा को 26 लोगों को सुबूत की बिना पर कत्ल, इजतिमाई इस्मतदरी और फसादाद के इल्जामात से बरी कर दिया। अदालत ने अपने हुक्म में कहा कि मुकद्दमा के कुल 39 मुल्जिमान में से 13 की समाअत के दौरान मौत हो गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक मुल्जिमान मुबय्यना तौर पर इस हुजूम का हिस्सा थे, जिसने 27 फरवरी को गोधरा में साबरमती ट्रेन को नजर-ए-आतिश किए जाने की मुखालिफत में बंद की काल दी थी और एक मार्च 2002 को फिरकावाराना फसाद बरपा किया था।
मुल्जिमान के खिलाफ कलोल पुलिस स्टेशन में 2 मार्च को एफआईआर दर्ज कराई गई थी। मामले में 190 गवाह और 334 दस्तावेजात पेश किए गए थे। ताहम अदालत ने कहा कि सबूत कम पड़ रहे हैं और गवाहों के बयानात में तजाद भी नजर आ रहा है। लिहाजा इस 20 साल पुराने मुआमला में मुल्जिमान को सबूत की अदम दस्तयाबी की बिना पर बरी कर दिया गया।
याद रहे कि एक मार्च 2002 को गुजरात के गांधी नगर जिले कलोल शहर में 2000 से ज्यादा अफराद के हुजूम ने तशद्दुद बरपा किया था। हुजूम अपने हाथों में तेज धार हथियार लिए हुए थे। इस दौरान हुजूम ने दुकानों को नुक़्सान पहुंचाया और उन्हें आग लगा दी। एक और वाकिये में 38 अफराद पर हमला किया गया जिनमें से 12 को जिंदा जला दिया गया। ये तमाम लोग कलोल की तरफ आ रहे थे। एक खातून ने फरार होने की कोशिश की तो उसके साथ इजतिमाई इस्मतदरी भी की गई।